लड़कियों के विवाह की उम्र 21 वर्ष करने पर इतना हंगामा क्यों? 21 वर्ष की उम्र तक तो लड़कियां कॉलेज में पढ़ाई ही करती हैं। फिर करियर बा न ने की भाग दौड़ में उम्र 27 के पार हो जाती है। यह कानून उन लड़कियों को राहत देगा जो पढ़ने के लिए कॉलेज नहीं पहुंच पातीं।

अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली समाजवादी पार्टी कें सांसद शफीकुर्रहमान ने कहा कि यदि लड़कियों के विवाह की उम्र 21 वर्ष कर दी गई तो इससे समाज में लड़कियों की आवारगी बढ़ेगी। शफीकुर्रहमान की तरह ही कई राजनेताओं ने विवाह की उम्र 21 वर्ष करने के प्रस्ताव का विरोध किया है। जो समाजवादी पार्टी स्वयं को प्रगतिशील बताती है उसके सांसद की लड़कियों के बारे में ऐसी सोच का जवाब तो अखिलेश यादव ही दे सकते हैं, लेकिन यह सही है कि लड़कियों के विवाह की उम्र कानूनन 21 वर्ष करने के लिए नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली मंत्रियों की कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है और अब संसद के इसी शीतकालीन सत्र में प्रस्ताव को कानून बना दिया जाएगा। सवाल उठता है कि लड़कियों के विवाह की उम्र 21 वर्ष करने पर इतना हंगामा क्यों हो रहा है? जिन परिवारों में लड़कियों को पढ़ाया जा रहा है, वहां 21 वर्ष तक तो लड़कियां कॉलेज में ही पढ़ती रहती है। अब पढ़ाई पहली कक्षा से नहीं बल्कि नर्सरी से शुरू होती है। 4-5 वर्ष की उम्र में नर्सरी कक्षा में प्रवेश के बाद पहली कक्षा में आते आते लड़की की उम्र 6-7 वर्ष की हो जाती हैै। कॉलेज में पढ़ाई करते हुए उम्र 21 वर्ष हो जाती है। इसके बाद करियर बनाने की चिंता में उम्र 27 या 30 के पार हो जाती है। जो लड़की कॉलेज तक पहुंचती है वह 21 वर्ष की उम्र में भी विवाह के लिए तैयार नहीं होती है। शफीकुर्रहमान जैसे जनप्रतिनिधियों को यह समझना चाहिए कि अब समाज में लड़का और लड़की में कोई भेद नहीं है। लड़कियां भी लड़कों की तरह पढ़ लिखकर अच्छा रोजगार प्राप्त करना चाहती हैं। सरकार भले ही विवाह की उम्र 21 वर्ष कर दे, लेकिन कॉलेज में पढ़ने के बाद कोई भी लड़की 21 वर्ष की उम्र में शादी नहीं करेगी। असल में यह कानून उन लड़कियों के लिए लाया गया है जो स्कूल में 10वीं कक्षा तक भी नहीं पहुंच पाती है। भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी लड़कियों की पढ़ाई से ज्यादा विवाह की चिंता होती है। ग्रामीण क्षेत्रों में अभी भी 15 वर्ष की उम्र में लड़कियों की शादी हो रही है। हालांकि अभी कानून लड़कियों के विवाह की उम्र 18 वर्ष है, लेकिन इसके बाद भी 15 वर्ष की उम्र में विाह या निकाह हो रहे हैं। अब यदि 21 वर्ष का कानून बन जाता है तो इससे लड़कियों को बड़ी राहत मिलगी। 21 वर्ष की उम्र से पहले विवाह या निकाह के लिए कोई जोर जबर्दस्ती नहीं कर सकता है। यदि कोई ऐसा करेगा तो उसे कानून तोडऩे के आरोप में जेल जाना पड़ेगा। लड़कियों का जल्द विवाह एक सामाजिक बुराई है। कम उम्र में विवाह होने से लड़कियों को भी अनेक शारीरिक कष्ट होते हैं। यह माना कि सामाजिक व्यवस्था में विवाह या निकाह जरूरी है। हर माता पिता चाहता है कि उसकी बेटी ससुराल में अच्छी तरह से रहे, लेकिन इसके लिए जरूरी है कि लड़की का विवाह 21 वर्ष की उम्र के बाद ही हो। जब हम महिलाओं को आधी आबादी मानते हैं तो फिर पुरुषों के बराबर सम्मान भी मिलना चाहिए। शफीकुर्रहमान जैसे राजनेताओं को अब यह धारणा बदलनी होगी कि लड़कियां सिर्फ बच्चे पैदा करने के लिए होती है। भारत में अब लड़कियां देश की सुरक्षा का काम भी कर रही है। अब समय आ गया है, जब हमें लड़कियों को बराबर का दर्जा देना ही पड़ेगा। केंद्र सरकार ने लड़कियों के विवाह की उम्र 21 वर्ष करने का जो फैसला किया है, वह वाकई सराहनीय है। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में लड़कियों पर अत्याचार भी रुकेंगे। पूर्व में जब तीन तलाक पर कानून बनाया गया था, तब भी शफीकुर्रहमान जैसे राजनेताओं ने ही विरोध किया था। लेकिन आज तीन तलाक से पीडि़त मुस्लिम महिलाएं अपने कानूनी हक से लड़ाई लड़ रही है। अब पहले ही तरह एक झटके में निकाह को खत्म नहीं किया जा रहा है। लड़कियां अपने हक के लिए पुलिस में मुकदमा दर्ज करवा रही है। 

S.P.MITTAL BLOGGER (18-12-2021)

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