कोरोना संक्रमण पर मंत्रियों का विरोधाभास राजस्थान को नुकसान पहुंचाएगा। ओपन वीसी में मुख्यमंत्री पद की गरिमा का भी ख्याल नहीं रख रहे हैं मंत्री। पूर्व मंत्री और भाजपा विधायक वासुदेव देवनानी ने गहलोत सरकार के रवैए पर चिंता जताई। महाराष्ट्र में 10 मंत्री और 20 विधायक कोरोना संक्रमित। राजस्थान में भी चार विधायकों की मृत्यु हो चुकी है।
पूर्व मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ विधायक वासुदेव देवनानी ने कहा कि कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए मंत्रियों के बीच जो विरोधाभास है, उससे राजस्थान के लोगों को भारी नुकसान होगा। 31 दिसंबर को मंत्रियों और जनप्रतिनिधियों की ओपन वीसी में मंत्रियों के बी जो विरोधाभास देखने को मिला, वह चिंताजनक है। इस बैठक में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत स्वयं उपस्थित थे, लेकिन बोलने में मंत्रियों ने मुख्यमंत्री पद की गरिमा का भी ख्याल नहीं रखा। मंत्रियों का रवैया घमंड पूर्व देखा गया। खाद्य मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने मुख्यमंत्री से साफ कहा कि यदि धार्मिक स्थलों पर रोक नहीं लगाई जाती है तो फिर शादी ब्याह के समारोहों को भी नहीं रोका जाए। शादी ब्याह के समारोहों से हजारों गरीब लोगों को रोजगार मिलता है। देवनानी ने कहा कि एक मंत्री का यह कथन दर्शाता है कि सरकार को किस तरह डिटेक्ट कर रहे हैं। देवनानी ने कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत बार बार कहते हैं कि प्रदेश में सत्ता विरोधी लहर नहीं है, जबकि 31 दिसंबर की बैठक में चिकित्सा मंत्री परसादी लाल मीणा ने साफ कहा कि कोरोना संक्रमण के दौरान 31 दिसंबर को नववर्ष का जश्न मनाने के लिए जो छूट दी गई, उसमें सरकार के प्रति नकारात्मक प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं। लोगों की राय रही कि सरकार खुद संक्रमण को बढ़ावा दे रही है। कुछ ही प्रतिक्रिया जलदाय मंत्री महेश जोशी की भी थी। अपने मंत्रियों की राय से गहलोत को अपनी सरकार की स्थिति का अंदाजा लगा लेना चाहिए। देवनानी ने कहा कि बढ़ते संक्रमण को देखते हुए अधिकांश राज्यों ने नववर्ष के जश्न को रोकने के लिए नाइट कर्फ्यू लगा दिया था, लेकिन राजस्थान छूट रखी गई, इसलिए पड़ोसी राज्यों के लाखों लोग नव वर्ष का जश्न मनाने के लिए राजस्थान आ गए। अब जब राजस्थान में कोरोना विकराल रूप ले रहा है, तब 3 जनवरी से पाबंदियां लगाने की बात कही जा रही है। अच्छा होता कि ऐसी पाबंदियां समय रहते लगाई जातीं। देवनानी ने कहा कि 31 दिसंबर को हुई बैठक से प्रतीत होता है कि कोरोना के संक्रमण को रोकने के लिए मुख्यमंत्री और मंत्रियों में आम सहमति नहीं है। कई मंत्री तीन जनवरी से पाबंदियां लगाने के खिलाफ हैं। ऐसा प्रतीत हो रहा है कि मंत्रियों के बीच सत्ता संघर्ष हो रहा है और अशोक गहलोत कमजोर मुख्यमंत्री साबित हो रहे हैं। सरकार चलाने की मजबूरी के कारण अशोक गहलोत अपने मंत्रियों पर नियंत्रण नहीं कर पा रहे हैं।
महाराष्ट्र में संक्रमण बेकाबू:
महाराष्ट्र में कोरोना का संक्रमण बेकाबू हो गया है। उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली सरकार ने मान लिया है कि अब कोरोना की तीसरी लहर आ गई है। एक जनवरी को सरकार की ओर से ही बताया गया कि 10 मंत्री और 20 विधायक कोरोना संक्रमित हो गए हैं। सरकार का मानना है कि तीसरी लहर तबाही मचाएगी। देश में इस समय महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा हालत खराब हैं। मालूम हो कि राजस्थान में भी कोरोना संक्रमण से चार विधायकों की मृत्यु हो चुकी है। प्रदेश में कोरोना संक्रमण तेजी से फैल रहा है। संक्रमित व्यक्तियों की संख्या लगातार बढ़ रही है। सरकार ने नव वर्ष मनाने की जो छूट दी उसका फायदा लोगों ने जमकर उठाया है। धार्मिक और पर्यटन स्थलों पर जबरदस्त भीड़ देखी जा रही है। भीड़ ने न तो सोशल डिस्टेंसिंग की पालना हो रही है और न ही लोगों ने मास्क लगा रखा है। यानी कोविड-19 के नियमों की पालना नहीं हो रही है। चिकित्सा वैज्ञानिकों का मानना है कि नव वर्ष के मौके पर जिस तरह राजस्थान में भीड़ देखी गई है, उससे आने वाले दिनों में संक्रमित व्यक्तियों का विस्फोट होगा।
S.P.MITTAL BLOGGER (01-01-2022)Website- www.spmittal.inFacebook Page- www.facebook.com/SPMittalblogFollow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11Blog- spmittal.blogspot.comTo Add in WhatsApp Group- 9799123137To Contact- 9829071511