आखिर ख्वाजा साहब की दरगाह में बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना को किससे डर है? ऐसे अभूतपूर्व सुरक्षा इंतजाम पहले कभी नहीं हुए। अजमेर के लोग बेवजह परेशान हो रहे हैं। हसीना के हवाई जहाज को किशनगढ़ एयरपोर्ट पर क्यों नहीं उतारा?
बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना 8 सितंबर को अजमेर स्थित ख्वाजा साहब की दरगाह में जियारत कर रही हैं। शेख हसीना पहले भी दो बार दरगाह में जियारत कर चुकी हैं। लेकिन इस बार दरगाह के अंदर और बाहर सुरक्षा के जो अभूतपूर्व इंतजाम किए हैं, उन्हें देखते हुए सवाल उठता है कि आखिर ख्वाजा साहब की दरगाह में शेख हसीना को किससे डर है? सब जानते हैं कि शेख हसीना एक मुस्लिम राष्ट्र की प्रधानमंत्री हैं। क्या किसी मुस्लिम राष्ट्र की राष्ट्राध्यक्ष ख्वाजा साहब की दरगाह में बिना डर और भय के जियारत नहीं कर सकता? ख्वाजा साहब ने तो भारत में प्यार मोहब्बत का पैगाम दिया। ख्वाजा साहब के भाईचारे और साम्प्रदायिक सद्भाव का जो संदेश दिया, उसकी दुहाई तो आज तक दी जाती है। यह किसी राष्ट्राध्यक्ष की सुरक्षा का अपना प्रोटोकॉल होता है। उसी के मुताबिक सुरक्षा के इंतजाम करने होते हैं। लेकिन शेख हसीना के लिए कुछ अतिरिक्त ही सतर्कता बरती जा रही है। स्वाभाविक है कि खुफिया एजेंसियों के पास गंभीर इनपुट होंगे, इसलिए अभूतपूर्व सुरक्षा इंतजाम किए गए। शेख हसीना ने दोपहर को जियारत की, लेकिन दरगाह को सुबह आठ बजे ही खाली करवा लिया। आमतौर पर हजारों जायरीन दरगाह में रहते हैं। लेकिन 8 सितंबर को जियारत के लिए बाहर से आए जायरीन को परेशानी का सामना करना पड़ा। दरगाह से जबरन बाहर निकाले जाने पर जायरीन में गुस्सा भी देखा गया। दरगाह के बाहर सैकड़ों दुकानों को 7 सितंबर को ही दुकानें बंद रखने का रिहर्सल करवा दिया गया। 8 सितंबर को भी दरगाह के बाहर दिन भी दुकानें बंद रही। इतना ही नहीं बंद दुकानों को भी सफेद कपड़े से ढक दिया गया। दरगाह के अंदर और बाहर सशस्त्र जवानों की नियुक्ति की गई। सवाल उठता है कि हसीना के हवाई जहाज को अजमेर से 25 किलोमीटर दूर किशनगढ़ एयरपोर्ट पर क्यों नहीं उतारा गया? जबकि पूर्व में भारत और बांग्लादेश के सुरक्षा अधिकारियों ने किशनगढ़ एयरपोर्ट का भी जायजा लिया था। चूंकि हसीना का जहाज जयपुर स्थित सांगानेर एयरपोर्ट पर उतरा, इसलिए जयपुर से अजमेर तक के करीब 135 किलोमीटर सड़क मार्ग को भी सुरक्षित किया गया। नेशनल हाइवे वाले इस सड़क मार्ग के सभी कट 8 सितंबर को बंद रहे, जिससे लाखों ग्रामीणों को भारी परेशानी हुई। यदि हसीना का जहाज किशनगढ़ एयरपोर्ट पर उतर जाता तो जयपुर से किशनगढ़ तक मार्ग पर लोगों को परेशानी नहीं होती। पर ऐसा लगता है कि शासन को लोगों की परेशानी से कोई सरोकार नहीं है। शेख हसीना के साथ आए 80 सदस्यीय दल से भी प्रतीत है कि लोगों की परेशानी कोई मायने नहीं रखती है। जहां तक अजमेर के लोगों का सवाल है कि वीआईपी की दरगाह जियारत पर परेशान होना अब आदत में आ गया है। मुख्यमंत्री के आगमन पर ही रास्ते जाम कर दिए जाते हैं। 8 सितंबर को तो हसीना की जियारत पर अजमेर के लोग दिन भर परेशान रहे। अच्छा हो कि दरगाह के निकट पहाडिय़ों पर स्थायी हैलीपेड का निर्माण किया जाए ताकि शेख हसीना जैसे वीवीआईपी व्यक्तियों को सड़क मार्ग के बजाए हेलीकॉप्टर से सीधे दरगाह तक ले जाए। इस मामले में जिला प्रशासन से लेकर राज्य और केंद्र सरकार को गंभीरता से विचार विमर्श करना चाहिए।
S.P.MITTAL BLOGGER (08-09-2022)
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