देख तेरे इंसान की हालत क्या हो गई भगवान। तड़प तड़प कर मर रहे है इंसान। सरकारों के बस की बात नहीं। अब आपको ही मेहरबानी करनी होगी।

भारत सनातन और वैदिक संस्कृति वाला आध्यात्मिक देश है। हमारी संस्कृति में माना जाता है कि सच्चे मन से भगवान को पुकारा जाए तो वे मदद के लिए आते ही है। कोरोना वायरस के कारण यूं तो पूरे विश्व का बुरा हाल है, लेकिन भारत में लोकतांत्रिक व्यवस्था के चलते कुछ ज्यादा ही हालात बिगड़े हुए हैं। जनता के वोट से विधायक, सांसद, मंत्री, मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री बने लोग एक दूसरे पर आरोप लगाने में लगे हुए हंै। अब तो हालात इतनी खराब है कि ऑक्सीजन के अभाव में इंसानों का दम निकल रहा है। रोजाना दो हजार से ज्यादा लोग या तो श्मशान में जलाए जा रहे हैं या फिर कब्रिस्तान में दफन हो गए हैं। धर्म के नाम पर आए दिन तलवारें खिंचती हो, लेकिन बेरहम कोरोना किसी को नहीं बख्श रहा है। सरकारों ने लॉकडाउन लगाकर मंदिर और मस्जिदों को बंद करवा दिया है, लेकिन फिर कोरोना से बचाया नहीं जा पा रहा है। प्रतिदिन तीन लाख लोग कोरोना संक्रमित हो रहे हैं। अस्पतालों में मरीजों का बुरा हाल है। ऑक्सीजन के अभाव में लोग सामूहिक तौर पर दम तोड़ रहे हैं। जो ऑक्सीजन हमें पेड़ों से मिलती थी वो ऑक्सीजन अब सिलेंडर में भी नहीं मिल रही है। सरकारें कितने भी दावे करें, लेकिन हालात बस में नहीं है। झूठ बोलने के आदि नेता खुद भी कोरोना की चपेट में हैं। पहले कहा था, जब तक दवाई नहीं, तब तक ढिलाई नहीं। अब जब दवाई के दोनों डोज भी लगवा लिए है, जब कहा जा रहा है दवाई भी और कड़ाई भी। यानी खुद नेताओं के समझ में नहीं आ रहा है कि क्या हो रहा है। हे! भगवान आप अंतर्यामी हैं, आप तो सृष्टि को बनाने वाले हैं। आप को तो भूत और भविष्य दोनों के बारे में पता है, जब हमारी शासन व्यवस्था फेल हो गई है, तब आप ही का सहारा है। कई बार अस्पताल में भर्ती मरीज की स्थिति को देखते हुए डॉक्टर भी कहते हैं कि अब भगवान का ही सहारा है। परिजनों को ईश्वर से प्रार्थना करने की सलाह दी जाती है। अधिकांश प्राइवेट अस्पतालों ने एक कमरा प्रार्थना स्थल का भी बना रखा है। मरीज के परिजन जब सच्चे दिल से प्रार्थना करते हैं तो मृत्यु के निकट पहुंच चुका व्यक्ति भी स्वास्थ्य हो जाता है। भारत तो आध्यात्मिक देश हैं, जहां सब कुछ ईश्वर के हाथ में होना माना जाता है। कोरोना जैसी महामारी से भारत का प्रत्येक नागरिक दु:खी और परेशान हो गया है। सरकारी कर्मचारी को तो घर बैठे तनख्वाह मिल रही है, जबकि व्यापारी का सबसे बुरा हाल है। लॉकडाउन में सबसे पहले व्यापारी की ही दुकान बंद करवाई जाती है। छोटा व्यापारी अपने परिवार को कैसे चलाएगा? यह सोचने वाला कोई नहीं है। जिले के कलेक्टर और एसपी कानून का डंडा बेचारे व्यापारी पर ही चलाते हैं। जबकि व्यापारी जो टैक्स देता है, उसी से कलेक्टर, एसपी को तनख्वाह मिलती है। लेकिन भारत में लोकतंत्र है, इसलिए सब उलटा पुलटा हो रहा है। नौकर, मालिक को प्रताड़ित कर रहा है। जरा सी भी गलती होने पर बेचारे व्यापारी पर जुर्माना लगा दिया जाता है। कई बार तो इज्जतदार व्यापारी पर पुलिसवाला डंडे बरसाता है। शिकायत की जाती है तो उल्टे व्यापारी पर ही कार्यवाही होती है। भगवान! अब आपको ही कोई चमत्कार करना होगा। कोरोना को भगाने और संक्रमित लोगों को स्वस्थ करने के लिए आपको ही कोई उपाय करना होगा। भले ही मंदिर बंद हो गए हो, लेकिन लो आपसे ही प्रार्थना कर रहे हैं। सनातन संस्कृति में भरोसा रखने वालों का विश्वास है कि एक दिन भगवान सब कुछ ठीक कर देंगे। लोगों का यह भरोसा बना रहना चाहिए। S.P.MITTAL BLOGGER (22-04-2021)Website- www.spmittal.inFacebook Page- www.facebook.com/SPMittalblogFollow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11Blog- spmittal.blogspot.comTo Add in WhatsApp Group- 9602016852To Contact- 9829071511

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