मुख्यमंत्री जी, अजमेर विकास प्राधिकरण के अधिकारी तो काम को अटकाने में ही रुचि रखते हैं। पट्टे देने के लंबित प्रकरणों की फाइल मंगा कर सच्चाई जानी जा सकती है। सरकार के पट्टा अभियान को विफल करने में अफसरशाही ही सहायक।
राजस्थान में सरकार के पट्टा वितरण अभियान के तीसरे चरण की शुरुआत 15 जुलाई से हो गई है। तीसरे चरण की शुरुआत से पहले 14 जुलाई को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रदेश भर के स्थानीय निकायों के अधिकारियों से संवाद किया। वीसी के जरिए हुए इस संवाद में सीएम गहलोत ने जानना चाहा कि पट्टे या जनता के काम अटकाने वाले अधिकारी चाहते क्या हैं? सरकार ने जब भूमि के पट्टे देने के मामलों में इतनी छूट दी है, तब पात्र व्यक्ति को पट्टे क्यों नहीं दिए जा रहे हैं? सीएम ने सख्त लहजे में कहा कि अब ऐसे अधिकारी को बख्शा नहीं जाएगा। ऐसा नहीं की सीएम ने पहली बार इस तरह सख्ती दिखाई है। सीएम गहलोत पहले भी ऐसी बातें कह चुके हैं, लेकिन अफसरशाही पर सीएम के कथनों का कोई असर नहीं होता है, क्योंकि उच्च पदों पर बैठे अधिकारी काम अटकाने वाले अधिकारियों एवं कार्मिकों पर कोई कार्यवाही नहीं करते हैं। यदि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पट्टों के मामलों की हकीकत जाननी है तो अजमेर विकास प्राधिकरण के लंबित प्रकरणों की फाइलें मंगवा कर देख लें। अधिकारी किन किन हथकंडों से काम अटकाते हैं, उसका पता सीएम को लग जाएगा। राज्य सरकार के स्पष्ट आदेश के बाद भी एडीए के अधिकारी पट्टे जारी नहीं कर रहे हैं। उपायुक्त स्तर पर इतनी अड़चने डाली जाती है कि पट्टा प्राप्त करने वाला व्यक्ति परेशान हो जाता है। चूंकि उच्च स्तर पर कोई सुनवाई नहीं होती है, इसलिए पट्टों की फाइल लंबित पड़ी रहती है। एडीए में नियुक्त कोई अधिकारी अपने तबादले का भी इंतजार कर रहे हैं, इसलिए अधिकारी वर्ग काम ही नहीं करना चाहता। ऐसी स्थिति में अकेले अजमेर विकास प्राधिकरण की ही नहीं है, बल्कि प्रदेश के अधिकांश स्थानीय निकायों की है। अफसरशाही के कारण ही सरकार की नीति के अनुरूप पट्टे जारी नहीं हो रहे हैं। गहलोत सरकार अखबारों में विज्ञापन देकर बताती है कि पट्टे देने में कितनी रियायत दी गई है, लेकिन निकायों में पट्टे देने के काम पर कोई निगरानी नहीं है। प्रदेश की अफसरशाही खासकर स्थानीय निकायों के अधिकारियों को भी पता है कि सीएम गहलोत सिर्फ बोलते हैं, एक्शन नहीं लेते। सीएम गहलोत सिर्फ बोलते ही हैं, यह बात सैनिक कल्याण मंत्री राजेंद्र गुढा ने भी सार्वजनिक तौर पर कही है। स्थानीय निकायों में लंबित प्रकरणों की जांच करवाई जाए तो सरकार के पट्टा अभियान की पोल खुल जाएगी।
S.P.MITTAL BLOGGER (15-07-2022)
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