पाठयेम संस्कृतं जगति सर्वमानवान्। प्रापयेम भारतं सपदि परमवैभवम्।। देववाणी संस्कृत भाषा को आमजन की भाषा बनाने का सफल प्रयास कर रही है संस्कृत भारती

संपूर्ण समाज में संस्कृत को जनवाणी बनाने के उद्देश्य से संस्कृत भारती राजस्थान के तत्वावधान में 12 दिवसीय आवासीय संस्कृत शिक्षक प्रशिक्षण एवं प्रबोधन वर्ग का आयोजन शहीद अविनाश माहेश्वरी आदर्श विद्या मंदिर भगवान गंज अजमेर में किया जा रहा है जिसमें संपूर्ण राजस्थान क्षेत्र (चित्तौड़ प्रान्त, जोधपुर प्रान्त व जयपुर प्रान्त) के 85 शिविरार्थी संस्कृत संभाषण का प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं । इस अवसर पर संस्कृत भारती के अखिल भारतीय महामंत्री शदेव पुजारी ने संबोधित करते हुए संस्कृत भारती संगठन की संपूर्ण भारत वर्ष की वार्षिक रिपोर्ट प्रस्तुत की, उन्होंने बताया कि संस्कृत भारती विगत 41 वर्षों से समाज को संस्कृत पढ़ाने में क्रियाशील है, इसी क्रम में संस्कृत में समाज को सरल व सुलभ रीति से पढ़ाने के लिए उचित स्थानों पर प्रशिक्षण शिविर आयोजित कर शिक्षक तैयार किए जा रहे हैं जो राजस्थान में अपने अपने स्थानों पर संस्कृत पढ़ाएंगें। यह वर्ग 31 मई से आरंभ हुआ तथा 11 जून सायं पर्यंत चलेगा। इस वर्ग में संपूर्ण राजस्थान से प्रशिक्षणार्थियों ने भाग लिया है जिनको राजस्थान के प्रशिक्षित शिक्षकों द्वारा संस्कृत माध्यम से ही श्लोक, क्रीड़ा, अभिनय, गीत, नाटक आदि के माध्यम से रोचक प्रशिक्षण दिया जा रहा है। संस्कृत भाषा के नवीन आयाम योजना कार्य परिणाम आदि की जानकारी व मार्गदर्शन हेतु पुजारी लखनऊ से अजमेर आए हैं। उन्होंने बताया कि संस्कृत भारती राजस्थान द्वारा गत वर्ष 33 संभाषण शिविरों का आयोजन किया गया जिसमें 932 समाज के लोगों ने संस्कृत संभाषण सीखा पत्राचार के माध्यम से 540 लोगों को संस्कृत का अध्ययन करवाया गया 80 स्थानों पर संस्कृत दिवस का आयोजन किया गया जिसमें 1210 लोगों ने भाग लिया। भाषा प्रबोधन वर्ग के आयोजन के द्वारा 377 लोगों को संस्कृत सिखाकर दूसरों को पढ़ाने का प्रशिक्षण दिया गया। संस्कृत भारती के प्रयास से राजस्थान में 3744 लोग संस्कृत संभाषण करने में समर्थ हुए हैं 32 कुटुंब परिवार की व्यवहार भाषा संस्कृत ही है। संस्कृत भारती के क्षेत्रीय संगठन मंत्री हुलास चंद्र शर्मा ने बताया कि संस्कृत राष्ट्र की आधारशिला है बिना आधार के किसी भी राष्ट्र के गौरव की कल्पना नहीं की जा सकती है। उन्होंने वर्तमान परिप्रेक्ष्य में संस्कृत की महत्ता पर बल देते हुए कहा कि आज विश्व में अनेक देश भारतीय संस्कृति का अनुसरण करते हुए संस्कृत भाषा का अध्ययन कर रहे हैं संस्कृत में विद्यमान वेद उपनिषद पुराण गीता रामायण महाभारत आरण्यक आदि सभी शास्त्रों में संस्कृत के ज्ञान का अथाह भंडार विस्तृत रूप से विद्यमान है जिसमें छिपे हुए ज्ञान विज्ञान पर अनेक देशों द्वारा आज भी शोध कार्य किया जा रहा है। संस्कृत भारती के प्रांत अध्यक्ष कृष्ण कुमार गौड़ के अनुसार संस्कृत भारती आज भाषा के क्षेत्र में विश्व का सबसे बड़ा संगठन है जो विश्व भाषाओं की जननी संस्कृत के पुनरुत्थान के लिए कार्य कर रहा है। संस्कृत भारत की आत्मा है जो व्यक्ति संस्कृत का अध्ययन करता है वह निश्चित रूप से संस्कारी व्यक्ति होता है। भारतीय संस्कृति के संरक्षण और संवर्धन हेतु संस्कृत भारती संगठन वैश्विक स्तर पर इस प्रकार के शिक्षक प्रशिक्षण व संभाषण शिविरों का आयोजन कर रहा है ताकि संस्कृत भाषा को जन्म भाषा बनाया जा सके क्योंकि संस्कृत, संस्कृति और संस्कार एक ही धारा के प्रवाह हैं। उन्होंने बताया कि इस वर्ग में प्रशिक्षणार्थी अजमेर के विभिन्न स्थान यथा दयानंद बाल सदन धोलाभाटा, रामदेव नगर कच्ची बस्ती, सुभाष नगर, आदर्श नगर आदि स्थानों पर सायं 5 से 6 तक संस्कृत संभाषण का प्रशिक्षण भी दे रहे हैं, साथ ही अजमेर के विभिन्न स्थानों पर संस्कृत लघु नाटिका के द्वारा सरल माध्यम से आमजन तक अवनितलं पुनरवतीर्णा स्यात् संस्कृत गंगा धारा का संदेश दे रहे हैं। इस वर्ग का समापन समारोह 11 जून को आयोजित किया जाएगा। इस प्रकार के संभाषण शिविरों के आयोजन के विषय में अधिक जानकारी हेतु अजमेर के भूपेंद्र सिंह चौहान 9314136556, वरुण कुमार सेन 9252063490 व हिम्मत सिंह चौहान 9413719090 से अधिक जानकारी ली जा सकती है।
S.P.MITTAL BLOGGER (08-06-2022)
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