10 आईएएस की वरिष्ठता को लांघ कर राजस्थान के मुख्य सचिव बने निरंजन आर्य ने अब आईएएस की जाजम अपने नजरिए से बिछाई। रात 1 बजे 67 आईएएस की तबादला सूची जारी कर प्रशासनिक अमले को संकेत दिए। यस सर नहीं बोलने वाले आईएएस अफसरों को बर्फ में लगाया। कई जूनियर आईएएस को महत्वपूर्ण पदों पर बैठाया। सुबोध अग्रवाल, भास्कर सावंत, समित शर्मा, अजिताभ शर्मा, अक्षय गोदारा, महेंद्र सोनी आदि के नए पदों से इशारा समझ सकते हैं आईएएस। गौरव सैनी को सिरोही के प्रभारी मंत्री प्रमोद जैन की नाराजगी पड़ी भारी।
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पहले 10 आईएएस की वरिष्ठता को लांघ कर निरंजन आर्य को प्रदेश का मुख्य सचिव बनाया और अब 7 अप्रैल की रात एक बजे 67 आईएएस की तबादला सूची जारी कर आर्य ने प्रदेश के आईएएस अफसरों को संकेत दे दिए हैं, जो आईएएस अफसर यस सर बोलेगा उसे ही प्रशासन में महत्व मिलेगा। यस सर नहीं बोलने वाला आईएएस भले ही कितना भी काबिल हो, लेकिन प्रशासन में उसका महत्व नहीं होगा। आईएएस को अपने विभाग के मंत्री को भी खुश रखना होगा। मुख्य सचिव आर्य के संकेतों को भास्कर सावंत के तबादले से अच्छी तरह से समझा जा सकता है। सावंत को नगरीय विभाग के प्रमुख शासन सचिव के पद से हटाकर कृषि विभाग में नियुक्ति किया गया है, जबकि सावंत को लेकर कोई शिकायत नहीं थी, लेकिन यस सर बोलने में कंजूसी दिखाने की सजा सावंत को भुगतनी पड़ी है। इसके विपरीत निरंजन आर्य से वरिष्ठ लेकिन, यस सर बोलने में उदारता दिखाने वाले सुबोध अग्रवाल को वापस सचिवालय परिसर में लाकर खान और पेट्रोलियम का अतिरिक्त मुख्य सचिव बना दिया गया। सावंत की जगह कुंजी लाल मीणा को नियुक्त किया गया है। मीणा भी यस बोलने में बहुत उदार है, जब भी आईएएस की बड़ी तबादला सूची जारी होती है, तब समित शर्मा का नाम शामिल कर लिया जाता है। पिछले तीन चार बार से ऐसा ही हो रहा है। पहले शर्मा को स्वास्थ्य विभाग से स्थानांतरित किया और फिर जयपुर मेट्रो तथा जोधपुर का संभागीय आयुक्त बनाया। शर्मा ने जोधपुर में अपनी काबिलियत दिखाई ही थी कि उन्हें जयपुर का संभागीय आयुक्त बना दिया गया। शर्मा ने अपनी आदत के मुताबिक सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों को समय पर दफ्तर आने के लिए पाबंद किया, तो अब उन्हें सामाजिक न्याय और अधिकारिता विभाग का प्रमुख शासन सचिव बना दिया गया। सरकार समित शर्मा को कहीं भी नियुक्त करें, लेकिन शर्मा की कार्यप्रणाली से आम जनता खुश रहती है। जोधपुर और जयपुर संभाग में समित शर्मा का प्रयास रहा कि चिकित्सा एवं शिक्षा जैसे विभागों के कर्मचारी समय पर ड्यूटी पर पहुंच, जब शिक्षकों को 80 हजार तथा चिकित्सकों को एक लाख रुपए प्रति माह वेतन मिलता है तो स्कूल और अस्पताल में समय पर आना ही चाहिए। शर्मा का मानना है कि सरकारी दफ्तर में देरी से आना भी भ्रष्टाचार है। जब सरकार पूरा वेतन देती है तो फिर कर्मचारी देरी से क्यों आए? लेकिन सरकार में बैठे लोग नहीं चाहते कि सरकारी कर्मचारियों पर कोई पाबंदी लगए। जब समित शर्मा कामचोर कर्मचारियों को रंगे हाथों पकड़ते हैं तो सत्तापक्ष को लगता है कि सरकार की छवि खराब हो रही है। यह बात अलग है कि वर्ष 2008 से 2013 के बीच राजस्थान में सरकारी अस्पतालों में निशुल्क दवा योजना शुरु करवा कर समित शर्मा ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पूरे देश में प्रसिद्धि दिलवाई थी। महेंद्र सोनी को जनसंपर्क विभाग के निदेशक पद से सीधे परिवहन आयुक्त बना कर निरंजन आर्य ने जूनियर आईएएस को भी संकेत दे दिए हैं। इसमें कोई दो राय नहीं कि मुख्यमंत्री गहलोत ने आर्य को प्रशासन में अपनी धाक जमाने की पूरी छूट दी है। भले ही तबादला सूची में सीएमओ की चली हो, लेकिन आर्य का रुतबा भी बढ़ाया गया। 