राहुल गांधी के दफ्तर में तोडफ़ोड़ के विरोध में कांग्रेस का राष्ट्रव्यापी आंदोलन क्यों नहीं हो रहा? राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी विरोध प्रकट नहीं किया है। वामपंथियों के खिलाफ बोलने की हिम्मत क्यों नहीं दिखाती कांग्रेस?
विगत दिनों दिल्ली में जब प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के अधिकारियों ने कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे राहुल गांधी से पूछताछ की तो कांग्रेस ने देश भर में धरना प्रदर्शन किया। कांग्रेस शासित दोनों प्रदेशों राजस्थान और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और भूपेश बघेल सरकार का कामकाज छोड़ कर दिल्ली आ गए। ईडी ने जितने दिन पूछताछ की उतने दिन कांग्रेस का विरोध प्रदर्शन जारी रहा। पूछताछ नेशनल हेराल्ड अखबार की 2 हजार करोड़ की संपत्ति के हस्तांतरण में हुई वित्तीय अनियमितताओं को लेकर थी, लेकिन कांग्रेस ने आरोप लगाया कि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार राहुल गांधी को परेशान कर रही है। लेकिन वही कांग्रेस अब राहुल गांधी के संसदीय क्षेत्र वायनाड़ (केरल) के दफ्तर में हुई भीषण तोडफ़ोड़ पर चुप है। यहां तक राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी विरोध नहीं जात रहे हैं, जबकि राहुल के दफ्तर को पूरी तरह तहस नहस कर दिया गया। 24 जून को हुई इस तोडफ़ोड़ के लिए कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने केरल में सत्तारूढ़ मॉक्र्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी की छात्रा शाखा एसएफआई के छात्रों को जिम्मेदार ठहराया है। लेकिन कांग्रेस की ओर से केरल में भी कोई बड़ा आंदोलन नहीं किया जा रहा है। सवाल उठता है कि जो कांग्रेस सिर्फ पूछताछ पर देशव्यापी आंदोलन कर सकती है, वह राहुल गांधी के दफ्तर में हुई तोडफ़ोड़ पर चुप क्यों है? क्या केरल में सत्तारूढ़ माकपा के खिलाफ आंदोलन करने की हिम्मत कांग्रेस में नहीं है? यदि यही तोडफ़ोड़ राहुल गांधी के दिल्ली दफ्तर में हो जाती तो कांग्रेस के आंदोलन का अंदाजा लगाया जा सकता है? क्या कांग्रेस के नेताओं की नजर में राहुल गांधी के दफ्तर में हुई तोडफ़ोड़ कोई मायने नहीं रखती है? गंभीर बात यह है कि राहुल गांधी वायनाड़ ने से ही सांसद हैं, लेकिन इसके बाद भी केरल के सत्तारूढ़ दल की ओर से दफ्तर में तोडफ़ोड़ कीगई। इस तोडफ़ोड़ के विरोध में अभी राहुल गांधी की भी कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। मालूम हो कि राहुल गांधी ने लोकसभा का पिछला चुनाव अमेठी (यूपी) के साथ-साथ वायनाड़ (केरल) से भी लड़ा था। अमेठी में राहुल की हार हुई, जबकि वायनाड़ में राहुल विजयी रहे। दफ्तर में ताजा तोडफ़ोड़ से लगता है कि वायनाड़ में भी राहुल का प्रभाव कम हो रहा है। ऐसे में राहुल गांधी 2024 में होने वाला चुनाव कहां से लड़ेंगे?
S.P.MITTAL BLOGGER (25-06-2022)
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