आखिर ख्वाजा साहब की दरगाह की कौमी एकता की मिसाल को दरगाह के कुछ खादिम ही क्यों तोड़ने पर तुले हैं? फिर वायरल हुआ हिन्दुओं की भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाला वीडियो। तो ऐसे में दरगाह जियारत के लिए क्यों आएंगे हिन्दू? राजस्थान की गहलोत सरकार खामोश।
अजमेर स्थित ख्वाजा साहब की दरगाह को देश और दुनिया में साम्प्रदायिक सद्भाव (कौमी एकता) की मिसाल माना जाता रहा है। इसकी वजह यही है कि दरगाह में मुसलमानों से ज्यादा हिन्दू समुदाय के लोग जियारत करने के लिए आते हैं। कहा जा सकता है कि मुसलमानों से ज्यादा आस्था (अकीदत) हिन्दुओं की दरगाह के प्रति है। यदि कौमी एकता की मिसाल वाली दरगाह से लगातार हिंदुओं की भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाली गतिविधियां होंगी तो सवाल उठता है कि हिन्दू समुदाय के लोग दरगाह में जियारत के लिए क्यों आएंगे? दरगाह में हिन्दू विरोधी गतिविधियां कोई कट्टरपंथी जमात नहीं कर रही है, बल्कि दरगाह के कुछ खादिम ही कर रहे हैं। जिस प्रकार किसी हिन्दू तीर्थ स्थल पर मंदिर के पुजारी या तीर्थ पुरोहित (पंडे) होते हैं, उसी प्रकार ख्वाजा साहब की दरगाह में खादिमों द्वारा धार्मिक रस्म निभाई जाती है। खादिमों को ही ख्वाजा साहब की मजार पर जियारत कराने का हक है। जो खादिम दरगाह में धर्म के प्रतिनिधि है, उनमें से कुछ प्रतिनिधि यदि हिन्दुओं की भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाले बयान देंगे तो फिर दरगाह की कौमी एकता की पहचान पर भी प्रतिकूल असर पड़ेगा। दरगाह के खादिमों को हिन्दुओं की भावनाओं का ख्याल इसलिए भी रखना चाहिए कि हिन्दू समुदाय के लोग बड़ी संख्या में दरगाह में जियारत के लिए आते हैं। जियारत के लिए आने वाले हिन्दुओं का भरोसा है कि ख्वाजा साहब के करम से उनका भला हो जाएगा। अब यदि ऐसी दरगाह के खादिम हिन्दू देवी देवताओं और उनकी परंपराओं पर प्रतिकूल टिप्पणियां करेंगे तो फिर सद्भावना कैसे होगी? 33 करोड़ हिन्दू देवी देवताओं पर प्रतिकूल टिप्पणियां वाला वीडियो भी दरगाह के एक खादिम की ओर से जारी किया गया है। अफसोसनाक बात तो यह है कि वीडियो जारी करने वाला खादिम, खादिमों की प्रतिनिधि संस्था अंजुमन सैयद जादगान के एक वरिष्ठ पदाधिकारी के परिवार का सदस्य है। वीडियो में जो बातें कही गई हैं, उन्हें यहां नहीं लिखा जा सकता। इस विवादित वीडियो के कुछ अंश अब न्यूज चैनलों पर दिखाए जा रहे है। इससे पहले दरगाह से ही हिन्दुस्तान हिला देने और सिर तन से जुदा करने जैसी बातें भी कही गई। यह माना कि दरगाह के सभी खादिम कट्टरपंथी सोच के नहीं है, लेकिन सद्भावना की सोच रखने वाले खादिम उन खादिमों को नहीं रोक पा रहे हैं जो विवादित वीडियो जारी कर रहे हैं। अजमेर का माहौल सुधारने के लिए जिला प्रशासन की ओर से 12 जुलाई को सर्वधर्म रैली भी निकाली गई। रैली जब ख्वाजा साहब की दरगाह पर पहुंची तो खादिमों की संस्था अंजुमन सैयद जादगान के पूर्व अध्यक्ष मोईन हुसैन ने साफ शब्दों में कहा कि ख्वाजा साहब की दरगाह को सियासी स्थल नहीं बनने दिया जाएगा। लेकिन मोईन हुसैन के इस सकारात्मक भाषण का भी कोई असर नहीं हुआ। ऐसा प्रतीत होता है कि कुछ खादिम ख्वाजा साहब की दरगाह की कौमी एकता की पहचान को कमजोर करना चाहते हैं। एक के बाद विवादित वीडियो सोशल मीडिया और न्यूज चैनलों पर जारी हो रहे हैं, उससे अजमेर खास कर दरगाह का माहौल और खराब हो रहा है। 33 करोड़ देवी-देवताओं को निशाने पर रख कर यदि कोई वीडियो जारी होगा तो प्रतिकूल असर पड़ेगा ही। अंजुमन के पूर्व अध्यक्ष मोईन हुसैन भले ही यह दावा करें कि विवादित बयान देने वालों का दरगाह के खादिम समुदाय से कोई ताल्लुक नहीं है, लेकिन जो विवादित वीडियो जारी हो रहे हैं, उसमें सबसे पहले स्वयं को ख्वाजा साहब का खादिम ही बताया जाता है। दरगाह का खादिम बताने की वजह से ही वीडियो का महत्व है। वीडियो जारी करने वाले खादिम यह नहीं सोच रहे कि इसका उन हिन्दुओं पर क्या असर पड़ेगा जो जियारत के लिए दरगाह में आते हैं। गहलोत सरकार खामोश:ख्वाजा साहब की दरगाह से जुड़े कुछ प्रतिनिधि लगातार विवादित बयान दे रहे हैं, लेकिन अशोक गहलोत के नेतृत्व में चल रही कांग्रेस सरकार खामोश है। जिला एवं पुलिस प्रशासन के अधिकारी चाहे कुछ भी दावे करे, लेकिन कार्यवाही वही होगी जो गहलोत सरकार चाहती है। सीएम गहलोत और उनकी सरकार की नीतियांं जगजाहिर है। यदि नीतियां कानून के मुताबिक होती तो विवादित वीडियो जारी नहीं होते। ख्वाजा साहब की दरगाह की कौमी एकता की पहचान कायम रहे यह सब की जिम्मेदारी है। S.P.MITTAL BLOGGER (14-07-2022)Website- www.spmittal.inFacebook Page- www.facebook.com/SPMittalblogFollow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11Blog- spmittal.blogspot.comTo Add in WhatsApp Group- 9929383123To Contact- 9829071511