राजस्थान में 25 प्रतिशत तक वैक्सीन बर्बाद हो रही है। दैनिक भास्कर की यह खबर भी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को प्रधानमंत्री को पढ़कर सुनानी चाहिए। सरकार के वैक्सीनेशन सेंटरों के डस्टबिन से उठाई 500 वायल (शीशी) भास्कर ने स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव अखिल अरोड़ा को सौंपी। अब जांच होगी। भास्कर ने तो आठ जिलों के 35 सेंटरों से ही वायल उठाई है। प्रदेशभर में बर्बाद हुई वैक्सीन का अंदाजा लगाया जा सकता है। दूसरे राज्यों में भी बर्बाद हुई है वैक्सीन-डोटासरा।
दैनिक भास्कर राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का पसंदीदा अखबार है, इसलिए विगत दिनों सीएम गहलोत ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भास्कर में छपी खबर पढ़ कर सुनाई। इस खबर में बताया गया कि भर्ती मरीजों के अनुरूप राजस्थान को केंद्र सरकार से ऑक्सीजन की सप्लाई नहीं हो रही है। सीएम को भास्कर की खबर पर इतना भरोसा था कि जांच किए बगैर ही खबर को सीधे प्रधानमंत्री के समक्ष प्रस्तुत कर दिया। अब 31 मई को इसी भास्कर अखबार में प्रथम पृष्ठ पर लिखा गया है कि राजस्थान के सरकारी वैक्सीनेशन सेंटरों पर कोरोना की 25 प्रतिशत तक वैक्सीन बर्बाद हो रही है। खबर की पुष्टि के लिए भास्कर ने प्रदेश के 8 जिलों के 35 वैक्सीनेशन सेंटरों के डस्टबिन से 500 वायल (शीशी) एकत्रित की। इसमें 2500 डोज बताए गए हैं। एक वायल से 10 व्यक्तियों को वैक्सीन लगाई जाती है, लेकिन संबंधित स्वास्थ्य कर्मियों ने एक वायल से 4-5 व्यक्तियों को ही टीका लगाया और आधी भरी हुई वायल डस्टबिन में फेंक दी। डस्टबिन में फेंकी गई वैक्सीन से भरी वायल ही भास्कर ने एकत्रित की है। भास्कर ने तो ऐसी वायल 8 जिलों के सिर्फ 35 सेंटरों से ही एकत्रित की है। यदि प्रदेशभर के सेंटरों के डस्टबिन से वायल उठाई जाती तो वैक्सीन की बर्बादी का अंदाजा लगाया जा सकता है। ऐसी सभी वायल 31 मई को भास्कर ने स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव अखिल अरोड़ा के माध्यम से सरकार को सौंप दी है। अरोड़ा ने जांच का भरोसा दिलाया है। वैक्सीन की बर्बादी की यह खबर तब सामने आई है, जब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत लगातार आरोप लगा रहे हैं कि केन्द्र सरकार वैक्सीन उपलब्ध नहीं करवा पा रही है। यह माना कि उत्पादन में कमी के कारण राज्यों को वैक्सीन कम संख्या में दी जा रही है, लेकिन राजस्थान में जिस तरह वैक्सीन की बर्बादी हो रही है, उसका जिम्मेदार कौन होगा? पिछले दिनों ही राजस्थान पत्रिका की एक खबर में बताया गया था कि राजस्थान में 11 लाख 50 हजार डोज खराब हो गए हैं। वैक्सीन के डोज खराब होने का मतलब है कि 11 लाख 50 हजार लोगों को वैक्सीन से वंचित करना। जब वैक्सीन को कोरोना संक्रमण से बचाने का मुख्य उपाय माना जा रहा है, जब वायलों में वैक्सीन मिलना बेहद शर्मनाक है। जिन भी स्वास्थ्य कर्मियों ने ऐसा किया है उनके विरुद्ध आपराधिक मामला दर्ज होना चाहिए। राजस्थान में वैक्सीन की बर्बादी तब से हो रही है, जब से वैक्सीन को लेकर कई बार ट्रायल किए गए। चिकित्सा कर्मियों को कई बार बताया गया कि वैक्सीन को किस प्रकार सुरक्षित रखना है तथा किस तरह लोगों को वैक्सीन लगानी है। जहां तक प्रदेश के चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा की जिम्मेदारी का सवाल है तो उनका ज्यादा समय केन्द्र सरकार को कोसने में जाता है। यदि रघु शर्मा चिकित्सा मंत्री की जिम्मेदारी निभाते तो इतनी बड़ी मात्रा में वैक्सीन बर्बाद नहीं होती।दूसरे राज्यों में भी बर्बाद हुई है वैक्सीन:31 मई को दैनिक भास्कर की खबर पर प्रतिक्रिया देते हुए सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष और स्कूली शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा कि देश के अन्य राज्यों में भी वैक्सीन की बर्बादी हुई है। केन्द्र सरकार ने पहले चरण में जिस तरह से वैक्सीन का वितरण किया, उसकी वजह से ही वैक्सीनेशन सेंटरों पर लोगों को वैक्सीन नहीं लग पाई। डोटासरा ने कहा कि वैक्सीन खराब होने की जिम्मेदारी केन्द्र सरकार की है। S.P.MITTAL BLOGGER (31-05-2021)Website- www.spmittal.inFacebook Page- www.facebook.com/SPMittalblogFollow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11Blog- spmittal.blogspot.comTo Add in WhatsApp Group- 9602016852To Contact- 9829071511