आरएसएस की आलोचना करने से कांग्रेस को कोई फायदा नहीं होगा, क्योंकि मुसलमानों के वोट क्षेत्रीय दलों को मिल रहे हैं। जब सार्वजनिक और धार्मिक स्थलों से सिर तन से जुदा के नारे लगते हैं, तब आरएसएस ही मददगार नजर आता है। भारत जोड़ो यात्रा में राहुल गांधी को देश की इस हकीकत को भी समझना चाहिए।
भारत जोड़ों यात्रा में भी कांग्रेस के शीर्ष नेता राहुल गांधी आरएसएस की आलोचना कर रहे हैं। राहुल गांधी आरएसएस को तोड़ने वाली विचारधारा बताते हैं। राहुल गांधी ऐसा पिछले 10 वर्षों से लगातार कर रहे हैं, लेकिन आरएसएस की आलोचना से कांग्रेस को कोई फायदा नहीं हो रहा है, क्योंकि मुसलमानों के वोट क्षेत्रीय दलों को मिल रहे हैं। राहुल के सामने उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, बिहार जैसे राज्य इसके मजबूत उदाहरण हैं। राहुल गांधी माने या नहीं, लेकिन आरएसएस अधिकांश हिन्दू समाज का प्रतिनिधित्व करता है। हिन्दुओं को लगता है कि जब कभी उन पर संकट आएगा तो आरएसएस के कार्यकर्ता ही मददगार बनेंगे। कई मौकों पर यह बात प्रदर्शित भी हुई है। जब सार्वजनिक और धार्मिक स्थलों से सिर तन से जुदा जैसे डरावने नारे लगते हैं तो हिन्दू समाज आरएसएस की ओर ही देखता है। अब जब राहुल गांधी भारत जोड़ों यात्रा पर आम लोगों से सीधा संवाद कर रहे हैं, तब उन्हें देश की इस हकीकत को समझना चाहिए। ऐसा न हो कि राहुल गांधी की आंखों पर आरएसएस विरोधी पट्टी बंधी रहे। यह सही है कि नरेंद्र मोदी वाली भाजपा, आरएसएस का राजनीतिक संगठन है। यदि हिन्दू समुदाय में आरएसएस के प्रति नाराजगी होती तो भाजपा को इतनी सफलता कैसे मिलती? आज भाजपा के लोकसभा में 303 सांसद हैं तथा 12 राज्यों में भाजपा की सरकार है। इसके विपरीत कांग्रेस के मात्र 52 सांसद हैं और सिर्फ दो राज्यों में कांग्रेस की सरकार है। जाहिर है कि आरएसएस की आलोचना कर राहुल गांधी कांग्रेस को नुकसान पहुंचा रहे हैं। गत लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश के अमेठी संसदीय क्षेत्र से खुद ही हार से भी राहुल गांधी को हिन्दू समाज के मूड का अंदाजा लगा लेना चाहिए। राहुल गांधी किस विचार को लेकर राजनीतिक करते हैं, यह उनका निर्णय है, लेकिन राजनीति में वहीं नेतृत्व सफल कहलाता है जो जीत दिलवाए। राहुल गांधी के नेतृत्व की वजह से ही अरविंद केजरीवाल की पार्टी कांग्रेस के बराबर आकर खड़ी हो गई है। राहुल गांधी यदि आरएसएस की आलोचना में ही लगे रहे तो दो माह बाद होने वाले गुजरात के चुनाव में कांग्रेस तीसरे नंबर पर चली जाएगी, क्योंकि राहुल गांधी तो आरएसएस की आलोचना में व्यस्त है और अरविंद केजरीवाल मुसलमानों के वोटों में सेंध लगा रहे हैं। यह भी अजीब बात है कि राहुल गांधी तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक में यात्रा कर रहे हैं तो केजरीवाल गुजरात की यात्रा कर रहे हैं। कांग्रेस की रणनीति कौन बना रहा है, यह राहुल गांधी बता सकते हैं। राहुल गांधी कांग्रेस के अध्यक्ष बने या नहीं लेकिन कांग्रेस की कमान राहुल के पास ही रहेगी।
S.P.MITTAL BLOGGER (13-09-2022)
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