डेयरी व्यवसाय को मिले कृषि या उद्योग का दर्जा। अजमेर डेयरी के अध्यक्ष रामचंद्र चौधरी ने दिल्ली में देश भर के पशुपालकों की आवाज बुलंद की।
अजमेर की सरस डेयरी अध्यक्ष रामचंद्र चौधरी ने विश्व दुग्ध दिवस के अवसर पर एक जून को नई दिल्ली में इंडियन डेयरी एसोसिएशन द्वारा आयोजित राष्ट्रीय सेमिनार में अपने व्याख्यान के दौरान कहा कि डेयरी व्यवसाय को कृषि या उद्योग क्षेत्र में शामिल किया जाना चाहिए ताकि देश में कमजोर पड़ती जा रही श्वेत क्रांति को संजीवनी मिल सके। सेमिनार की अध्यक्षता आईडीए के अध्यक्ष जीएस राजोरिया ने की। चौधरी ने कहा कि दूध व्यवसाय को उद्योग या कृषि क्षेत्र में शामिल करने से कृषि उत्पादों की भांति इस पर भी समर्थन मूल्य लागू होने से दुग्ध व्यवसाय को बल मिलेगा। वर्तमान में बढ़ती महंगाई के कारण दुग्ध व्यवसाय के सामने संकट के बादल मंडराते नजर आ रहे हैं। चौधरी ने कहा कि देश में राष्ट्रीय स्तर पर नेशनल मिल्क ग्रिड की स्थापना की जानी चाहिए जिससे दूध एवं दूध पाउडर के बफर स्टॉक को संकलित किया जा सके। उन्होंने कहा कि फलश सीजन में दूध की उपलब्धता एवं लियन सीजन में दूध की कमी के कारण अनेक राज्यों में लियन सीजन में दूध की उपलब्धता बहुत कम हो जाती हैं अत: मिल्क ग्रिड की स्थापना के बाद यह दूध उन राज्यों को उपलब्ध करवाया जा सकता है, जहां पर दुग्ध उत्पादन बहुत कम है। चौधरी ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा उच्च गुणवत्ता वाले दूध उत्पाद के निर्यात को प्रोत्साहन देने हेतु कम से कम 40 फीसदी सब्सिडी का प्रावधान किया जाना चाहिए ताकि देश के अन्नदाता एवं पशुपालक किसानों के हितों की रक्षा की जा सके। चौधरी ने प्रदेश सहित देश में पशु नस्ल सुधार के क्षेत्र कारगर उपाय बताते हुए कहा कि ब्राजील में उपलब्ध गीर गाय का सेक्स शॉर्टेड सिमन पूरे देश में उपलब्ध करवाए जाए इससे अच्छी नस्ल का गो धन तैयार हो सकेगा। पशु नस्ल सुधार से पशुओं से प्राप्त दूध उत्पादन क्षमता भी बढ़ेगी। दुग्ध उत्पादन बढ़ेगा तो पशुपालकों का आर्थिक जीवन स्तर भी सुदृढ़ होगा और पशुपालक इस क्षेत्र में नए आयाम स्थापित कर सकेंगे । इसी प्रकार साईवाल व कांकरेज नस्ल की गायों के सिमन्स भी उपलब्ध करवाने की बात चौधरी ने पुरजोर तरीके से रखी।
चौधरी ने अपने वक्तव्य में कहा कि आने वाले समय में दुग्ध व्यवसाय को अनेक चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। इन चुनौतियों से निपटने के लिए नस्ल सुधार पशु आहार ए चारे की कमी का संकट कच्चे माल की कमी पशुओं की तुलना में कम हो रहे चारे की समस्या तथा चारे के भाव में हजार रुपए प्रति क्विंटल तक की बढ़ोतरी भी एक गंभीर विषय हैं। उच्च गुणवत्ता वाले पशु आहार की कीमतों का ढाई हजार रुपए प्रति क्विंटल तक पहुंचना गंभीर हालात के संकेत हैं। दूसरी ओर पशु आहार के उपयोग में लिए जाने वाले मोलेसिस पर 28 फीसदी जीएसटी लागू करके दुग्ध उत्पादक व पशुपालकों के सामने कोढ़ में खाज की स्थिति उत्पन्न कर दी गई हैं। सेमिनार में देश भर से डेयरी क्षेत्र के विषय विशेषज्ञों ने शिरकत की। चौधरी द्वारा रखे गए मुद्दों पर सेमिनार की अध्यक्षता कर रहे आईडीए के अध्यक्ष जी एस राजोरिया