545 सांसदों में से 350 एकजुट होने के बाद भी संसद का नहीं चलना देश के लिए दुर्भाग्यपूर्ण। क्या हंगामा करने वाले सांसदों को बाहर निकलवा कर संसद नहीं चलाई जा सकती है? लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष सीपी जोशी जैसा सख्त रवैया अपनाएं।

देश की जनता को याद होगा कि 2019 के लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी और भाजपा के बड़े नेताओं ने कहा था कि इस बार तीन सौ सीटें मिलनी चाहिए, ताकि लोकतंत्र को मजबूत किया जा सके। देश की जनता ने भाजपा को 303 सीटें दिलवाई और अब सहयोगी दलों के साथ होने की वजह से लोकसभा में 350 सांसद एकजुट हैं, लेकिन इसे दुर्भाग्यपूर्ण ही कहा जाएगा कि इतनी मजबूत स्थिति होने के बाद भी पिछले 15 दिनों से संसद ठप है। 19 जुलाई से मानसून सत्र प्रारंभ हो चुका है, लेकिन एक दिन भी संसद में काम नहीं हुआ। संसद की कार्यवाही शुरू होते ही विपक्षी दलों के कुछ सांसद अध्यक्ष के सामने खड़े होकर जोर जोर से चीखने लगते हैं और संसद को अगले दिन के लिए स्थगित कर दिया जाता है। लोकतंत्र का मंदिर माने जाने वाली संसद में ऐसा कृत्य रोज होता है। सवाल उठता है कि क्या हंगामा करने वाले सांसदों को बाहर निकाल कर संसद नहीं चलाई जा सकती है? सांसदों का काम है कि वे देश की जनता की सहूलियतों के लिए कानून बनाए तथा समस्याओं को संसद में उठाकर निदान करवाएं। लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है। विपक्ष कहता है कि हमें जनहित के मुद्दे उठाने नहीं दिए जा रहे हैं और सत्ता पक्ष का कहना है कि हम हर मुद्दे पर चर्चा कराने को तैयार है। देश की जनता यह नहीं समझ रही कि कौन झूठ बोल रहा है। जब हर मुद्दे पर चर्चा की बात कही जा रही है तो फिर संसद क्यों नहीं चल रही? 545 में से 350 सांसद होने के बाद भी यदि संसद नहीं चल रही है तो फिर लोकतांत्रिक व्यवस्था का क्या फायदा। जनता ने तो लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए ही एक ही राजनीतिक दल को 303 सीटें दिलवाई है। यदि किसी दल को चुनाव में बहुमत नहीं मिलता और फिर संसद में हंगामा होता तो जनता जिम्मेदार थी, लेकिन देश की जनता ने तो अपना काम कर दिया है, अब संसद चलाने की जिम्मेदारी उस दल की है जो सत्ता में है। हंगामा करने वाले सांसदों को बाहर निकालने की जिम्मेदारी भी सत्तापक्ष की ही है।जोशी से सीख लें:लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को राजस्ािान विधानसभा के अध्यक्ष सीपी जोशी से सीख लेनी चाहिए। राजस्थान में अशोक गहलोत के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार चल रही है। सीपी जोशी भी नाथद्वारा से कांग्रेस उम्मीदवार के तौर पर ही विधायक बने हैं। विधानसभा में भाजपा या अन्य विपक्षी दल के विधायक की इतनी हिम्मत नहीं कि वह विधानसभा अध्यक्ष के सामने आकर हंगामा करें। यदि कोई विधायक ऊंची आवाज में भी बोलता है तो सीपी जोशी सत्ता पक्ष को निर्देश देकर निलंबन का प्रस्ताव रखते हैं और स्वयं आदेश देकर हंगामा करने वाले विधायक को बाहर निकलवा देते हैं। लोकसभा में तो ओम बिरला सांसदों के समक्ष निवेदन ही करते रहते हैं, लेकिन राजस्थान विधानसभा में तो सीपी जोशी स्वयं खड़े होकर किसी को भी बोलने नहीं देते हैं। जोशी का कहना है कि जब अध्यक्ष स्वयं खड़े हैं तो कोई भी सदस्य आवाज नहीं खोल सकता। जोशी के सख्त रुख के कारण ही राजस्थान में विधानसभा का संचालन सुचारू तरीके से होता है। सवाल उठता है कि कांग्रेस शासित राजस्थान की विधानसभा में हंगामा करने वाले सदस्यों को तत्काल बाहर निकाल दिया जाता है, तब लोकसभा में ऐसे सदस्यों को बाहर क्यों नहीं निकाला जाता? आखिर संसदीय परंपराएं तो एक सी हैं। मालूम हो कि लोकसभा पर एक दिन में 9 करोड़ और राज्यसभा पर 5 करोड़ रुपए खर्च होते हैं। यानी पिछले 15 दिनों से प्रतिदिन 14 करोड़ रुपए व्यर्थ हो रहे हैं। यह पैसा जनता का है। S.P.MITTAL BLOGGER (01-08-2021)Website- www.spmittal.inFacebook Page- www.facebook.com/SPMittalblogFollow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11Blog- spmittal.blogspot.comTo Add in WhatsApp Group- 9799123137To Contact- 9829071511

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