अंडर ट्रायल कैदियों के मुकदमों की सुनवाई जल्द हो-पीएम नरेंद्र मोदी। मुकदमों की सुनवाई वर्चुअल तकनीक से भी होनी चाहिए। राजस्थान हाईकोर्ट के जजों की फुल कोर्ट मीटिंग झुंझुनूं के मंडावा रिसोर्ट में हुई।

30 जुलाई को दिल्ली के विज्ञान भवन में देश के प्रथम जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन की शुरुआत हुई। सम्मेलन में जिला स्तर के प्राधिकरण के अध्यक्ष (जिला एवं सत्र न्यायाधीश) और सचिव (अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश) भाग ले रहे हैं। देश भर में 676 जिला प्राधिकरण हैं। सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि जब आम आदमी को लगता है कि उसकी कहीं भी सुनवाई नहीं हो रही है, तब उसे अदालत के दरवाजे खुले मिलते हैं। यानी आम आदमी का भरोसा अदालतों पर बना हुआ है। पीएम ने कहा कि पिछले 8 वर्षों में देश की न्यायिक अवसंरचना पर 9 हजार करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं। अब अदालतों में वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से वर्चुअल सुनवाई भी हो रही है। मुझे बताया गया कि देश में एक करोड़ मुकदमों की सुनवाई वर्चुअल तकनीक से हुई है। इसी प्रकार हाईकोर्ट में लंबित 60 लाख मुकदमों की सुनवाई भी वर्चुअल तकनीक से हुई। न्यायिक व्यवस्था और मुकदमों की जल्द सुनवाई के लिए यह शुभ संकेत हैं कि वर्चुअल तकनीक का उपयोग तेजी से बढ़ रहा है। पीएम ने कहा कि जब देश में डिजिटल पेमेंट की शुरुआत की गई तो लोगों ने कहा कि यह कैसे होगा, लेकिन आज फुटपाथ पर खड़े होने वाला ठेला व्यापारी भी मोबाइल पर भुगतान प्राप्त कर रहा है। पीएम ने बताया कि दुनिया में आज जो डिजिटल पेमेंट हो रहा है उसका 40 प्रतिशत हिस्सा भारत का है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि डिजिटल पेमेंट का आकर्षण कितना बढ़ रहा है। पीएम ने सम्मेलन में उपस्थित सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश एनवी रमन्ना और देश भर के जिला एवं सत्र न्यायाधीशों से आग्रह किया कि अंडर ट्रायल कैदियों के मुकदमों की सुनवाई जल्द होनी चाहिए। जो लोग जेलों में बंद हैं उनके मामलों में इस बात का अध्ययन किया जाए कि उन्हें किस प्रकार कानूनी मदद मिल सकती है। इस मामले में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। इस मामले में वकील समुदाय को भी सहयोग करना चाहिए। देश के लिए यह सौभाग्य की बात है कि आगामी 15 अगस्त को देश की आजादी के 75 वर्ष पूरे हो रहे हैं। हमारे लिए अमृतकाल तो है ही साथ ही कर्तव्य काल भी है। समारोह में प्रधान न्यायाधीश एनवी रमन्ना ने कहा कि देश की ताकत युवाओं में है। युवा देश के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। न्यायिक संरचना को मजबूत करने में सरकार ने जो सहयोग दिया है उसके लिए रमन्ना ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार भी जताया। इस अवसर पर केंद्रीय कानून मंत्री किरण रिजीजू ने पारिवारिक अदालतों में चल रहे मुकदमों  के शीघ्र निस्तारण पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि पारिवारिक न्यायालयों में चलने वाले मुकदमों से सबसे ज्यादा युवा पीढ़ी प्रभावित हो रही है। आज देश में पारिवारिक अदालतों में 11 लाख मुकदमे लंबित है, ऐसे मुकदमों की सुनवाई मानवीय दृष्टिकोण से होनी चाहिए। सम्मेलन में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के राष्ट्रीय अध्यक्ष और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीश यूए ललित ने कहा कि न्यायिक सुनवाई में वर्चुअल तकनीक का अत्यधिक उपयोग हो रहा है। डिजिटल इंडिया का लाभ गांव तक पहुंचा है। अब मुकदमों की सुनवाई भी वर्चुअल तकनीक से हो रही है।
जजों की बैठक रिसोर्ट:
राजस्थान हाईकोर्ट की जोधपुर और जयपुर पीठ के सभी जजों की बैठक 30 जुलाई को झुंझुनूं स्थित मंडावा रिसोर्ट में हुई। न्यायिक शब्दों में इस बैठक को हाईकोर्ट की फुल कोर्ट मीटिंग कहा जाता है। इस मीटिंग में संबंधित हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश सहित सभी न्यायाधीश उपस्थित रहते हैं। फुट कोर्ट मीटिंग में नीतिगत फैसले भी लिए जाते हैं। 30 जुलाई की बैठक में मुख्य न्यायाधीश एसएस शिंदे भी उपस्थित रहे। जानकार सूत्रों के अनुसार यह पहला अवसर है, जब फुल कोर्ट की मीटिंग जोधपुर और जयपुर से बाहर हुई है। यहां यह उल्लेखनीय है कि मुख्य न्यायाधीश शिंदे 1 अगस्त को सेवानिवृत्त हो रहे हैं। 
S.P.MITTAL BLOGGER (30-07-2022)
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