पत्रकारिता के साथ हजारों करोड़ का कारोबार करने वाले धंधेबाज लोग भास्कर अखबार पर छापे की कार्यवाही से सबक लें। धंधे में चोरी और सीनाजोरी, तो कार्यवाही होगी ही। इसे पत्रकारिता पर हमले से न जोड़ा जाए। अजमेर के मदार गेट पर पूड़ी-सब्जी खाई है, भास्कर के मालिकों ने।
जो लोग पत्रकारिता की आड़ में कारोबार करते हैं, उन्हें भास्कर अखबार समूह पर आयकर विभाग की छापामार कार्यवाही से सबक लेनाचाहिए। आज पत्रकारिता के क्षेत्र में ऐसे लोग सक्रिय हैं जो अपने काले कारोबार को छिपाने के लिए टीवी पर न्यूज चैनल चला रहे हैं, या फिर अखबार का प्रकाशन करते हैं। चूंकि अखबार और चैनल का लाइसेंस हर किसी को मिल जाता है, इसलिए देश में ऐसे धंधेबाजों की भरमार है। भास्कर अखबार देश का सबसे बड़ा अखबार समूह है, लेकिन भास्कर अखबार के मालिक सुधी अग्रवाल, गिरीश अग्रवाल और पवन अग्रवाल (तीनों सगे भाई) करीब 100 कंपनियों और सहायक कंपनियों से जुड़े हुए हैं। ऐसी कंपनियां अखबार के साथ साथ रियल एस्टेट, पावर प्लांट, कपड़ा, शिक्षा, खान आदि का कारोबार करती है। इन कंपनियों का कारोबार 6 हजार करोड़ रुपए का है। आयकर विभाग के अधिकारी भास्कर के सर्कुलेशन, विज्ञापन, कागज कर्मचारियों के वेतन आदि की कोई जांच नहीं कर रहे हैं। विभाग ने न ही अखबार के संपादक या किसी रिपोर्टर से पूछताछ की है। भास्कर अखबार स्वतंत्रता से प्रकाशित हो, इसमें कोई दखल नहीं दिया गया है। चूंकि 6 हजार करोड़ रुपए वाली कंपनियों के दफ्तर भास्कर अखबार के परिसर में ही संचालित होते हैं, इसीलिए आयकर विभाग भास्कर के दफ्तारों के परिसर में जांच पड़ताल कर रही है। भास्कर ने अधिकांश शहरों में सरकार से रियायती दरों पर जमीन ली है। कायदे से जमीन का उपयोग सिर्फ पत्रकारिता के कार्य के लिए ही होना चाहिए, लेकिन अखबार के दफ्तर के साथ साथ रियल एस्टेट और अन्य धंधों के दफ्तर भी लगाए गए है। आयकर विभाग जमीन के दुरुपयोग की भी जांच कर रहा है। लेकिन यदि भास्कर के पावर प्लांट में बोगस खरीद फरोख्त हुई है, तो उसकी जांच करने का अधिकार आयकर विभाग के पास है। आरोप है कि संस्कार वैली स्कूल तो वन विभाग की भूमि पर ही बनाया गया है। भास्कर समूह ने विदेशों में निवेश कर रखा है, इसलिए अब विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम का उल्लंघन करने के आरोपों की भी जांच होगी। भास्कर के मालिक अग्रवाल बंधुओं को पता है कि आयकर विभाग की कार्यवाही अखबार पर नहीं हुई है, इसलिए छापे की कार्यवाही पर अखबार की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन केन्द्र सरकार की आलोचना के लिए भास्कर ने अमरीका के वाशिंगटन पोस्ट और द गार्जियन मीडिया का सहारा लिया है। इन दोनों विदेशी मीडिया घरानों ने भास्कर पर हुई कार्यवाही को प्रेस की स्वतंत्रता पर हमला बताया है। सब जानते हैं कि इन दोनों विदेशी मीडिया ने मोदी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। जहां तक नेताओं का सवाल है तो अखबार में नाम छपने के कारण भास्कर के समर्थन में बयान दे रहे हैं। हो सकता है कि केन्द्र सरकार को भास्कर में छपी कुछ खबरें पसंद नहीं आई हों, लेकिन सरकार से कोई व्यक्ति लड़ सकता है जो