भारत में रह रहे कट्टरपंथी बताए कि मुस्लिम राष्ट्र इराक में हिंसा क्यों हो रही है? आखिर प्रदर्शनकारियों की नाराजगी किसके खिलाफ है? हिंसा को देखते हुए ईरान ने अपनी सीमाओं को सील कर दिया है। भारत अपनी जरूरत का 26 प्रतिशत कच्चा तेल इराक से ही खरीदता है।

इराक में भारत के कुल सात हजार नागरिक रहते हैं, इनमें से भी अधिकांश मुस्लिम समुदाय के हैं। अफगानिस्तान और पाकिस्तान की तरह इराक भी मुस्लिम राष्ट्र है। लेकिन 28 अगस्त से ही संपूर्ण इराक हिंसा की आग में जल रहा है। प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति भवन पर कब्जा कर लिया है तथा सड़कों पर सेना और प्रदर्शनकारियों में झड़प हो रही है। बिगड़ते हालातों को देखते हुए सरकार ने सभी सरकारी दफ्तरों को बंद कर कर्फ्यू घोषित कर दिया है, लेकिन कर्फ्यू का कहीं भी असर देखने को नहीं मिल रहा है। हिंसा में अब तक 30 से ज्यादा इराकी मारे जा चुके हैं तथा 300 जख्मी हैं। राजधानी बगदाद के ग्रीन जोन में राकेश दागे जा रहे हैं। इराक में अराजकता का माहौल है। अराजकता तब उत्पन्न हुई, जब प्रभावशाली शिया मौलवी और राजनेता मुक्तदा  अल सदर  ने राजनीति से संन्यास लेने की घोषणा की। असल में गत वर्ष हुए आम चुनावों में अल सदर की पार्टी को सबसे ज्यादा सीटें मिली, लेकिन सरकार बनाने लायक बहुमत नहीं मिला। सुन्नी और अन्य समुदायों से जुड़ी पार्टियों ने शिया मौलवी को समर्थन नहीं दिया।  राजनीतिक हालातों को देखते हुए  अल सदर ने राजनीति से संन्यास लेने की घोषणा कर दी। हालांकि अब  अल सदर  भी शांति की अपील कर रहे हैं। लेकिन इस अपील का कोई असर नहीं हो रहा है। इराक में एक बार फिर गृहयुद्ध के आसार हो गए हैं। यह वही इराक है जिसके राष्ट्रपति सद्दाम हुसैन को फांसी पर लटका दिया गया था। पड़ोसी मुस्लिम राष्ट्र ईरान से तो इराक की जंग जगजाहिर है। दुनिया के किसी भी मुस्लिम राष्ट्र में कोई घटना होती है तो उसका असर भारत पर जरूर पड़ता है। भारत में करीब 25 करोड़ मुस्लिम आबादी है। भारत की बहुत संख्यक हिन्दू आबादी के साथ रहने में आम मुसलमानों को कोई परेशानी नहीं है। सौ घरों हिन्दू आबादी के बीच दो-तीन मुस्लिम परिसर आराम और सुकून के साथ रहते हैं। कभी भी किसी मुस्लिम परिवार के साथ भेदभाव नहीं होता। लेकिन इसके बावजूद भी अनेक कट्टरपंथी माहौल बिगाड़ने की कोशिश करते हैं। छोटी छोटी बातों को बेवजह हिन्दू-मुस्लिम झगड़े में बदला जाता है। पाकिस्तान में रहने वाले मुसलमान भी मानते हैं कि भारत में रहने वाला मुसलमान समृद्ध और सुरक्षित है। भारत में कट्टरपंथी गतिविधियों में सक्रिय लोग बताएं कि आखिर मुस्लिम राष्ट्र इराक में हिंसा क्यों हो रही है? इराक में कुल सात हजार भारतीय हैं। आखिर प्रदर्शनकारी किसके खिलाफ हिंसा कर रहे हैं। जाहिर है कि यह प्रदर्शन और नाराजगी अपने ही लोगों के खिलाफ है। भारत में रह रहे जो लोग पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाते हैं, उन्हें मुस्लिम राष्ट्र इराक की ताजा हिंसा से सबक लेना चाहिए। कट्टरपंथियों को यह समझना चाहिए कि भारत की सनातन संस्कृति ही एकमात्र ऐसी संस्कृति है जो दूसरे धर्मों का सम्मान करती है। जबकि अन्य देशों में एक ही धर्म के लोग आमने सामने हैं। वैसे भी भारत एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है, जिसमें हर व्यक्ति को अपने धर्म के अनुरूप रहने की स्वतंत्रता है, जबकि पाकिस्तान, अफगानिस्तान, इराक, ईरान जैसे देश मुस्लिम राष्ट्र हैं और यहां के नागरिक मुस्लिम धर्म के अनुरूप ही रहते हैं। इराक की ताजा घटनाओं का असर भारत पर इसलिए भी पड़ेगा कि भारत अपनी जरूरत का 26 प्रतिशत कच्चा तेल इराक से ही खरीदता है। यदि इराक के हालात ऐसे ही बने रहे तो तेल आयात पर प्रतिकूल असर पड़ेगा। 

S.P.MITTAL BLOGGER (30-08-2022)
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