ने सकारात्मक रुख अपनाने की बात कही जिसका उपस्थित सदस्यों ने करतल ध्वनि के साथ स्वागत किया। सेमिनार में विशेष रूप से विश्वास नारायण, मंगल सिंह, केसी स्फीयर, एनसीडीएफआई आनंद गुजरात केएल अरोड़ा, नई दिल्ली प्रो. राकेश मोहन जोशी, प्रो राकेश मीणा, एक्स चेयरमैन एएसआरबी अशोक बंसल एक्स जीएम डीएमएस नई दिल्ली, बृजभूषण रॉय डॉ आरएस खंडाला, डॉ. हरदेव, डॉ आरएन कोहली, प्रवीण शर्मा, विवेक कुलश्रेष्ठ, डीपी सिंह, अमनदीप सिंह एसके बावले आईडीए द्वारा प्रकाशित दुग्ध सरिता के संपादक जगदीश सक्सेना आदि मौजूद रहे।
केंद्र की अनेक योजना नहीं उतरी धरातल पर:
डेयरी अध्यक्ष रामचंद्र चौधरी ने कहा कि केंद्र सरकार ने पशु नस्ल सुधार कार्यक्रम के तहत दो से तीन वर्षों में एंब्रियो टेक्नोलॉजी सेग्रीगेटड सिमन पद्धति प्रारंभ करने, पशुपालकों की आय दोगुनी करने, पशुओं का टेगीकरण करने, पशु बीमा योजना लागू करने, पशुपालक क्रेडिट कार्ड प्रारंभ करने जैसी अनेक योजनाओं की घोषणा की थी, इसके लिए 15 हजार करोड रुपए की राशि का बजट भी आवंटित हैं लेकिन इन योजनाओं के तहत अभी तक महज 10 से 20 फीसदी कार्य ही धरातल पर हो पाया है।
मिलावटखोरों को मिले आजीवन कारावास:
डेयरी अध्यक्ष चौधरी ने कहा कि विभिन्न सर्वे एजेंसी के माध्यम से दर्शाया गया है कि देश में 40 फीसदी दूध एवं दूध से निर्मित उत्पाद मिलावटी बिक रहे हैं। इसे दोहरा नुकसान हो रहा है। एक तरफ जनता के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ हो रहा है, वही पशुपालकों को उनके शुद्ध दूध की कीमत नहीं मिल पा रही हैं। उन्होंने कहा कि इसके लिए कठोर कानून लागू किया जाए और मिलावटखोरों के लिए आजीवन कारावास का प्रावधान किया जाना चाहिए। देश में शुद्ध के लिए युद्ध अभियान को भी मजबूती प्रदान की जानी चाहिए ताकि पशुपालकों को आर्थिक संबल मिल सके। वर्तमान में सोयाबीन एवं अन्य प्राकृतिक उत्पाद का मिलावटी दूध में उपयोग किया जा रहा हैं।
दूध खपत में राजस्थान दूसरे स्थान पर:
चौधरी ने बताया कि राजस्थान में प्रति व्यक्ति दूध की खपत 491 मिलीग्राम तक होती हैं। राजस्थान पंजाब के बाद दूसरा ऐसा राज्य हैं, जहां पर औसतन दूध की खपत प्रति व्यक्ति अधिक हैं। अत: ऐसे हालात में पशुपालकों को राहत मिले व उपभोक्ताओं को शुद्ध दूध मिले, इसके लिए आईडीए को भी प्रतिबद्धता का निर्वहन करना चाहिए।
एमपीएयूपी व हरियाणा भूसे से हटाए प्रतिबंध:
डेयरी अध्यक्ष चौधरी ने कहा कि राजस्थान में अनेक स्थान पर सूखा प्रभावित होने के कारण भूसे की जबरदस्त कमी उत्पन्न हो रही है। दूसरी ओर भाजपा शासित राज्य मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश व हरियाणा द्वारा राज्य में आने वाले भूसे ;खाखला पर विगत दो माह से प्रतिबंध लगा देने से यह संकट और भी गहरा गया है । इस मामले पर बेजुबान पशुओं व धरतीपुत्र किसानों के हित में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को संवेदनशीलता के साथ निर्णय लेना चाहिए। दिल्ली में
हुई सेमिनार की और अधिक जानकारी मोबाइल नंबर 9414004111 पर डेयरी अध्यक्ष चौधरी ली जा सकती है।
S.P.MITTAL BLOGGER (04-06-2022)
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