खुद साफ सुथरा हो। यदि कोई चोर किस्म का व्यक्ति सरकार की कमजोरियां गिनाने लगेगा तो फिर सरकार भी चोर को पकड़ने का काम करेगी। ऐसा नहीं हो सकता कि चोरी होती रहे और चोर कलम की ताकत दिखाकर डरता रहे। कमजोर सरकार चोरों से डरती रही होंगी, लेकिन इस समय केंद्र में नरेंद्र मोदी की सरकार है और बड़े बड़े टैक्स चोर जेल में है या फिर विदेश भाग गए हैं। यदि अग्रवाल बंधु सिर्फ अखबार का प्रकाश करते और फिर आयकर विभाग की कार्यवाही होती तो पूरा देश भास्कर के साथ होता। लेकिन अग्रवाल बंधु तो कोयले से लेकर कपड़ा और जमीन से लेकर स्कूल तक के कारोबार में फंसे हुए हैं, इसलिए अखबार को आगे रख कर बचाव नहीं हो सकता। सब जानते हैं कि वाशिंगटन पोस्ट और द गार्जियन जैसा विदेशी मीडिया मोदी सरकार के कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाने, अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की बाधाएं समाप्त करने जैसे कामों पर भी पानी फेरने में लगा हुआ है। इस कार्य में यदि भारत का कोई मीडिया टूल बनेगा तो कार्यवाही होगी ही। और फिर ऐसा मीडिया जो स्वयं चोरी कर रहा हो। अब चोरी और सीनाजोरी नहीं चलेगी। देश में ऐसी ताकतें सक्रिय हैं जो किसी न किसी तरह मोदी सरकार को बदनाम या गिराना चाहती है। सवाल उठता है कि क्या अनुच्छेद 370 को हटाना और अयोध्या में राम मंदिर बनवाना कोई गलत काम है? सामाजिक बुराई तीन तलाक पर कानून बनो का काम मोदी सरकार ही कर सकती है। आज देश को जनसंख्या नियंत्रण और सिविल कोड की सख्त जरुरत हे। भास्कर के मालिक यह अच्छी तरह समझ लें कि ऐसे सख्त कार्य मोदी सरकार ही कर सकती है। लोकतंत्र में यदि कोई व्यक्ति अथवा संस्थान बदनीयती से काम करेगी तो उसे परिणाम भी भुगतने पड़ेंगे। भास्कर के समर्थन में विदेशी मीडिया कुछ भी कहे, लेकिन पूरा देश जानता है कि आयकर विभाग की कार्यवाही अखबार पर नहीं, बल्कि समूह से जुड़ी कंपनियों पर हुई है। कौन कितनी निष्पक्ष पत्रकारिता करता है, यह पूरा देश जानता है।अजमेर में खाई पूड़ी सब्जी:वर्ष 1994-95 में भास्कर अखबार राजस्थान आया और सबसे पहले जयपुर में प्रकाशन शुरू किया। जयपुर में जो सफलता मिली, उसके बाद दूसरा संस्करण अजमेर से निकाला गया। अजमेर संस्करण शुरू होने से पहले कार्यालय खोलने, मशीन लगाने आदि के कार्यों के लिए भास्कर समूह के मालिक सुधीर अग्रवाल, गिरीश अग्रवाल, को कई बार अजमेर आना पड़ा। तब इन अग्रवाल बंधुओं ने रेलवे स्टेशन के सामने मदार गेट स्थित आगरा मिष्ठान भंडार की दुकान में बैठकर पूड़ी सब्जी का सेवन किया। ऐसा कई बार हुआ जब रात के डिनर में पूड़ी सब्जी खाई गई। प्रिंटिंग प्रेस की यूनिट को अजमेर शहर में किस तरह लगाया गया इसकी जानकारी तत्कालीन राजस्व अधिकारी सीपी कटारिया से ली जा सकती है। कटारिया अजमेर के ही रहने वाले हैं और उन्हें पता है कि वर्ष 1996 में अग्रवाल बंधुओं की स्थिति कैसी थी। S.P.MITTAL BLOGGER (23-07-2021)Website- www.spmittal.inFacebook Page- www.facebook.com/SPMittalblogFollow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11Blog- spmittal.blogspot.comTo Add in WhatsApp Group- 9799123137To Contact- 9829071511