तालिबानी सोच के समर्थकों को इस बार भारतीय मुसलमानों ने ही चुनौती दी है। कब्जे के बाद तालिबान का अफगानिस्तान में सरकार बनाना आसान नहीं।
16 अगस्त को जब तालिबान के लड़ाकां ने अफगानिस्तान की राजधानी काबुल पर कब्जा किया था, तब भारत में भी कुछ मुस्लिम नेता तालिबान के समर्थन में आए थे। तालिबानियों को नेक और शरीफ बताते हुए अफगानिस्तान से अमरीका की सेना को खदेड़ने को उचित बताया गया। लेकिन अब भारत के अनेक मुस्लिम नेताओं ने तालिबान के तौर तरीकों की आलोचना की है। ऐसे नेताओं का कहना है कि तालिबानी सोच मानवता खास कर महिलाओं के खिलाफ है। अब न्यूज चैनलों पर भी मुस्लिम नेता खुलेआम तालिबान की आलोचना कर रहे हैं। राजनीति से जुड़े नेता कुछ भी कहें, लेकिन अनेक मुस्लिम धर्मगुरुओं और विद्वानों ने तालिबानी सोच की कड़ी निंदा की है। सब जानते हैं कि तालिबानी अपनी सोच के अनुरूप कानून बनाते हैं। ऐसे कानूनों में महिलाओं को कोई स्वतंत्रता नहीं होती है। जबकि भारत में महिलाओं को भी पुरुषों के बराबर अधिकार मिले हुए हैं। अब तो सेना में भर्ती होने के लिए एनडीए में लड़कियों को प्रवेश देने की भी अनुमति हो गई है। भारत में यह सब अधिकार मुस्लिम लड़कियों को भी मिले हुए हैं। तालिबान भले ही लड़कियों के लिए स्कूल कॉलेज की पढ़ाई का विरोधी हो, लेकिन भारत में मुस्लिम लड़कियां भी कॉन्वेंट स्कूल कॉलेजों में पढ़ रही हैं। भारत के कुछ अभिनेताओं और सिफारिश से अवार्ड लेने वालों को भले ही अपने देश में असहिष्णुता नजर आती हो, लेकिन अफगानिस्तान पाकिस्तान, बांग्लादेश, दुबई आदि मुस्लिम देशों की मुस्लिम लड़कियां उच्च शिक्षा के लिए भारत में दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, जयपुर, इंदौर, लखनऊ जैसे महानगरों में अध्ययन कर रहे हैं। ऐसी मुस्लिम लड़कियां कॉलेजों में हिन्दू छात्रों के साथ निर्भय होकर पढ़ रही हैं। कभी भी किसी मुस्लिम छात्रा को डर नहीं लगा, बल्कि मुस्लिम छात्राएं अपने देश से ज्यादा स्वयं को भारत में सुरक्षित महसूस करती हैं। भारत में हर किसी के लिए स्वतंत्रता का जो माहौल है, उसमें खुशहाली और विकास नजर आता है। आज तालिबान के डर से अफगानिस्तान की महिलाएं भले ही अपनी बच्चियों को अमरीकी और ब्रिटिश सैनिकों को सौंप रही हों, लेकिन भारत में पहले से ही अफगानी लड़कियां पढ़ाई कर रही हैं। दुनिया में यदि सही मायने में मुसलमानों की खुशहाली और स्वतंत्रता देखनी है, उसका सबसे बड़ा उदाहरण भारत है। यहां हर नागरिक बिना किसी भेदभाव के रहता है। कोरोना के वैक्सीन यदि हिन्दू समुदाय को मुफ्त लगेगी तो यह सुविधा मुस्लिम समुदाय को भी मिलेगी। राशन की दुकान से मुफ्त में सामग्री भी हर नागरिक ले सकता है। तालिबानियों का कब्जा करते ही अफगानिस्तान से पहले इस्लामी अमीरात शब्द जोड़ दिया हो, लेकिन भारत में अफगानी नागरिकों को पूर्ण सुरक्षा दी जा रही है। वोट बैंक की राजनीति के कारण कुछ लोग भले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मुस्लिम विरोधी बताते हों, लेकिन इन्हीं नरेंद्र मोदी ने अफगानिस्तान के विकास के करोड़ों रुपए का निवेश किया है। आज भी हमारे प्रोजेक्ट अफगानिस्तान में चल रहे हैं। भारत में मुसलमानों का जो मान सम्मान है वैसा तो उस पाकिस्तान मं भी नहीं है जो मुस्लिम धर्म के आधार पर भारत से अलग हुआ था।आसान नहीं सरकार बनाना:तालिबान ने जिस तेज से अफगानिस्तान पर कब्जा किया, अब उस तेजी से सरकार बनाना आसान नहीं है। तालिबान के नेता मुल्ला अब्दुल बरादर के नेतृत्व को चुनौती देने के लिए अन्य कट्टरपंथी संगठन भी खड़े हो गए हैं। तालिबान के लड़कों ने जो लूटपाट और दहशत फैलाई, उससे कई प्रांतों में अफगान सेना के जवान भी हथियार लेकर खड़े हो गए है। इससे अफगानिस्तान में अराजकता का माहौल हो गया है। पाकिस्तान और चीन को छोड़ कर कोई भी देश अफगानिस्तान में सीधा दखल नहीं दे रहा है। मौजूदा हालातों से प्रतीत होता है कि अफगानिस्तान पर अब किसी का भी नियंत्रण नहीं है। अधिकांश देश किसी भी तरह से अपने नागरिकों को अफगानिस्तान से बाहर निकालना चाहते हैं। काबुल एयरपोर्ट पर अभी भी अमरीका और ब्रिटिश सेना का कब्जा है, इसलिए हर विदेशी नागरिक किसी भी तरह एयरपोर्ट क अंदर प्रवेश चाहता है। भारत भी अपने फंसे नागरिकों को निकालने का प्रयास कर रहा है। S.P.MITTAL BLOGGER (20-08-2021)Website- www.spmittal.inFacebook Page- www.facebook.com/SPMittalblogFollow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11Blog- spmittal.blogspot.comTo Add in WhatsApp Group- 9799123137To Contact- 9829071511