यदि आरक्षित वर्ग के आईएएस और आरएएस ही एसीबी के निशाने पर होते तो राजस्थान की आरएएस एसोसिएशन मुख्य सचिव के पास नहीं जाती। भ्रष्टाचार के मुद्दे पर कोई आड़ नहीं लेनी चाहिए। एसीबी तो सामान्य वर्ग के अफसरों को भी पकड़ती है।
राजस्थान में तैनात आरक्षित वर्ग (एससी एसटी) के अधिकारियों को शिकायत है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के अधीन काम करने वाला भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) सिर्फ आरक्षित वर्ग को ही टारगेट कर रहा है। आरक्षित वर्ग के आईएएस और आरएएस को धड़ाधड़ पकड़ा जा रहा है। आरक्षित वर्ग के अधिकारियों के विरुद्ध एसीबी द्वेषतापूर्ण तरीके से काम कर रही है। मुख्यमंत्री से एसीबी को नियंत्रित करने की मांग की गई। मालूम हो कि प्रदेश गृह विभाग मुख्यमंत्री के पास ही है। ऐसे में एसीबी सीधे तौर पर मुख्यमंत्री के अधीन ही काम करती है। आरक्षित वर्ग के अधिकारियों के आरोप कितने सही है, यह तो विस्तृत जांच पड़ताल के बाद ही पता चलेगा, लेकिन यह सही है कि एसीबी में बीएल सोनी (डी जी), दिनेश एमएन (एडीजी) और बजरंग सिंह शेखावत की एएसपी के पद पर नियुक्ति होने के बाद से भ्रष्टाचारियों के खिलाफ कार्यवाही ज्यादा हुई है। एसीबी की प्राथमिक पड़ताल में जो भी अधिकारी फंसा उसे सबूतों के आधार पर गिरफ्तार किया गया। इनमें कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक स्तर तक के अधिकारी भी शामिल रहे। जब आईएएस, आईपीएस, आरएएस और आरपीएस स्तर के अधिकारी स्वयं ही दलालों से डील कर रहे होते हैं तो एसीबी क्या सकती है? हाल में अलवर कलेक्टर नन्नूमल पहाडिय़ा (आरक्षित वर्ग) को पांच लाख रुपए की रिश्वत के प्रकरण में गिरफ्तार किया तो पता चला कि पहाडिय़ा खुद ही दलाल से संवाद कर रहे हैं। रिश्वत की राशि किस आरएएस को देनी है, यह भी बता रहे हैं। एसीबी ने सामान्य वर्ग के दौसा के एसपी मनीष अग्रवाल को भी पकड़ा है। यदि सिर्फ आरक्षित वर्ग के अधिकारी ही एसीबी के निशाने पर होते तो गत 28 अप्रैल को आरएएस एसोसिएशन के अध्यक्ष गौरव बजाड़ कार्यकारी अध्यक्ष अजय अग्रवाल और पूर्व अध्यक्ष शाहीन अली 70 आरएएस के साथ मुख्य सचिव श्रीमती उषा शर्मा से मिलने नहीं जाते? बजाड़, अग्रवाल और शाहीन अली तीनों ही आरक्षित वर्ग के नहीं है, लेकिन इन तीनों ने आरएएस अधिकारी भागचंद बघाल के प्रकरण में एसीबी की कार्यवाही का विरोध किया। एसोसिएशन के पदाधिकारियों का कहना रहा कि एसीबी के अधिकारियों का कई मौकों पर व्यवहार अच्छा नहीं होता है। एसोसिएशन का दबाव ही था कि मुख्य सचिव उषा शर्मा को एसीबी के एडीजी दिनेश एमएन को वार्ता के लिए बुलाना पड़ा। जो अधिकारी आरक्षित वर्ग का मुद्दा उठा रहे हैं, उन्हें यह भी समझना चाहिए कि बजाड़, अग्रवाल और शाहीन तीनों ही मुख्यमंत्री सचिवालय में नियुक्त हैं। आरएएस एसोसिएशन ने आरक्षित वर्ग का मुद्दा उठाने के बजाए सभी वर्गों के अधिकारियों का मुद्दा उठाया। एसीबी को अपने व्यवहार में सुधार करने की जरूरत हो तो जरूर करनी चाहिए, लेकिन सवाल उठता है कि अधिकारी वर्ग इतना भ्रष्ट क्यों होता है? यदि एक कंपनी से कलेक्टर स्तर का अधिकारी प्रतिमाह 10 लाख रुपए की रिश्वत लेगा तो भ्रष्टाचार का अंदाजा लगाया जा सकता है। कलेक्टर रिश्वत लेगा तो पटवारी तक बंदरबांट होगी। भ्रष्टाचार करने में कोई पीछे नहीं है। जिसे मौका मिलता है, वह लूट में शामिल हो जाता है। हालांकि अब रिश्वत लेने वाले अधिकारी भी काफी सतर्क हो गए हैं। एसीबी की होशियारी को देखते हुए रिश्वत बहुत ही गोपनीय और नए तौर तरीको से ली जा रही है। भ्रष्ट अधिकारी मोबाइल फोन का इस्तेमाल करने से बचते हैं।
S.P.MITTAL BLOGGER (02-05-2022)Website- www.spmittal.inFacebook Page- www.facebook.com/SPMittalblogFollow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11Blog- spmittal.blogspot.comTo Add in WhatsApp Group- 9929383123To Contact- 9829071511