तो सौदेबाजी के साथ चल रही है राजस्थान में कांग्रेस की सरकार। राज्यसभा चुनाव के मौके पर सीएम अशोक गहलोत की बंद मुट्ठी खुली। समर्थ विधायक ही नाराज। बसपा के 6 विधायकों को निर्दलीय सुभाष चंद्रा को वोट देने के निर्देश। व्हिप जारी। कांग्रेस को वोट दिया तो विधायकी खतरे में। हनुमान बेनीवाल आखिर भाजपा के साथ ही।
राजस्थान से राज्यसभा के लिए सत्तारूढ़ कांग्रेस का तीसरा उम्मीदवार जीतेगा या नहीं यह तो 10 जून को ही पता चलेगा, लेकिन राज्यसभा चुनाव के मौके पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की बंद मुट्ठी खुल गई है। समर्थक विधायक ही सीएम गहलोत का सबसे ज्यादा विरोध कर रहे हैं। नाराज विधायकों के तीखे बयानों से प्रतीत होता है कि गहलोत सरकार सौदेबाजी से चल रही है। बसपा के 6 विधायक जब कांग्रेस में शामिल हुए थे, तब सीएम गहलोत ने कहा था कि ये विधायक बिना शर्त कांग्रेस में शामिल हुए हैं, लेकिन अब चार विधायकों का कहना है कि जो वादा हमसे किया तो उसे सीएम ने पूरा नहीं किया है। मंत्री पद लेने के बाद भी राजेंद्र गुढ़ा का कहना है कि सीएम गहलोत बोलते ज्यादा है और काम कम करते हैं। क्या कोई मंत्री अपने मुख्यमंत्री के लिए ऐसे शब्दों का इस्तेमाल कर सकता है? लेकिन सौदेबाजी की सरकार है, इसलिए सीएम को यह सब बर्दाश्त करना पड़ रहा है। 2020 में जब कांग्रेस के 18 विधायक आला कमान से मिलने दिल्ली गए, तब गहलोत ने इसे सचिन पायलट की बगावत करार दे दिया, लेकिन अब गहलोत के समर्थक विधायक ही राज्यसभा चुनाव के मौके पर नाराजगी दिखा रहे हैं। सवाल उठता है कि अब इस बगावत की जिम्मेदारी किसकी होगी? यदि तीसरे उम्मीदवार के तौर पर प्रमोद तिवारी हार जाते हैं तो इसका जिम्मेदार कौन होगा? क्या सीएम गहलोत हार की जिम्मेदारी लेंगे? गहलोत को 13 निर्दलीय और 6 बसपा वाले विधायकों पर बहुत भरोसा था, लेकिन अब यह भरोसा टूट रहा है। भले ही 12 निर्दलीय कांग्रेस की बाड़ाबंदी में उदयपुर पहुंच गए हों, लेकिन कहा जा रहा है कि कुछ विधायकों की डील भाजपा समर्थित उम्मीदवार सुभाष चंद्रा से पहले ही हो चुकी है। निर्दलीय विधायक गहलोत को खुश करने के लिए बाड़ाबंदी में मौजूद हैं, लेकिन कुछ विधायकों के वोट की गारंटी नहीं है। अनेक विधायक खुलेआम कह रहे हैं कि गहलोत ने जो वादे किए थे, उन्हें पूरा नहीं किया है। अब तक यह माना जा रहा था कि प्रदेश के 125 विधायकों पर गहलोत का नियंत्रण है, लेकिन राज्यसभा चुनाव के मौके पर ऐसे नियंत्रण की पोल खुल गई है। अनेक विधायक गहलोत के नेतृत्व को चुनौती दे रहे हैं। असल में राजस्थान में सवा वर्ष बाद विधानसभा के चुनाव होने हैं। कांग्रेस सहित निर्दलीय और बसपा वाले विधायकों का मानना है कि अशोक गहलोत का नेतृत्व चुनाव नहीं जीत सकता। इसलिए अब गहलोत से दूरी दिखाने की जरुरत पड़ रही है। 2013 के विधानसभा चुनाव में भी गहलोत की कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री थे, तब कांग्रेस को 200 में से 21 सीट मिली थीं। समर्थक विधायकों की नाराजगी को देखते हुए कांग्रेस में चिंता बढ़ गई है। यदि कांग्रेस का तीसरा उम्मीदवार हारता है तो हार का ठीकरा सीएम गहलोत पर ही फूटेगा। जिन विधायकों ने नाराजगी दिखाई है, उनमें राजेंद्र गुढा (मंत्री) खिलाड़ी मीणा (एससी आयोग के अध्यक्ष), गिर्राज मलिंगा, वाजिब अली, संदीप यादव, बलजीत यादव आदि शामिल हैं।
बसपा का व्हिप:
बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती ने 4 जून को राजस्थान के सभी छह पार्टी विधायकों को निर्देश दिए हैं कि वे राज्यसभा चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार सुभाष चंद्रा को अपना वोट दें। चंद्रा के पक्ष में मतदान करने के लिए बसपा की ओर से व्हिप भी जारी कर दिया गया है। बसपा के पदाधिकारियों को कहा है कि इन सभी छह विधायकों पर व्हिप लागू होगा। यदि किसी विधायक ने व्हिप का उल्लंघन किया तो उसकी विधायकी खतरे में आ जाएगी। इन विधायकों ने पूर्व में कांग्रेस में शामिल होने की जो घोषणा की वह वैधानिक दृष्टि से कोई मायने नहीं रखती है। कांग्रेस में शामिल होने का मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। जब तक सुप्रीम कोर्ट का फैसला नहीं आता तब तक यह सभी विधायक बसपा के ही माने जाएंगे। ये विधायक राजेंद्र सिंह गुढ़ा, लखन सिंह, दीपचंद खेडिय़ा, जोगेंद्र सिंह अबाना, संदीप कुमार यादव और वाजिब अली। मायावती के निर्देश और बसपा के व्हिप से कांग्रेस की चिंता और बढ़ गई है। भाजपा समर्थित उम्मीदवार सुभाष चंद्रा को सिर्फ 11 विधायकों का प्रबंध करना है। क्योंकि चंद्रा के पास भाजपा के 30 सरप्लस वोट पहले से ही है। यदि बसपा के सभी छह विधायक वोट दे देते हैं तो फिर चंद्रा की जीत आसान हो जाएगी। बसपा के चार विधायक अभी भी कांग्रेस की बाड़ाबंदी से बाहर हैं।
बेनीवाल आखिर भाजपा के साथ ही:
तीन कृषि कानूनों के विरोध में एनडीए छोड़ने वाले सांसद और आरएलपी के अध्यक्ष हनुमान बेनीवाल राज्यसभा चुनाव के अवसर पर भाजपा को ही समर्थन दे रहे हैं। भाजपा ने राजस्थान से मीडिया किंग सुभाष चंद्रा को अपना समर्थन दिया है। चंद्रा निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर मैदान में हैं। बेनीवाल की पार्टी के तीन विधायक हैं। ये तीनों विधायक सुभाष चंद्रा को अपना समर्थन दे रहे हैं। बेनीवाल कई मौकों पर भाजपा की आलोचना करते रहे हैं, लेकिन राज्यसभा चुनाव के मौके पर बेनीवाल और उनकी पार्टी भाजपा समर्थित उम्मीदवार के साथ ही खड़ी है।
S.P.MITTAL BLOGGER (04-06-2022)
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