एंकर अमन चोपड़ा की आड़ में न्यूज 18 चैनल को सबक सिखाना चाहती है अशोक गहलोत की पुलिस। एंकर को गिरफ्तार करने के लिए राजस्थान पुलिस का नोएडा में डेरा। एक ही प्रकरण की दो एफआईआर में जयपुर हाईकोर्ट ने गिरफ्तारी पर रोक लगा रखी है।
सब जानते हैं कि राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत मीडिया से बुरी तरह खफा हैं। किसी भी सार्वजनिक समारोह में गहलोत मीडिया की आलोचना करने से बाज नहीं आते हैं। गहलोत का आरोप है कि न्यूज चैनल और अखबार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह के दबाव में काम कर रहे हैं। गहलोत ऐसे आरोप सुप्रीम कोर्ट पर भी लगा चुके हैं। गहलोत की इस सोच के चलते ही 8 मई को राजस्थान पुलिस न्यूज 18 चैनल के एंकर अमन चोपड़ा को गिरफ्तार करने के लिए उत्तर प्रदेश के नोएडा में पहुंच गई। जिस फ्लैट में अमन चोपड़ा रहते हैं उसके बाहर अब राजस्थान की डूंगरपुर पुलिस का पहरा है। हालांकि एंकर चोपड़ा अपने निवास पर नहीं है, लेकिन पुलिस बाहर बैठी हुई है। पुलिस ने चोपड़ा की गिरफ्तारी का वारंट भी घर के बाहर चस्पा कर दिया है। राजस्थान पुलिस का कहना है कि वह अमन चोपड़ा को गिरफ्तार कर डूंगरपुर ले जाएगी। डूंगरपुर में चौपड़ा के खिलाफ दंगे भड़काने का मामला दर्ज है। राजस्थान में गृह विभाग मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पास ही है। ऐसे में माना जा रहा है कि इस प्रकरण में गहलोत की सहमति है। गंभीर बात यह है कि जिस प्रकरण में डूंगरपुर में एफआईआर की गई है, उसी प्रकरण में अन्य स्थानों पर भी एफआईआर दर्ज की गई। दो एफआईआर पर जयपुर स्थित हाईकोर्ट की खंडपीठ ने अमन चोपड़ा की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है और पुलिस को जवाब देने के लिए नोटिस जारी किए हैं। यानी जिस प्रकरण में हाईकोर्ट से गिरफ्तारी पर रोक है, उसी प्रकरण में एक अन्य एफआईआर पर राजस्थान पुलिस अमन चोपड़ा को गिरफ्तार करने पर आमादा है। न्यायिक जानकारों के अनुसार सुप्रीम कोर्ट के निर्णय है कि जिस प्रकरण में हाईकोर्ट से गिरफ्तारी पर रोक है, उसी प्रकरण में अन्य एफआईआर की आड़ लेकर आरोपी को गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है। असल में अमन चोपड़ा की आड़ में गहलोत की पुलिस न्यूज 18 चैनल को सबक सिखाना चाहती है। मौजूदा समय में न्यूज़18 देश का सबसे बड़ा मीडिया समूह है। राष्ट्रीय चैनल के अलावा न्यूज 18 के अधिकांश प्रदेशों में प्रादेशिक चैनल भी प्रसारित हो रहे हैं। ऐसे में राजस्थान पुलिस की यह बड़ी कार्यवाही मानी जा रही है।
यह है मामला:
असल में 22 अप्रैल को एंकर अमन चोपड़ा ने अपने विशेष कार्यक्रम में राजस्थान के अलवर जिले के राजगढ़ में 300 वर्ष पुराने मंदिर को तोड़े जाने का मामला प्रमुखता के साथ उठाया था। चोपड़ा का यह कहना रहा कि दिल्ली के जहांगीरपुरी ने पुलिस ने अतिक्रमण हटाने की जो कार्यवाही की उसके जवाब में राजस्थान में मंदिर और पचास वर्ष पुराने पक्के मकानों-दुकानों को तोड़ा गया है। चूंकि अमन चोपड़ा ने जहांगीरपुरी और राजगढ़ की घटना को आपस में जोड़ दिया, इसलिए कांग्रेस शासित राजस्थान में कई स्थानों पर एंकर चोपड़ा के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई। दर्ज एफआईआर में कहा गया है कि राजगढ़ की घटना 17 अप्रैल की है, जबकि जहांगीरपुरी की घटना 20 अप्रैल की है। ऐसे में जहांगीरपुरी की घटना की तुलना राजगढ़ की घटना से नहीं की जा सकती है। अमन चोपड़ा ने जहांगीरपुरी की घटना को राजगढ़ से जोड़कर राजस्थान में दंगे फैलाने का काम किया है। यह सही है कि राजगढ़ की घटना 17 और 18 अप्रैल की है। लेकिन इस घटना की जानकारी 22 अप्रैल को ही हुई। न्यूज चैनलों पर यह खबर तभी चली जब भाजपा के आईटी सेल के राष्ट्रीय प्रभारी अमित मालवीय ने 22 अप्रैल को सोशल मीडिया पर राजगढ़ में मंदिर तोड़े जाने का वीडियो पोस्ट किया। चूंकि न्यूज चैनलों में मार काट की प्रतिस्पर्धा है इसलिए एंकर अमन चोपड़ा ने राजगढ़ की घटना को 22 अप्रैल की ही मान लिया। इसलिए उन्होंने 20 अप्रैल को जहांगीरपुरी में हुई घटना को राजगढ़ की घटना से जोड़ दिया। एंकर की इसी गलती को लेकर राजस्थान में कई स्थानों पर एफआईआर दर्ज की गई है। चूंकि न्यूज 18 के एंकर से गलती हुई है, इसलिए अब राजस्थान पुलिस चैनल को सबक सिखाने का कोई मौका नहीं छोड़ना चाहती है। भले ही इस प्रकरण में दर्ज दो एफआईआर में एंकर को जमानत मिल गई हो, लेकिन फिर भी राजस्थान पुलिस का डेरा नोएडा में है। इसमें कोई दो राय नहीं की मीडिया को खबरों का प्रसारण जांच पड़ताल के बाद ही करना चाहिए। यदि कोई पत्रकार जल्दबाजी करता है तो फिर उसे परिणाम भुगतने के लिए भी तैयार रहना चाहिए।
S.P.MITTAL BLOGGER (08-05-2022)Website- www.spmittal.inFacebook Page- www.facebook.com/SPMittalblogFollow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11Blog- spmittal.blogspot.comTo Add in WhatsApp Group- 9929383123To Contact- 9829071511