10 आईएएस की वरिष्ठता को लांग कर मुख्य सचिव बनाए जाने के बाद प्रशासनिक अमले पर आर्य का रुतबा नहीं हो रहा था, अनेक आईएएस यस सर बोलने से परहेज कर रहे थे, लेकिन अब आईएस को संकेतों को समझना होगा। बंद पड़ी जयपुर मेट्रो का एमडी बनाए जाने के बाद भी यदि अजिताभ शर्मा जैसे आईएएस नहीं समझे तो उनकी मर्जी है। अक्षय गोदारा को अजमेर विकास प्राधिकरण का आयुक्त बनाने से भी जूनियर आईएएस सबक ले सकते हैं। गोदारा मुश्किल से साल भर पहले ही आईएएस पद पर नियुक्त हुए है। गोदारा को अजमेर जैसे महानगर के विकास प्राधिकरण का आयुक्त बना दिया गया है। जबकि प्राधिकरण की आयुक्त रेणु जयपाल को प्रतापगढ़ का कलेक्टर बनाया गया है। इस अदला-बदली से अजमेर के कलेक्टर प्रकाश पुरोहित को सबसे ज्यादा राहत मिली है सरकार ने कलेक्टर को प्राधिकरण का अध्यक्ष बना रखा था, जबकि रेणु जयपाल कलेक्टर पुरोहित से वरिष्ठ है। ऐसे में पुरोहित को असहजता हो रही थी, लेकिन अब कलेक्टर पुरोहित प्राधिकरण के अध्यक्ष की हैसियत से गोदारा को आदेश दे सकेंगे। स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के कार्यो के निरीक्षण में भी गोदारा कलेक्टर के साथ होंगे। रेणु जयपाल आरएएस से पदोन्नत होकर आईएएस बनी है। जयपाल अधिकांश समय अजमेर में ही नियुक्त रही, लेकिन आईएएस बनने वाले हर अधिकारी का ख्वाब होता है कि एक दिन वह भी कलेक्टर बने। जयपाल का कलेक्टर बनने का ख्वाब अब पूरा हो रहा है। आईएएस सुश्री चिन्मयी गोपाल को टोंक का जिला कलेक्टर बनाकर निरंजन आर्य ने कई लोगों को जवाब दे दिया है। अजमेर नगर निगम की आयुक्त रही चिन्मयी गोपाल आने वाले दिनों में अजमेर की कलेक्टर भी बन सकती है। मुख्य सचिव आर्य ने मानवीय पक्षों का भी खयाल रखा है। चित्तौड़ के जिला कलेक्टर केके शर्मा ने अपने स्वास्थ्य का हवाला देते हुए अजमेर स्थित राजस्व मंडल का सदस्य बनाने का आग्रह किया था, शर्मा को कलेक्टर के पद से हटाकर अजमेर में मंडल का सदस्य बना दिया गया है। शर्मा की पत्नी अजमेर के गवर्नमेंट कॉलेज में प्राध्यापक है। यूं तो 67 आईएएस का तबादला किया है लेकिन जिन आईएएस ने यस सर बोलने में परहेज नहीं किया उन्हें जयपुर में ही महत्वपूर्ण पदों पर बनाए रखा गया है। हालांकि ऐसे आईएएस के पीछे संबंधित विभागों के मंत्रियों की सिफारिश भी रही है। माउंट आबू के एसडीएम गौरव सैनी को अजमेर में जिला परिषद का सीईओ नियुक्त किया गया है। सैनी को सिरोही के प्रभारी मंत्री प्रमोद जैन की नाराजगी भारी पड़ी है। दौरे में साथ नहीं रहने पर जैन ने सैनी के प्रति नाराजगी दिखाई थी। सैनी पर एक महिला पार्षद ने भी भेदभाव का आरोप लगाया था। सैनी को हटवाने में मंत्री की भूमिका बताई जा रही है।S.P.MITTAL BLOGGER (08-04-2021)Website- www.spmittal.inFacebook Page- www.facebook.com/SPMittalblogFollow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11Blog- spmittal.blogspot.comTo Add in WhatsApp Group- 9602016852To Contact- 9829071511