राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत बताएं कि ऐसे हिन्दू राष्ट्र की बात किसने कहीं, जिसमें अन्य धर्मों के लोग नहीं रह सकते। जब कश्मीर और पश्चिम बंगाल में हिन्दुओं की हत्याएं की जाती है, तब अशोक गहलोत जैसे राजनेता क्यों चुप रहते हैं।
19 दिसंबर को राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि हिन्दू राष्ट्र बनाने की बातें करने वाले यह तो बताएं कि अन्य धर्मों के लोगों को कहां निकालेंगे? हालांकि समारोह सरकारी था, लेकिन गहलोत का पूरा भाषण राजनीति और हिन्दुत्व पर केंद्रित रहा। गहलोत ने यह भी कहा कि धर्म के नाम पर नरेंद्र मोदी ने केंद्र की सत्ता हासिल की है। अन्य धर्मों के लोग कहां जाएंगे, यह सवाल उठाने से पहले अशोक गहलोत को यह बताना चाहिए कि ऐसे हिन्दू राष्ट्र बनाने की बात किसने कही, जिसमें अन्य धर्मों के लोग नहीं रह सकेंगे। क्या यह बात देश के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री या फिर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कही? या फिर यह सवाल अशोक गहलोत के दिमाग की उपज है? सब जानते हैं कि राजस्थान में गहलोत किस नजरिए से बयान देते हैँ। शायद गहलोत को अपनी ही सनातन संस्कृति पर भरोसा नहीं है। जिस हिन्दुत्व को लेकर गहलोत सवाल उठा रहे हैं, वह हिंदुत्व सनातन संस्कृति की ही देन है और सनातन संस्कृति ही एकमात्र ऐसी संस्कृति है जिसमें सभी धर्मो का सम्मान है। जब हमारी सनातन संस्कृति में सभी धर्मों का सम्मान है तो फिर अन्य धर्म के लोगों को बाहर निकालने का सवाल ही नहीं उठता। नरेंद्र मोदी पिछले सात वर्षों से देश के प्रधानमंत्री हैं और प्रधानमंत्री भी ऐसे जिन्हें 545 में से 350 सांसदों का समर्थन है। 303 सांसद तो मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा के ही है। अशोक गहलोत बताएं कि पिछले सात वर्ष में मोदी ने ऐसा कौन सा काम किया जो अन्य धर्मों के खिलाफ हो? उल्टे सभी धर्मों का सम्मान करने के लिए सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और अब सबका प्रयास का नारा लगाया है। देश में मुसलमान हो या ईसाई, सभी धर्मों के लोगों के सामने नरेंद्र मोदी की नीयत तो साफ है, लेकिन अशोक गहलोत जैसे कांग्रेस के नेता किस नीयत से सवाल उठा रहे हैं, यह पूरादेश देख रहा है। अफसोसनाक बात तो यह है कि अशोक गहलोत अपनी पार्टी की दुर्दशा की ओर नहीं देख रहे हैं। लोकसभा में 545 में से कांग्रेस के सिर्फ 52 सांसद हैं। अशोक गहलोत जिस राजस्थान के मुख्यमंत्री हैं, वहां भी 25 में से कांग्रेस का एक भी सांसद नहीं है। मई 2019 में लोकसभा का चुनाव हुआ था, जब गहलोत ही मुख्यमंत्री थे। गहलोत अपने गृह जिले जोधपुर से अपने पुत्र वैभव गहलोत तक को चुनाव नहीं जितवा सके। मुख्यमंत्री के पुत्र की हार चार लाख मतों से हुइ। यह माना कि अशोक गहलोत गांधी परिवार के प्रति वफादार हैं, लेकिन गहलोत को अपनी सनातन संस्कृति पर सवाल उठाने से बचना चाहिए। असली सवा तो यह है कि जब कश्मीर और पश्चिम बंगाल में हिन्दुओं की हत्याएं होती हैं तो अशोक गहलोत जैसे राजनेता चुप क्यों हो जाते हैं? क्या हिन्दुओं की हत्याओं के कोई मायने नहीं है? अशोक गहलोत जैसे नेताओं को अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे से सबक लेना चाहिए। गहलोत जिन नरेंद्र मोदी पर धर्म की राजनीति करने के आरोप लगा रहे हैं, उन्हीं मोदी ने काबुल एयरपोर्ट से हजारों मुसलमानों को सुरक्षित बाहर निकाला है। S.P.MITTAL BLOGGER (20-12-2021)Website- www.spmittal.inFacebook Page- www.facebook.com/SPMittalblogFollow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11Blog- spmittal.blogspot.comTo Add in WhatsApp Group- 9799123137To Contact- 9829071511