पश्चिम बंगाल में प्रशांत किशोर ने जो कहा वो हुआ। भाजपा 100 से नीचे और ममता बनर्जी 200 पार। लेफ्ट और कांग्रेस का सूपड़ा साफ। प्रशांत किशोर अब राजस्थान में भी अशोक गहलोत के लिए चुनावी रणनीति बनांगे।
पश्चिम बंगाल में जब कैलाश विजयवर्गीय से लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तक धुआधार प्रचार कर रहे थे, तब टीएमसी और ममता बनर्जी के रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने सार्वजनिक तौर पर कहा था कि यदि भाजपा को 100 से ज्यादा सीटें मिलेंगी तो वे पेशे को छोड़ देंगे। इसके पीछे प्रशांत ने यह तर्क दिया कि भाजपा को 30 प्रतिशत वोट हटाकर चुनाव प्रचार करना है। यानी भाजपा सिर्फ 70 प्रतिशत मतदाताओं के बीच ही प्रचार कर सकती है, जबकि ममता बनर्जी के पास पूरे 100 प्रतिशत मतदाता है। प्रशांत का इशारा 30 प्रतिशत मुस्लिम मतदाताओं की ओर था। प्रचार में भाजपा के नेताओं ने भले ही 200 सीटों का दावा किया हो, लेकिन प्रशांत किशोर का कथन सही साबित हुआ। भाजपा की गाड़ी 90 सीटों पर आकर अटक रही है, जबकि ममता बनर्जी की टीएमसी के उम्मीदवार 200 से भी ज्यादा सीटों पर बढ़त बनाए हुए हैं। भाजपा गत लोकसभा चुनाव वाली बढ़त को भी बनाए रखने में सफल नहीं रही। इसमें कोई दो राय नहीं कि पश्चिम बंगाल के लोगों ने लगातार तीसरी बार ममता के नेतृत्व पर भरोसा जताया है। ममता की जीत का कोई भी कारण रहा हो, लेकिन लोकतंत्र में जीत तो जीत ही होती है। ममता अब लगातार तीसरी बार बंगाल की मुख्यमंत्री बनेगी। ममता की इस जीत में कांग्रेस और लेफ्ट पार्टियों का बलिदान भी रहा है। कांग्रेस और लेफ्ट पार्टियों ने फुरफुरा शरीफ के साथ मिलकर गठबंधन जरूर बनाया, लेकिन 30 प्रतिशत वोट में विभाजन रोकने के लिए प्रचार ही नहीं किया। यही वजह रही कि 292 सीटों में लेफ्ट को सिर्फ एक सीट पर बढ़त है, जबकि कांग्रेस तो सभी सीटों पर हार का सामना कर रही है। गत बार कांग्रेस को 44 तथा लेफ्ट को 27 सीटें मिली थीं। इससे प्रतीत होता है कि ममता को जीतवाने में कांग्रेस और लेफ्ट ने कितना बड़ा बलिदान दिया है। गत बार ममता को 211 सीटें मिली थी, अब यदि ममता के पास 200 सीटें हैं तो यह बड़ी सफलता मानी जाएगी। भाजपा कह सकती है कि उसके पास तो मात्र तीन सीटें थी, लेकिन 90 सीटें हैं, लेकिन सब जानते हैं कि बंगाल में भाजपा ने सरकार बनाने की नीयत से चुनाव लड़ा था। आठ चरणों में चुनाव करवाने का मतलब ही यही था कि निष्पक्ष रूप से चुनाव हो। भाजपा के भयमुक्त चुनाव के बाद भी ममता बनर्जी की जीत हुई है। बंगाल के लोगों ने ममता को ही बंगाल की बेटी माना। इसमें कोई दो राय नहीं कि इस जीत से देश में विपक्षी दलों में ममता का राजनीतिक कद बढ़ेगा। मौजूदा समय विपक्ष में ममता से बड़ा कोई नेता नहीं रहा है। ममता की जीत देश राजनीति में बहुत मायने रखती है।अब गहलोत के लिए बनेगी रणनीति:देश में सफल चुनावी रणनीतिकार माने जाने वाले प्रशांत किशोर अब राजस्थान में भी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के लिए रणनीति बनाएंगे। जानकार सूत्रों के अनुसार पिछले दिनों प्रशांत किशोर और गहलोत के बीच संवाद भी हो चुका है। राजस्थान में ढाई वर्ष बाद यानी दिसम्बर 2023 में विधानसभा के चुनाव होने हैं। पश्चिम बंगाल में प्रशांत ने दो वर्ष पहले ही रणनीति बनाना शुरू कर दिया था। कहा जा रहा है कि ममता से व्हील चेयर पर चुनाव प्रचार करवाने में भी प्रशांत की इमोशनल रणनीति रही। मालूम हो कि प्रशांत किशोर पेशेवार रणनीतिकार है। पैसा लेकर राजनीतिक दलों के लिए रणनीति बनाते हैं। प्रशांत ने अपने कारोबार की शुरुआत 2014 में लोकसभा चुनाव में भाजपा से की थी। प्रशांत गत लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के रणनीतिकार थे। नीतीश कुमार, अरविंद केजरीवाल आदि के लिए भी प्रशांत रणनीति बना चुके हैं। S.P.MITTAL BLOGGER (02-05-2021)Website- www.spmittal.inFacebook Page- www.facebook.com/SPMittalblogFollow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11Blog- spmittal.blogspot.comTo Add in WhatsApp Group- 9602016852To Contact- 9829071511