सुभाष चंद्रा की उम्मीदवारी से राजस्थान में कांग्रेस के तीसरे उम्मीदवार की जीत को खतरा। कांग्रेस उम्मीदवारों के सम्मान में हुई विधायकों की बैठक। बसपा वाले 6 विधायकों में से एक ही पहुंचा। 13 में 5 निर्दलीय विधायक भी नहीं आए। सीएम गहलोत ने कहा-अब मेरी इज्जत आपके हाथ में। वसुंधरा राजे भाजपा से नाराज होती तो घनश्याम तिवाड़ी को अपने घर में प्रवेश की अनुमति नहीं देतीं।

31 मई को देश के मीडिया किंग सुभाष चंद्रा ने भी राज्यसभा चुनाव के लिए राजस्थान से भाजपा उम्मीदवार के तौर पर अपना नामांकन दाखिल कर दिया है। भाजपा के पास 71 विधायक हैं और भाजपा के पूर्व मंत्री घनश्याम तिवाड़ी को भी उम्मीदवार बनाया है। तिवाड़ी को प्रथम वरीयता के 31 वोट दिलवाने के बाद भाजपा अपने तीस वोट सुभाष चंद्रा को दिलवाएगी। ऐसे में चंद्रा को अपने दम पर 11 विधायकों के वोट हासिल करने होंगे। यही वजह है कि चंद्रा की उम्मीदवारी से कांग्रेस के तीसरे उम्मीदवार की जीत को खतरा हो गया है। सांसद हनुमान बेनीवाल के नेतृत्व वाली आरएलपी के तीन विधायकों का समर्थन भी चंद्रा को मिल गया है। चंद्रा को जीतने में लगे प्रबंधकों का मानना है कि 13 में से 4 निर्दलीय और बसपा वाले 6 में से 3 विधायक संपर्क में हैं। इसी प्रकार बीटीपी के दो विधायक भी चंद्रा के समर्थन में बताए जा रहे हैं। प्रबंधकों को 11 वोटों का जुगाड़ करने में कितनी सफलता मिली है, यह तो 10 जून को मतदान वाले दिन ही पता चलेगा। लेकिन कांग्रेस की चिंता 30 मई को विधायकों की उपस्थिति ने बढ़ा दी है। सीएम अशोक गहलोत की पहल पर 30 मई को जयपुर में कांग्रेस के प्रत्याशी मुकुल वासनिक, रणदीप सुरजेवाला और प्रमोद  तिवारी के सम्मान में विधायकों की बैठक बुलाई गई। इस बैठक में 13 निर्दलीयों में से पांच विधायक अनुपस्थित रहे। अनुपस्थित रहने वाले विधायक संयम लोढ़ा, खुशवीर सिंह, बलजीत यादव, रमिला खाडिय़ा और रामकेश मीणा बताए गए। इसी प्रकार बसपा से कांग्रेस में शामिल हुए 6 में से 5 विधायक बैठक में नहीं आए। ये विधायक हैं, राजेंद्र गुढा (राज्य मंत्री), लखन सिंह, जोगेंद्र अवाना, संदीप कुमार यादव और वाजिब अली। मात्र दीपचंद खेडिया ही बैठक में उपस्थित रहे। यहां खास तौर से उल्लेखनीय है कि कांग्रेस ने जो व्हीप जारी करेगी, वह बसपा वाले विधायकों पर लागू नहीं होगा, क्योंकि कांग्रेस में शामिल होने का मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। वैसे भी इन विधायकों ने कांग्रेस के चुनाव चिन्ह पर चुनाव नहीं जीता है। निर्दलीय विधायक तो पहले से ही अपने मताधिकार के लिए स्वतंत्र हैं। विधायकों की इस बैठक में सीएम गहलोत भी चिंतित नजर आए। उपस्थित निर्दलीय विधायकों से सीएम गहलोत ने कहा कि अब मेरी इज्जत आपके हाथों में है। गहलोत कहना रहा कि कांग्रेस हाईकमान ने जो उम्मीदवार तय कर दिए हैं, उन्हें जिताने की जिम्मेदारी अब सब विधायकों की है। कांग्रेस को अपने तीनों विधायकों को जीतने के लिए 123 वोट चाहिए। कांग्रेस के स्वयं के 102 विधायक हैं, लेकिन कांग्रेस सभी 13 निर्दलीय, 6 बसपा वाले, 1 आरएलपी के विधायकों को भी अपना मानती है। लेकिन कांग्रेस के इस जुगाड़ में अब सुभाष चंद्रा ने सेंध लगा दी है। यदि राज्यसभा चुनाव में सुभाष चंद्रा की जीत होती है तो यह सीएम गहलोत की बड़ी राजनीतिक हार होगी। प्राप्त जानकारी के अनुसार कांग्रेस ने अपने उम्मीदवारों को प्राथमिकता का जो क्रम तय किया है, उसमें प्रथम मुकुल वासनिक, द्वितीय रणदीप सुरजेवाला और तृतीय प्रमोद तिवारी को रखा है। यानी कांग्रेस के तीसरे उम्मीदवार की हार होती है तो वह प्रमोद तिवारी होंगे। 
तो तिवाड़ी को घर में प्रवेश नहीं देती:
राज्यसभा चुनाव के मद्देनजर भाजपा का जो राजनीतिक घटनाक्रम सामने आया है, उसमें अब उन चर्चाओं प विराम लग गया है, जिनमें यह कहा जा रहा था कि पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे भाजपा से नाराज हैं। चर्चाओं में यह भी कहा गया कि वसुंधरा राजे की सहमति के बगैर ही घनश्याम तिवाड़ी को राज्यसभा का उम्मीदवार बनाया गया है।  30 मई को तिवाड़ी ने राजे के जयपुर स्थित सरकारी आवास पर जाकर उनसे मुलाकात की। यह सही है कि यदि वसुंधरा राजे भाजपा और तिवाड़ी से नाराज होती तो तिवाड़ी को अपने घर में प्रवेश की अनुमति नहीं देती। इस मुलाकात के बाद तिवाड़ी ने भी कहा कि राज्यसभा चुनाव में उम्मीदवार होने की जानकारी मुझे सबसे पहले वसुंधरा राजे ने ही दी थी। तिवाड़ी ने कहा कि अब उनका राजे से कोई विवाद नहीं है। तिवाड़ी और राजे की इस मुलाकात का फोटो खुद राजे ने सोशल मीडिया पर किया है। इससे प्रतीत होता है कि राजे भाजपा उम्मीदवारों को जीताने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगी। 31 मई को भी सुभाष चंद्रा और तिवाड़ी के नामांकन के समय वसुंधरा राजे विधानसभा में उपस्थित रहीं। राजे ने विधानसभा में ही सुभाष चंद्रा से अलग से लंबी मंत्रणा की। सब जानते हैं कि राजे दो बार राजस्थान की मुख्यमंत्री रही हैं औ प्रदेश की राजनीति में आज भी उनका दबदबा है। वसुंधरा राजे निर्दलीय विधायकों से भी लगातार संपर्क में रही हैं। यदि बसपा वाले कांग्रेसी विधायकों और निर्दलीय विधायकों के वोट सुभाष चंद्रा को मिलते हैं तो इसमें राजे की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। राजे ने 31 मई को अपनी उपस्थिति से भाजपा में एकजुटता दिखाने का भी प्रयास किया है। 

S.P.MITTAL BLOGGER (31-05-2022)

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