70 साल बाद 8 चीतों को भारत में लाकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपना 72वां जन्मदिन मनाएंगे। केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव भी साथ रहेंगे। आतंक के पर्यायवाची माने जाने वाले चीन और पाकिस्तान से सीधे संवाद नहीं किया। लेकिन भारत को सस्ता तेल देने वाले रूस से सीधी बात की। अंतरराष्ट्रीय मंच पर ऐसा सिर्फ मोदी ही कर सकते हैं।

वन्य जीव विशेषज्ञों की मानें तो बिल्ली प्रजाति के चीते भारत में 1950 से पहले ही विलुप्त हो गए। भारत में 1949 में अंतिम बार छत्तीसगढ़ के जंगलों में चीतों को देखा गया था। लेकिन अब केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव के प्रयासों से नामीबिया के जंगलों से 8 चीतों को भारत लाया गया है। इसे एक संयोग ही कहा जाएगा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 17 सितंबर को जब अपना 72वां जन्मदिन मनाएंगे, तब 70 साल बाद चीतों को मध्य प्रदेश स्थित कूनो नेशनल पार्क के जंगलों में छोड़ा जाएगा। पीएम मोदी खुद दो चीतों को बाड़े में एंट्री दिलवाएंगे। केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव ने बताया कि विलुप्त हो चुके चीतों को भारत लाने में पीएम मोदी की प्रेरणा रही है। पिछले 8 सालों से वन्य जीव शेर की संख्या भारत में लगातार बढ़ी है। पीएम चाहते हैं कि भारत के जंगलों में अब चीतों से भी आबाद हो। यही वजह है कि नामीबिया से विशेष विमान के जरिए 8 चीतों को भारत लाया गया। चूंकि इनमें नर-मादा दोनों है, इसलिए जब कुनो नेशनल पार्क में इनकी संख्या बढ़ेगी तो फिर देश के अन्य जंगलों में भी चीतों को छोड़ा जाएगा। वन और पर्यावरण मंत्रालय के लिए यह गर्व की बात है कि 17 सितंबर को ही पीएम मोदी का जन्मदिन भी है। इस दिन भारत के वन क्षेत्रों में एक नया इतिहास रचा जाएगा। 
समरकंद में भारत की धाक:
16 सितंबर को उज्बेकिस्तान के समरकंद में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) का 22वां सम्मेलन हुआ। सम्मेलन में पीएम मोदी ने भारत की धाक जमाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। इसे मोदी की कूटनीति ही कहा जाएगा कि चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाह नवाज से मोदी ने द्विपक्षीय वार्ता नहीं की। इसके विपरीत रूस के प्रधानमंत्री व्लादिमीर पुतिन से वन टू वन बात की। भारत की आंतरिक परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए मोदी ने ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी से भी अलग से बात की। असल में एससीओ का गठन आतंकवाद को समाप्त करने और 8 देशों में आपसी सहयोग बढ़ाने का था, लेकिन पूरी दुनिया देख रही है कि चीन और पाकिस्तान आतंकवाद के पर्यायवाची बन गए हैं। दोनों देशों को सबक सिखाने की दृष्टि से मोदी ने इनके राष्ट्राध्यक्षों से बात नहीं की। जबकि सस्ता कच्चा तेल देने वाले रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से अकेले में बात की। यूक्रेन पर हमले के बाद जब अमरीका के आव्हान पर कई देश रूस से तेल खरीदने पर रोक लगा दी, तब भारत ने रूस से तेल खरीदने की हिम्मत दिखाई। भारत की इस हिम्मत को देखते हुए ही रूस प्रति बैरल पर 30 डॉलर का डिस्काउंट दे रहा है। अंतरराष्ट्रीय मंच पर ऐसी दिलेरी पीएम मोदी ही दिखा सकते हैं। महत्वपूर्ण बात यह है कि रूस से सस्ता तेल खरीदने के बाद भारत, अमरीका का पक्का दोस्त बना हुआ है। ईरान के राष्ट्रपति रईसी से भी अलग से बात कर मोदी ने इस बात के संकेत दिए हैं कि भारत की आंतरिक राजनीति पर भी उनकी नजर है। हो सकता है कि जल्द ही रईसी का भारत दौरा हो। हालांकि एससीओ मात्र 8 देशों का संगठन है, लेकिन पीएम मोदी ने अंतर्राष्ट्रीय मंच पर यह दर्शा दिया है कि भारत की नीति स्वतंत्र हैं। भारत अब किसी महाशक्ति के दबाव में काम नहीं कर रहा है। यही वजह रही कि सम्मेलन में मोदी ने आतंकवाद को समाप्त करने पर प्रभावी तरीके से भारत का पक्ष रखा। मोदी 16 सितंबर की देर रात समरकंद से दिल्ली पहुंचेंगे।  इसे मोदी की रात दिन मेहनत करने वाली बात ही कहा जाएगा कि 17 सितंबर को दोपहर तक मोदी मध्यप्रदेश के कूनो नेशनल पार्क पहुंच जाएंगे। 
S.P.MITTAL BLOGGER (16-09-2022)
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