प्रसिद्धि प्राप्त करने की कोई उम्र नहीं होती। अजमेर के किसान उम्मेद सिंह राठौड़ को 70 वर्ष की उम्र में मिली ख्याति। उम्मेद सिंह राठौड़ के किसानी के काम पर बनी लघु फिल्म को एक वर्ष में 27 अंतर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय अवार्ड मिल चुके है। आम भी देख सकते हैं यह प्रेरणादायक फिल्म।
40 या फिर 50 की उम्र पार करने के बाद बहुत से लोग सोचते हैं कि अब प्रसिद्धि पाने की उम्र गुजर गई। इसलिए जो चल रहा है उसे ही चलाया जाए। ऐसे लोग कुछ नया करने में रुचि नहीं रखते। यह सही है कि जीवन में सबसे बड़ा आनंद संतोष का है, लेकिन संतोष प्रवृत्ति वाले व्यक्तियों को भी कर्म करते रहना चाहिए। न जाने कब ईश्वर की कृपा हो जाए और आप रातों रात मशहूर इंसान बन जाएं। ऐसा ही कुछ राजस्थान के अजमेर जिले की भिनाय तहसील के सिंगावल गांव निवासी 70 वर्षीय किसान उम्मेद सिंह राठौड़ के साथ हुआ है। यूं तो उम्मेद सिंह बचपन से ही खेती में नए नए प्रयोग कर रहे थे, लेकिन उनके किसानी के काम को प्रसिद्धि अअब मिली है। गत वर्ष मुंबई के कृति प्राडक्शन के रोहित गुप्ता को उम्मेद सिंह के कृषि अनुसंधानों की जानकारी हुई तो वे सिंगावल गांव आए और उम्मेद सिंह के कार्यों का बारीकी से अध्ययन किया। इसके बाद रोहित गुप्ता ने 45 मिनट की लघु फिल्म एक राजपूत किसान बनाई। अब जब पिछले कुछ वर्षों से किसान की आय दोगुनी करने का अभियान चलाया जा रहा है, तब उम्मेद सिंह के किसानी कार्य पर बनी लघु फिल्म हाथों हाथ हिट हो गई। यही वजह है कि किसान उम्मेद सिंह भी 70 वर्ष की उम्र में प्रसिद्ध हो गए। जयपुर में होने वाले इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में 11 जनवरी को आईनॉक्स सिनेमा घर में यह फिल्म दिखाई जाएगी। इससे पहले 7 जनवरी को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी उम्मेद सिंह का सम्मान करेंगे। एक राजपूत किसान फिल्म को मात्र एक वर्ष की अवधि में 27 अंतर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय पुरस्कार मिल चुके हैं। इतनी प्रसिद्धि मिलने पर उम्मेद सिंह का कहना है कि मैंने तो अपना काम किया है, फल तो ईश्वर ने दिया है। जहां तक कृषि से आय का सवाल है तो यदि खेती का काम वैज्ञानिक तरीके से किया जाए तो आमदनी दोगुनी से भी ज्यादा हो सकती है। कृषि के क्षेत्र में बदलाव बहुत आसानी से हो सकते हैं। किसानों को अब रासायनिक खेती के बजाए प्राकृतिक खेती पर जोर देना चाहिए। आने वाला समय में प्राकृतिक खेती का ही है। खेती के काम में लागत जितनी कम होगी, उतना किसान को फायदा होगा। प्राकृतिक खेती पशु धन से ही हो जाती है। प्राकृतिक खेती से पशु धन की देखभाल भी हो रही है। कम लागत में अच्छी और अधिक उपज कैसे ली जा सकती है, यह सिंगावल आकर देखा जा सकता है। उम्मेद सिंह के पुत्र और भीलवाड़ा के जिला परिवहन अधिकारी वीरेंद्र सिंह राठौड़ ने बताया कि किसानी के काम से ही उनके पिता ने पूरे परिवार को पाला है। अब सिंगावल गांव में ही 10 बीघा भूमि पर राजस्थान का पहला और आधुनिक ड्राइविंग प्रशिक्षण सेंटर तैयार हो रहा है। यह काम सड़क सुरक्षा सोसायटी के माध्यम से हो रहा है। करीब साढ़े पांच करोड़ रुपए की लागत से बनने वाले इस सेंटर में सड़क दुर्घटनाओं पर रोकथाम की जानकारी दी जाएगी। पिता की किसानी के कार्यों की और अधिक जानकारी मोबाइल नम्बर 9414414218 पर वीरेंद्र सिंह राठौड़ से ली जा सकती है। राठौड़ ने सड़क दुर्घटना पर पीएचडी भी की है। उम्मेद सिंह के दूसरे पुत्र पवन ऊर्जा के प्रोजेक्ट मैनेजर डॉ. भवानी सिंह राठौड़ ने बताया कि कृति प्राडक्शन में तैयार लघु फिल्म को https://shorted.in/short-films/ek-rajput-kisan-the-real-story/ पर देखा जा सकता है। इस फिल्म के बारे में और अधिक जानकारी मोबाइल नंबर 6352103711 पर भवानी सिंह राठौड़ से ली जा सकती है।
S.P.MITTAL BLOGGER (05-01-2022)Website- www.spmittal.inFacebook Page- www.facebook.com/SPMittalblogFollow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11Blog- spmittal.blogspot.comTo Add in WhatsApp Group- 9799123137To Contact- 9829071511