राजस्थान में न खाता न बही, जो अशोक गहलोत कहे वो सही। भाजपा के प्रस्ताव पर विधायक फंड 5 करोड़ रुपए का किया। पीएम की आयुष्मान स्वास्थ्य बीमा की तर्ज पर मुख्यमंत्री चिरंजीवी हेल्थ बीमा। अपनों को ही आईएएस में पदोन्नति दिलवाई। आरएएस एसोसिएशन का विरोध धरा रह गया।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने एक बार फिर साफ किया है कि राजस्थान में न खाता, न बही, लेकिन गहलोत कहें वो सही। 18 मार्च को विधानसभा में जब अध्यक्ष सीपी जोशी ने विधायक फंड को बढ़ाने की बात कही तो सीएम गहलोत ने कहा कि अध्यक्ष जो आदेश करेंगे, उसके मुताबिक फंड बैठा दिया जाएगा। अध्यक्ष जोशी ने भाजपा विधायक दल के नेता और विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता की भूमिका निभाने वाले गुलाबचंद कटारिया से विधायक फंड की राशि बताने को कहा। कटारिया ने कहा कि विधायक फंड की राशि 5 करोड़ रुपए कर दी जाए। सीएम गहलोत ने बगैर सोच विचार किए विधायक फंड को ढाई करोड़ से बढ़ाकर पांच करोड़ रुपए करने की घोषणा विधानसभा में कर दी। यानि अब एक विधायक अपने निर्वाचन क्षेत्र में प्रतिवर्ष 5 करोड़ रुपए के विकास कार्य करवा सकेगा। मालूम हो कि सांसद कोष भी 5 करोड़ रुपए का ही है। यानि अब राजस्थान में विधायक का फंड भी सांसद की तरह 5 करोड़ रुपए का हो गया है। यह बात अलग है कि सांसद को 8-10 विधानसभा वाले संसदीय क्षेत्र में राशि खर्च करनी पड़ती है। जबकि विधायक तो सिर्फ अपने अपने एक विधानसभा क्षेत्र में राशि खर्च करेगा। गहलोत देश के पहले एक मात्र सीएम होंगे, जिन्होंने प्रतिपक्ष के नेता के प्रस्ताव पर विधायक फंड बढ़ाया है। इतना ही नहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आयुष्मान भारत स्वास्थ्य बीमा योजना की तर्ज पर राजस्थान में मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना को एक मई से लागू करने की घोषणा की। गहलोत की यह योजना कैशलेस होगी। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा और सामाजिक आर्थिक जातिगत जनगणना के दायरे में आने वाले लोगों को यह सुविधा नि:शुल्क मिलेगी, जबकि शेष जरुरतमंदों को मात्र 850 रुपए सालाना प्रीमियम पर यह सुविधा मिल जाएगी। सीएम गहलोत लोगों को राहत देने वाली घोषणाएं लगातार कर रहे हैं। भाजपा के वरिष्ठ विधायक कैलाश मेघवाल तो सीएम गहलोत की सार्वजनिक प्रशंसा करने लगे हैं। 18 मार्च को विधानसभा का पूरा माहौल गहलोत के पक्ष में नजर आया। विधायक फंड 5 करोड़ रुपए का होने पर भाजपा के विधायक भी खुश नजर आए।
आईएएस में पदोन्नति:
राजस्थान प्रशासनिक सेवा को छोड़ कर सहकारिता चिकित्सा लेखा आदि की सेवाओं से जुड़े अधिकारियों की पदोन्नति के मामले में भी आखिर सीएम गहलोत की चली। आरएएस एसोसिएशन के विरोध को दरकिनार कर गहलोत सरकार ने अपने चहेतों को ही आईएएस में पदोन्नति दिलवाई। न खाता न बही की कहावत को आईएएस की पदोन्नति में भी चरितार्थ किया गया है। अन्य सेवा के जिन चार अधिकारियों को आईएएस बनवाया है, वे सभी किसी न किसी तौर पर सीएम गहलोत से जुड़े हुए हैं। गहलोत मंत्रिमंडल में महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री श्रीमती ममता भूपेश के चिकित्सक पति डॉ. घनश्याम को आईएएस बनवाया गया है। इसी प्रकार मुख्यमंत्री के सलाहकार और पूर्व आईएएस डॉ. गोविंद शर्मा की बहन हेम पुष्पा शर्मा (लेखा अधिकारी) को भी आईएएस बनवाया। कृषि मंत्री लालचंद कटारिया के निकट के रिश्तेदार सीताराम जाट को आईएएस बनवा दिया। इतना ही नहीं पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा देवी पाटिल के ओएसडी रहे शरद मेहरा को भी आईएएस बनवा कर उपकृत किया गया। इससे पहले मुख्य सचिव निरंजन आर्य की पत्नी संगीता आर्य को राजस्थान लोक सेवा आयोग का सदस्य बना कर भी गहलोत ने कहावत को चरितार्थ किया था। डीबी गुप्ता को मुख्य सचिव और भूपेन्द्र यादव को पुलिस महानिदेशक के पद से हटाने के बाद मुख्य सूचना आयुक्त और राजस्थान लोक सेवा आयोग का अध्यक्ष नियुक्त किया, ताकि रिटायरमेंट के बाद भी वफादार अधिकारी सरकारी सुख सुविधाओं का उपयोग कर सके। पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट और उनके समर्थक विधायक कितना भी गहलोत का विरोध कर ले, लेकिन अब प्रदेश के राजनेताओं और प्रशासनिक अधिकारियों को यह अहसास हो गया है कि वो ही होगा, जो अशोक गहलोत चाहेंगे। गहलोत की मेहरबानी होगी, तो पति मुख्य सचिव और पत्नी राजस्थान लोक सेवा आयोग की सदस्य बन जाएगी। और यदि मेहरबानी नहीं होगी, तो विधानसभा में बोलने के लिए माइक भी नहीं मिलेगा। फिर भले ही सचिन पायलट हो या रमेश मीणा।
S.P.MITTAL BLOGGER (19-03-2021)
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