कांग्रेस कमजोर है तो लोगों में गुस्सा क्यों? राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का यह तर्क अजीब है।
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की उम्र 72 वर्ष के पार है। इतनी उम्र में भी गहलोत की जबरदस्त राजनीतिक सक्रियता है। इसी सक्रियता के चलते गहलोत ने एक अजीब सा तर्क दिया है। गहलोत का कहना है कि लोगों में इस बात को लेकर गुस्सा है कि कांग्रेस मजबूत होकर मोदी सरकार की जनविरोधी नीतियों के विरुद्ध संघर्ष क्यों नहीं कर रही है। सवाल उठता है कि कांग्रेस को मजबूत होने से कौन रोक रहा है? पिछले दो वर्षों से तो गहलोत ने ही कांग्रेस की कमान संभाल रखी है। मौजूदा समय में कांग्रेस का नेतृत्व करने वाले गांधी परिवार के मुख्य सलाहकार भी गहलोत ही बने हुए हैं। कांग्रेस के राष्ट्रव्यापी आंदोलनों का नेतृत्व भी गहलोत ही कर रहे हैं। कांग्रेस को मजबूत करने की रणनीति के तहत ही गहलोत ने अपने शासन वाले राजस्थान के उदयपुर में कांग्रेस का चिंतन शिविर भी करवाया। यानी कांग्रेस को मजबूत करने में गहलोत कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। लेकिन फिर भी गहलोत को कहना पड़ रहा है कि कांग्रेस कमजोर है। यह सही है कि कांग्रेस की सरकार पर सिर्फ दो राज्यों में ही रह गई है। उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल जैसे बड़े राज्यों में तो कांग्रेस का सूपड़ा साफ हो गया है। इसी वर्ष गुजरात और हिमाचल में होने वाले विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी, कांग्रेस से आगे नजर आ रही है। गुजरात में यह स्थिति तब है, जब अशोक गहलोत खुद गुजरात चुनाव के वरिष्ठ पर्यवेक्षक हैं और उन्होंने अपने विश्वासपात्र रघु शर्मा (पूर्व मंत्री) को गुजरात का प्रभारी बना रखा है। कांग्रेस के कमजोर होने की बात गहलोत ने 19 अगस्त को एक न्यूज चैनल को दिए इंटरव्यू में कही। इस इंटरव्यू से पहले गहलोत ने दो दिनों का गुजरात दौरा किया था। गहलोत गुजरात से सीधे दिल्ली पहुंचे थे और तभी इंटरव्यू दिया गया। यानी गुजरात में कांग्रेस की जो स्थिति देखी, उसकी झलक गहलोत ने इंटरव्यू में प्रदर्शित की। राजस्थान में भी अगले वर्ष विधानसभा के चुनाव होने हैं। पार्टी में जबरदस्त आंतरिक खींचतान के बाद भी गहलोत भले ही सरकार चला रहे हों, लेकिन कांग्रेस की स्थिति बहुत खराब है। प्रदेश की कानून व्यवस्था तो पूरी तरह चौपट है ही साथ ही तुष्टिकरण की नीति के चलते लोगों में नाराजगी है। शायद गहलोत को गुजरात और राजस्थान के परिणामों का अंदाजा हो गया है, इसलिए अभी से कांग्रेस पार्टी के कमजोर होने के गीत गाए जा रहे हैं। गुजरात और राजस्थान में हार की जिम्मेदारी व्यक्तिगत तौर पर गहलोत की ही होगी, क्योंकि गहलोत गुजरात में पर्यवेक्षक और राजस्थान में मुख्यमंत्री हैं। गहलोत भी इस बात को अच्छी तरह जानते हैं कि उनके गृह प्रदेश राजस्थान में हालत अच्छे नहीं है। रोजाना मंत्री और कांग्रेस के विधायक अपनी ही सरकार के प्रति असंतोष व्यक्त कर रहे हैं। मंत्रियों और विधायकों पर गहलोत का नियंत्रण लगातार कम हो रहा है, यह भी सही है कि राजस्थान में गहलोत के मुख्यमंत्री रहते हुए कांग्रेस पार्टी की कभी भी जीत नहीं हुई है, लेकिन यह गहलोत की राजनीतिक जादूगरी ही है कि वे अगले चुनाव के परिणाम के बाद भी मुख्यमंत्री बने जाते हैं। यही वजह है कि 2018 में तीसरी बार मुख्यमंत्री बने गहलोत अपने राजनीतिक बयान में हमेशा यह दावा करते हैं कि वे जादूगर है, लेकिन गहलोत की जादूगरी सिर्फ मुख्यमंत्री बनने तक सीमित है। यदि गहलोत सही में जादूगर होते तो कांग्रेस पार्टी इतनी कमजोर नहीं होती।
S.P.MITTAL BLOGGER (20-08-2022)
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