किसानों के बॉर्डर जाम से दिल्ली में ऑक्सीजन पहुंचने में देरी। ऑक्सीजन के टैंकर जाम में फंसे रहे। क्या लोगों की जान से ज्यादा है धरना प्रदर्शन। कोविशिल्ड वैक्सीन की एक डोज राज्य सरकार को 400 तथा प्राइवेट अस्पतालों को 600 रुपए में मिलेगी। एक मई से 18 वर्ष की उम्र वाले व्यक्तियों का होगा टीकाकरण।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का कहना है कि यदि ऑक्सीजन की सप्लाई नहीं हुई तो दिल्ली में हाहाकार मच जाएगा। लेकिन वहीं दूसरी ओर ऑक्सीजन से भरे टैंकर 20 अप्रैल की रात को दिल्ली की बॉर्डर पर लगे किसानों के जाम में फंस गए। इससे ऑक्सीजन से भरे टैंकर दिल्ली में देरी से पहुंचे। टैंकर चालकों को उम्मीद थी कि जाम के दौरान ऑक्सीजन के टैंकरों को निकलने दिया जाएगा। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। टैंकर चालकों का कहना है कि यदि दूसरे रास्तों से दिल्ली जाना होता है तो कम से कम 100 किलोमीटर ज्यादा दौड़ना पड़ेगा। दिल्ली के अस्पतालों में भर्ती मरीजों की सांस बंद न हो इसलिए टैंकर चालक किसानों से धरना प्रदर्शन वाले मार्ग पर आ गए। दिल्ली के लिए ऑक्सीजन के महत्व को देखते हुए अब किसानों ने दिल्ली की सीमाओं पर किसानों की संख्या को और बढ़ा दिया है ताकि कोई भी वाहन गुजर नहीं सके। मालूम हो कि तीन कृषि कानूनों के विरोध में किसान बेमियादी धरना दिल्ली की गाजीपुर, सिंधु और टिकरी सीमा पर दे रहे हैं। ऑक्सीजन की सप्लाई की वजह से किसानों के धरने का महत्व अचानक बढ़ गया है। सवाल उठता है कि लोगों की जान बचाने से ज्यादा क्या धरना प्रदर्शन जरूरी है? किसान अपनी मांगों को लेकर आंदोलन करें इस पर किसी को भी ऐतराज नहीं है। लेकिन ऐसे आंदोलन से जब लोगों की जान को खतरा हो जाए तब अनेक सवाल उठते हैं। दिल्ली की सीमाओं पर जो किसान धरना देकर बैठे हैं, वे भी भारत के नागरिक हैं और जो कोरोना संक्रमित मरीज दिल्ली के अस्पतालों में भर्ती हैं वे भी भारतीय नागरिक हैं। क्या एक नागरिक की वजह से दूसरे नागरिक की मृत्यु हो जाना उचित होगा? भारत का कोई भी नागरिक यह नहीं चाहेगा की उसके कृत्य से किसी की मौत हो जाए। दिल्ली की सीमाओं पर जो लोग धरना दे रहे हैं, उन्हें इस कोरोना काल में मरीजों की जिंदगी का ख्याल भी रखना चाहिए। हो सकता है कि जो लोग धरना प्रदर्शन कर रहे हों, उन्हें भी दिल्ली के अस्पतालों में ऑक्सीजन की जरुरत पड़ जाए। इस मामले में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। केजरीवाल भी किसान आंदोलन के समर्थक हैं। अब केजरीवाल को धरना स्थल पर जाकर किसानों को समझना चाहिए ताकि दिल्ली के अस्पतालों को ऑक्सीजन की सप्लाई नियमित होती रहे। लोग जिंदा रहे तो केजरीवाल बाद में भी राजनीति कर सकते हैं। ऐसा नहीं हो सकता कि ऑक्सीजन के टैंकर जाम में फंसे रहे और फिर केजरीवाल दिल्ली में हाहाकार की बात करें।कोविशिल्ड वैक्सीन की दर तय:कोविशिल्ड वैक्सीन बनाने वाली भारतीय कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट ने 21 अप्रैल को वैक्सीन की दरें घोषित कर दी है। अब तक केन्द्र सरकार राज्यों को नि:शुल्क वैक्सीन उपलब्ध करवा रही थी। लेकिन अब जब 1 मई से 18 वर्ष की उम्र वाले व्यक्तियों को भी वैक्सीन लगेगी तब केन्द्र सरकार ने राज्यों से खुले बाजार से वैक्सीन खरीदने को कहा है। केन्द्र सरकार की घोषणा के बाद 21 अप्रैल को सीरम इंस्टीट्यूट की ओर से कहा गया कि राज्य सरकारों को 400 और निजी अस्पतालों को 600 रुपए प्रति डोज वैक्सीन उपलब्ध करवाई जाएगी। राज्य सरकारें और प्राइवेट अस्पताल अपनी जरूरत के अनुरूप वैक्सीन मंगा सकते हैं। केन्द्र सरकार ने विदेशी कंपनियों को भी वैक्सीन उपलब्ध करवाने की छूट दी है। S.P.MITTAL BLOGGER (21-04-2021)Website- www.spmittal.inFacebook Page- www.facebook.com/SPMittalblogFollow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11Blog- spmittal.blogspot.comTo Add in WhatsApp Group- 9602016852To Contact- 9829071511