राज्यसभा चुनाव के मतदान कक्ष में मुख्यमंत्री स्वयं बैठे। ऐसे में कांग्रेस के तीनों प्रत्याशी जीतेंगे ही। विधायक शोभारानी कुशवाह का वोट खारिज।
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राज्यसभा की तीन सीट जीतने के लिए अपना सब कुछ दाव पर लगा दिया। 10 जून को विधानसभा परिसर के मतदान कक्ष में कांग्रेस पार्टी का प्रतिनिधि बनकर सीएम गहलोत स्वयं मतदान कक्ष में बैठे ताकि एक एक विधायक पर नजर रखी जा सके। गहलोत ने स्वयं सुनिश्चित किया कि कांग्रेस के सभी विधायक पार्टी के अधिकृत प्रत्याशियों को ही वोट दें। गहलोत की मतदान कक्ष में उपस्थिति का असर 13 निर्दलीय , 6 बसपा दो बीटीपी आदि के विधायकों पर भी पड़ा। सीएम की मतदान कक्ष में उपस्थिति के बाद कांग्रेस और समर्थक विधायकों के इधर उधर होने की कोई गुंजाइश नहीं रही। मुख्यमंत्री से आंखें मिलने के बाद किसी भी निर्दलीय विधायक में इतनी हिम्मत नहीं थी कि वह अपना वोट निर्दलीय प्रत्याशी सुभाष चंद्रा को दे। कांग्रेस प्रत्याशी मुकुल वासनिक, रणदीप सुरजेवाला और प्रमोद तिवारी की जीत यह बताती है कि सीएम गहलोत ने अपनी तरफ से कोई कसर नहीं छोड़ी है। भाजपा प्रत्याशी घनश्याम तिवाड़ी के सिर भी जीत का सहरा बंध रहा है। भाजपा समर्थित निर्दलीय उम्मीदवार सुभाष चंद्रा को जीत के लिए जिन 11 वोटों की जरुरत थी, वो गहलोत की रणनीति के सामने नहीं हो सका। असल में विधायकों को इधर उधर झांकने का मौका ही नहीं दिया गया। 10 जून को होने वाले मतदान के लिए एक जून को ही विधायकों को होटलों में सुरक्षित रख लिया गया। 102 कांग्रेस, 6 बसपा, 13 निर्दलीय, 2 बीटीपी आदि के कुल 126 विधायकों से सीएम ने स्वयं व्यक्तिगत मुलाकात की। मतदान वाले दिन भी कोई सेंधमारी न हो इसके लिए जयपुर के आमेर में 9 जून की रात से ही इंटरनेट बंद कर दिया गया। उदयपुर से आने के बाद कांग्रेस और समर्थक विधायक आमेर की होटल में ही ठहरे थे। इतना ही नहीं जब आमेर की होटल से विधानसभा स्थित मतदान केंद्र पर विधायकों को बसों में भर कर लाया गया तब जयपुर के रास्ते जाम कर दिए गए। यानि विधायकों से भरी बस वीआईपी वाहनों की तरह सड़कों से गुजरी। अपने दूसरे उम्मीदवार के सफल न होने पर अब भाजपा कोई भी आरोप लगाए लेकिन सीएम गहलोत ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि मौजूदा राजनीतिक हालातों में वे भाजपा के किसी भी प्रयास को सफल नहीं होने देंगे। अलबत्ता भाजपा इस बात से खुश हो सकती है कि सुभाष चंद्रा को पांचवें उम्मीदवार के तौर पर खड़ा कर कांग्रेस सरकार को 10 दिनों तक होटलों में रहने को मजबूर कर दिया। लेकिन राजनीति में यह सब चलता है। राजनीति में सफलता पाने के लिए जो कुछ भी किया जाना चाहिए वह गहलोत ने किया है। अगले वर्ष होने वाले विधानसभा चुनाव के परिणाम कुछ भी हो, लेकिन अभी तो गहलोत ने अपना झंडा बुलंद कर लिया है। कांग्रेस का नेतृत्व करने वाले गांधी परिवार में राजस्थान में जिन तीन उम्मीदवारों का चयन किया उन तीनों को सीएम गहलोत ने जीत के दरवाजे पर खड़ा कर दिया है। इससे अब गांधी परिवार में गहलोत का रुतबा और बढ़ जाएगा।
भाजपा का एक वोट खारिज:
प्राप्त जानकारी के अनुसार भाजपा की विधायक शोभारानी का वोट खारिज हो गया है। सूत्रों के अनुसार शोभारानी ने व्हिप के विपरीत वोट का इस्तेमाल किया। एक वोट खारिज होने से भाजपा को राजनीतिक दृष्टि से बड़ा झटका लगा है।
S.P.MITTAL BLOGGER (10-06-2022)
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