कोरोना काल में जुर्माना माफ कर केन्द्र सरकार देश के करोड़ों छोटे निवेशकों और पांच लाख अल्पबचत अभिकर्ताओं को राहत दे। छोटे निवेशकों की देश के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका। काश! राजस्थान के 27 हजार पंचायत सहायक भी इंटर्न और रेजिडेंट डॉक्टरों की तरह ताकतवर होते। कोरोना काल में फ्रंट लाइन वर्कर की तरह काम करने के बाद भी मात्र 6 हजार रुपए प्रतिमाह पारिश्रमिक मिल रहा है।
डाक घरों से जुड़े देश भर में पांच लाख अल्पबचत अभिकर्ता घर घर और बाजारों में दुकानों पर जाकर छोटे निवेशकों से छोटी छोटी राशि एकत्रित करते हैं और फिर पूर्ण ईमानदारी के साथ डाक घर में निवेशक के खाते में जमा करवाते हैं। इसकी एवज में मान्यता प्राप्त अभिकर्ता को मामूली सा कमीशन मिलता है। लेकिन कोरोना काल और उसमें लगे लॉकडाउन की वजह से घरों और दुकानों से राशि एकत्रित करने का प्रभावित हुआ है। ऐसे में छोटे निवेशकों के खाते में राशि भी जमा नहीं हो रही है। घर के नियमों के मुताबिक निर्धारित तिथि पर राशि जमा नहीं होने पर एक प्रतिशत का जुर्माना देय है। राष्ट्रीय अल्पबचत अभिकर्ता संगठन के उपाध्यक्ष अरङ्क्षवद गर्ग ने मांग की है कि केन्द्रीय वित्त मंत्रालय को कोरोना काल में जुर्माने की राशि माफी करनी चाहिए। सरकार भी जानती है कि कोरोना काल में व्यापार बुरी तरह प्रभावित हुआ है। ऐसे में छोटे निवेशकों ने दो वक्त की रोटी का जुगाड़ भी बड़ी मुश्किल से किया है। जब कमाई ही नहीं हुई तो बचत का सवाल ही नहीं उठता। कोरोना काल में अल्पबचत अभिकर्ता भी बुरे दौर से गुजरे हैं। देशभर में पांच सौ से भी ज्यादा अभिकर्ताओं की मृत्यु हुई है। गर्ग ने बताया कि देश के विकास में अल्पबचत अभिकर्ताओं और छोटे निवेशकों की महत्वपूर्ण भूमिका है। केन्द्र सरकार को चाहिए कि मान्यता प्राप्त अल्पबचत अभिकर्ताओं के लिए विशेष आर्थिक पैकेज की घोषणा भी करें। छोटे निवेशकों का डाकघर की योजनाओं में भरोसा बना रहे, इसके लिए जुर्माना राशि माफ की जाए। डाकघर की बचत योजनाओं में ब्याज की दर कम होने की वजह से पहले ही योजनाओं के प्रति आकर्षण कम हो रहा है और अब यदि जबरन जुर्माना लिया तो छोटे निवेशक अपना खाता ही बंद करवा देंगे। अल्पबचत अभिकर्ताओं से जुड़ी समस्याओं की और अधिक जानकारी मोबाइल नम्बर 9414212827 पर अरविंद गर्ग से ली जा सकती है।राजस्थान के 27 हजार पंचायत सहायकों को अब इस बात का अफसोस है कि उनके पास इंटर्न और रेजिडेंट डॉक्टरों जैसी ताकत नहीं है।विगत दिनों इंटर्न और रेजिडेंट डॉक्टरों ने अपना पारिश्रमिक बढ़ावाने के लिए जब कोरोना काल में हड़ताल की धमकी दी तो राज्य सरकार ने डॉक्टरों के सामने झुकते हुए पारिश्रमिक में वृद्धि कर दी। इंटर्न को अब सात हजार की जगह 14 हजार रुपए प्रतिमाह मिलेंगे, इसी प्रकार रेजिडेंट डॉक्टरों के पारिश्रमिक में भी 10 हजार रुपए से भी ज्यादा की मासिक वृद्धि की गई है। लेकिन वहीं प्रदेश के 27 हजार पंचायत सहायकों को मात्र 6 हजार रुपए में काम करना पड़ रहा है। पूर्व में 2007 में विद्यार्थी मित्र के तौर पर भर्ती की गई थी। तब ढाई हजार रुपया मासिक पारिश्रमिक तय किया था। आज 14 साल बाद भी मात्र 6 हजार रुपया पारिश्रमिक मिल रहा है। पंचायत सहायकों को कोरोना काल में फ्रंट लाइन वर्कर के तौर पर काम करवाया जा रहा है। शिक्षा विभाग और पंचायती राज विभाग अपने अपने कार्यों के लिए पंचायत सहायकों का उपयोग करते हैं। कांग्रेस और भाजपा दोनों ही दल हर चुनाव में पंचायत सहायकों को स्थाई करने का वादा करते हैं। लेकिन सरकार बनने के बाद ऐसे दल अपने वायदे से मुकर जाते हैं। यही वजह है कि पंचायत सहायकों को दर दर की ठोकरे खाने पर मजबूर होना पड़ रहा है। पंचायत सहायकों ने जिला स्तर से लेकर राज्य स्तर तक पर धरना प्रदर्शन, आंदोलन सब कुछ किया है। लेकिन सरकारों पर कोई असर नहीं होता है। पंचायत सहायक के प्रतिनिधि कमल टेलर ने बताया कि हमारे साथी स्कूलों में शिक्षण और पंचायती राज के तहत नरेगा तक में काम कर रहे हैं। अब कोरोना के लिए बनाई चेकपोस्ट पर भी नियुक्ति कर दी गई है। चूंकि पंचायत सहायक को राज्य कर्मचारी का दर्जा नहीं मिला है, इसलिए मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना का पात्र भी नहीं माना जा रहा है। इतना ही नहीं पिछले छह माह से पंचायत सहायकों को पारिश्रमिक भी नहीं मिला है। सरकार पर दबाव डालने के लिए अब सोशल मीडिया पर अभियान चलाया जा रहा है। ताजा आंदोलन की जानकारी मोबाइल नम्बर 9413844235 पर कमल टेलर से ली जा सकती है। S.P.MITTAL BLOGGER (04-06-2021)Website- www.spmittal.inFacebook Page- www.facebook.com/SPMittalblogFollow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11Blog- spmittal.blogspot.comTo Add in WhatsApp Group- 9602016852To Contact- 9829071511