अलवर नगर परिषद की सभापति बीना गुप्ता के ट्रेप होने से कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव और उत्तर प्रदेश की स्क्रीनिंग कमेटी के अध्यक्ष भंवर जितेंद्र सिंह की राजनीति को झटका। वाकई एसीबी की इस कार्यवाही पर राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को शाबाशी मिलनी चाहिए।

22 नवंबर को जब जयपुर में मंत्रियों के विभागों का बंटवारा हो रहा था, तब अलवर नगर परिषद की कांग्रेसी सभापति बीना गुप्ता को रंगे हाथों पकडऩे की कार्यवाही हो रही थी। एसीबी के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक बजरंग सिंह शेखावत के नेतृत्व में हुई कार्यवाही में बीना गुप्ता को और उनके पुत्र कुलदीप को 80 हजार रुपए की रिश्वत लेते गिरफ्तार कर लिया गया। यह रिश्वत नगर परिषद में ही ई नीलामी प्रक्रिया के कम्प्यूटर ऑपरेटर से ली जा रही थी। नीलामी की प्रक्रिया का काम ठेके पर है। ठेके का कमीशन राशि के भुगतान के एवज में ही रिश्वत ली जा री थी। वैसे तो सरकारी भुगतान और परिष्ज्ञद के कामकाज में आयुक्त की महत्वपूर्ण भूमिका होती है, लेकिन बीना गुप्ता के राजनीतिक दबदबे के कारण अलवर नगर परिषद में सभापति की सहमति के बगैर पत्ता भी नहीं हिलता है। बीना गुप्ता की सिफारिश से ही परिषद में अधिकारियों की नियुक्ति होती है। जो अधिकारी इशारा नहीं समझता है उसका तबादला करवा दिया जाता है। सवाल उठता है कि बीना गुप्ता के पास इतनी ताकत कहां से आई? सब जानते हैं कि बीना गुप्ता की सभापति के पद पर ताजपोशी में अलवर के पूर्व सांसद और मौजूदा समय में कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव भंवर जितेंद्र सिंह की महत्त्वपूर्ण भूमिका रही। कांग्रेस के भंवर सिंह जितेंद्र सिंह के रुतबे का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि असम व उड़ीसा के प्रभारी होते हुए उन्हें उत्तर प्रदेश में कांग्रेस स्क्रीनिंग कमेटी का अध्यक्ष बनाया गया है। यानी भंवर जितेंद्र सिंह कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी के भी निकट है। इतने रौब रुतबे के बाद भी यदि एसीबी सभापति बीना गुप्ता को रंगे हाथों पकड़ ले तो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को शाबाशी मिलनी ही चाहिए। एसीबी मुख्यमंत्री गहलोत के अधीन ही काम करती है। गहलोत ने मंत्रिमंडल के ताजा पुनर्गठन में भी गृह विभाग अपने पास रखा है। एसीबी के पुलिस महानिदेशक बीएल सोनी सीधे अशोक गहलोत को ही रिपोर्ट करते हैं। बीना गुप्ता पर हुई कार्यवाही से जाहिर है कि मुख्यमंत्री ने भ्रष्ट राजनेताओं को पकडऩे की पूरी छूट एसीबी को दे रखी है। इसमें सत्तारूढ़ पार्टी के जनप्रतिनिधियों को भी नहीं बख्शा जा रहा है। बीना गुप्ता को पकडऩे के लिए एसीबी ने यह कार्यवाही एक दिन में नहीं की बल्कि पिछले छह माह से निगरानी की जा रही थी। एसीबी के अधिकारियों को भी पता था कि बीना गुप्ता का राजनीतिक प्रभाव जबर्दस्त है। इसीलिए सभी सबूत एकत्रित करने के बाद प्रभावी कार्यवाही की गई। छह माह तक सूचनाओं को गोपनीय रखने के लिए एसीबी के डीजी बीएल सोनी और एसपी बजरंग सिंह शेखावत को भी शाबाशी मिलनी चाहिए। एसीबी की इस कार्यवाही से कांग्रेस की राजनीति दिल्ली तक हिल गई है। इससे कांग्रेस के राष्ट्रीय नेता भंवर जितेंद्र सिंह की राजनीति को झटका लगा है। अलबत्ता बीना गुप्ता के ट्रेन होने से अलवर शहर में खुशी का माहौल है, क्योंकि कांग्रेस पार्षदों के कार्य भी लेन-देन के बगैर नहीं हो रहे थे। प्रभावी राजनीतिक संरक्षण के कारण बीना गुप्ता के खिलाफ कोई सुनवाई नहीं हो रही थी। S.P.MITTAL BLOGGER (23-11-2021)Website- www.spmittal.inFacebook Page- www.facebook.com/SPMittalblogFollow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11Blog- spmittal.blogspot.comTo Add in WhatsApp Group- 9799123137To Contact- 9829071511

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