श्याम मूंदड़ा के पकड़े जाने पर ही अजमेर में नशीली दवाओं के कारोबार का भंडाफोड़ होगा। 11 करोड़ की दवाइयां तो जब्त की है, लेकिन अभी तक श्रमिक प्रवृत्ति के पांच व्यक्ति पकड़े गए हैं। मूंदड़ा की फरारी पुलिस के लिए चुनौती बनी।
2 जून को अजमेर पुलिस ने कमल कोली और मुकेश टांक को अदालत से रिमांड पर ले लिया है। इन दोनों को एक जून को 5 करोड़ 50 लाख रुपए की प्रतिबंधित नशीली दवाओं के साथ गिरफ्तार किया गया था। पुलिस ने पूर्व में 5 करोड़ रुपए की नशीली दवाएं ट्रांसपोर्ट नगर के एक गोदाम से जब्त की थी। यानी पिछले एक सप्ताह में अजमेर में ही करीब 11 करोड़ रुपए की नशीली दवाएं जब्त की जा चुकी हैं। यूं तो इस मामले में अभी तक पांच जनों को गिरफ्तार किया गया है। लेकिन ये सभी श्रमिक प्रवृत्ति के हैं। कोई माल पहुंचाने वाला रिक्शा चालक हैं तो कोई गोदाम पर काम करने वाला मजदूर या चौकीदार। नशीली दवाओं के कारोबार से जुड़ा कोई भी कारोबारी अभी पुलिस के हाथ नहीं आया है। अभी तक गिरफ्तार पांचों व्यक्तियों में से एक भी ऐसा नहीं है जो 50 हजार की दवाएं भी खरीद सके स्वभाविक है कि पुलिस को अब मुख्य आरोपी श्यामसुंदर मूंदड़ा की तलाश है। पुलिस को संदेह है कि मूंदड़ा ने ही जयपुर की राम्या फार्मा के सचिव शशि भारती से नशीली दवाई मंगवाता था। जयपुर पुलिस ने भी 5 करोड़ की नशीली दवाएं जब्त की थी और तभी से शशि भारती भी फरार है। शशि भारती और श्याम सुंदर मूंदड़ा पर पुलिस का शिकंजा कसा हुआ है, क्योंकि इन दोनों की गिरफ्तारी के बाद ही पता चलेगा कि नशीली दवाएं किन लोगों को या मेडिकल स्टोरों पर सप्लाई की जाती थी। पुलिस का मानना है कि दवा कारोबारी उत्तराखंड की हिमालय मेडिटेक कंपनी से माल तो नियमानुसार मंगवाते थे, लेकिन नशीली दवाओं की बिक्री गैरकानूनी तरीके से करते रहे, जब्त दवा में ट्रामाडोल अल्ट्राजोलाम गोलिया, कैप्सूल, इंजेक्शन हैं, इसीलिए माना जा रहा है कि ऐसी नशीली दवाएं युवा पीढ़ी को महंगी दरों पर उपलब्ध करवाई जाती है। नियम कायदे से ऐसी दवाएं डॉक्टर की पर्ची पर दी जानी चाहिए। बिक्री का रिकॉर्ड भी संबंधित मेडिकल स्टोर पर दर्ज होना चाहिए, लेकिन जिस तरह से जयपुर और अजमेर में 15 करोड़ की प्रतिबंधित नशीली दवाएं मिली हैं, उससे दवाओं की तस्करी होने का शक हो रहा है। इस मामले में श्याम मूंदड़ा की फरारी से पुलिस का शक और बढ़ गया है। पुलिस ने 1 जून को मूंदड़ा के स्टेशन रोड स्थित कमला मार्केट के विनायक मेडिकल स्टोर को भी सीज कर दिया है,हालांकि इस स्टोर को चलाने में श्याम मंूदड़ा की भूमिका अभी सामने नहीं आई है लेकिन स्टोर का संचालन मूंदड़ा के भाई कमल और लक्ष्मीकांत मूंदड़ा करते रहे हैं। गिरफ्तार लोगों के अनुसार श्याम सुंदर मूंदड़ा ही नशीली दवाओं को अजमेर में इधर-उधर करता था। 1 जून को जप्त 110 कार्टन भी मूंदड़ा ने ही अलवर गेट और रामगंज क्षेत्र में रखवाए थे। श्यामसुदंर मूंदड़ा पिछले एक सप्ताह से फरार है। मूंदड़ा की फरारी भी पुलिस के लिए चुनौती बनी हुई है। 3 दिन पहले मूंदड़ा बंधुओं के पिता की शिकायत पर रेंज के आईजी एस सेंगथिर ने मामले की जांच क्लॉक टावर थाना अधिकारी दिनेश कुमावत से लेकर डीएसपी मुकेश सोनी को सौंप दी थी, लेकिन 1 जून को 5 करोड़ 50 लाख रुपए तक की नशीली दवाएं मिलने के बाद जिला पुलिस अधीक्षक जगदीश शर्मा ने पूरे मामले के लिए अलग से जांच दल बना दिया है। इस दल में क्लॉक टावर थाना अधिकारी दिनेश कुमावत को भी शामिल किया गया है।
S.P.MITTAL BLOGGER (02-06-2021)Website- www.spmittal.inFacebook Page- www.facebook.com/SPMittalblogFollow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11Blog- spmittal.blogspot.comTo Add in WhatsApp Group- 9602016852To Contact- 9829071511