उत्तर के मुकाबले दक्षिण भारत के लोग ज्यादा समझदार। केरल में आना मेरे लिए ताजगीपूर्ण रहा-राहुल गांधी। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत बताए कि क्या केरल के मुकाबले राजस्थानियों में समझ कम है?
कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी अपने विवादित बयानो से अक्सर चर्चा में रहते हैं। 23 फरवरी को केरल में एक सभा में राहुल गांधी ने कहा कि उत्तर के मुकाबले में दक्षिण भारत के लोगों में राजनीति की अलग ही समझ है। दक्षिण के लोग ज्यादा समझदार हैं। मेरा केरल आना ताजगीपूर्ण रहा है। मुझे यहां सुखद अहसास हुआ है। राहुल गांधी ने देश की जनता को उत्तर और दक्षिण में बांटने की बात क्यों कहीं और क्यों दक्षिण के लोगों को ज्यादा समझदार बताया? इस सवाल का जवाब राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ही दे सकते हैं, क्योंकि मौजूदा समय में गहलोत ही गांधी परिवार के सबसे बड़े सलाहकार हैं। कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष कब बनेगा? यह निर्णय भी गहलोत ही करते हैं। पंजाब के नगर निकायों के परिणाम हों या पुडुचेरी में कांग्रेस की सरकार गिरना, सभी मुद्दों पर गहलोत ही ट्वीट कर प्रतिक्रिया देते हैं। अब गहलोत को ही बताना होगा कि आखिर गांधी परिवार के युवराज देश की जनता को उत्तर और दक्षिण में क्यों बांट रहे हैं? राहुल गांधी लगातार 15 वर्ष से उत्तर भारत के अमेठी संसदीय क्षेत्र से सांसद रहे हैं। 2019 में राहुल को अमेठी से हार का सामना करना पड़ा। अमेठी से चुनाव हारेंगे, इसका अहसास राहुल को चुनाव से पहले ही हो गया था, इसलिए उन्होंने केरल के वायनाड़ से भी चुनाव लड़ा। अब राहुल गांधी वायनाड़ से ही सांसद हैं। यह सही है कि सांसद को अपने क्षेत्र के लोगों को खुश करना पड़ता है, लेकिन यह खुशी विकास कार्यों से होती है। समझ के आधार पर अपने क्षेत्र के लोगों को खुश करने का काम सिर्फ राहुल गांधी जैसा सांसद ही कर सकता है। जिस अमेठी की जनता ने राहुल को तीन बार सांसद चुना अब वही जनता राहुल गांधी को कम समझदार लगती है। यह बात सही है कि राहुल गांधी मई 2019 में अमेठी से लोकसभा का चुनाव हार गए, लेकिन मात्र 6 माह पहले हुए राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तसीगढ़ के विधानसभा चुनावों मे ंकांग्रेस की जीत हुई थी। तब इन तीनों राज्यों मे ंराहुल ने धन्यवाद सभाएं कर उत्तर भारत की जनता को समझदार बताया था। सब जानते हैं कि केरल में भी अप्रैल में चुनाव होने हैं और राहुल गांधी केरल से ही सांसद हैं। अब राहुल को केरल की जनता को खुश करना है। इसलिए उत्तर भारत की जनता की समझ का मजाक उड़ा रहे हैं। यहां यह खासतौर से उल्लेखनीय है कि राहुल गांधी ने केरल चुनाव की मुख्य ज़िम्मेदारी भी राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत को ही दी है। केरल का चुनाव प्रभारी रहते हुए राहुल गांधी के ताजा बयान का अशोक गहलोत अपने गृह प्रदेश राजस्थान में कैसे बचाव करेंगे, यह आने वाले दिनों में पता चलेगा। जहां तक केरल के राजनीतिक समीकरणों का सवाल है तो केरल में कम्युनिस्ट सरकार है और राहुल गांधी को कम्युनिस्ट सरकार को उखाड़ कर ही कांग्रेस की सरकार बनवानी है। यह बात अलग है कि पश्चिम बंगाल में कांग्रेस, कम्युनिस्टों के साथ तालमेल कर ममता बनर्जी की सरकार को उखाडऩे में लगे हुए हैं। बंगाल में भी केरल के साथ ही विधानसभा के चुनाव होने हैं। विभाजनकारी नीतियों की वजह से ही कांगे्रस की लगातार हार हो रही है। 545 सांसदों में से कांग्रेस के मात्र 52 सांसद हैं। लेकिन फिर भी राहुल गांधी देश को उत्तर और दक्षिण में विभाजित कर रहे हैं। 23 फरवरी को ही घोषित गुजरात के 6 नगर निकायों के 576 वार्डों के परिणाम में कांग्रेस को सिर्फ 45 वार्डो में ही जीत मिली है। इससे भी कांग्रेस की ताजा राजनीतिक स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है। कांग्रेस कोई क्षेत्रीय दल नहीं है। आजादी के बाद 50 वर्षों तक कांग्रेस ने ही देश पर शासन किया है। कांग्रेस के नेताओं की सोच राष्ट्रीय और देशहित में होनी चाहिए।
S.P.MITTAL BLOGGER (24-02-2021)
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