चीन और पाकिस्तान अब यह समझ लें कि भारत की चाल चीते जैसी हैं। देश विरोधी तत्व भी सावधान हो जाएं। चीतों को छोड़ने के अवसर पर केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव भी पीएम मोदी के साथ रहे।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 17 सितंबर को अपने जन्मदिन पर मध्यप्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में 8 चीजों को छोड़ दिया है। भारत में चीतों की संख्या बढ़ाने के लिए इन चीतों को नामीबिया से खास तौर से लाया गया है। शेर की प्रजाति में चीते को सबसे तेज दौड़ने वाला वन्य जीव माना जाता है। विलुप्त हो चुके चीते को भारत लाना कोई वन्य जीव की साधारण बात नहीं है। चीतों को बसाने की बात भारत का दृष्टि भी प्रदर्शित करता है। नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री बनने के बाद भारत सामरिक दृष्टि से बहुत मजबूत किया है। विगत दिनों ही 20 हजार करोड़ रुपए की लागत वाले  जल युद्धपोत को राष्ट्र को समर्पित किया है। भारत के दुश्मन माने जाने वाले चीन और पाकिस्तान को अब यह समझ लेना चाहिए कि भारत की चाल चीते जैसी है। वन क्षेत्र में चीते को सबसे ताकतवर जीव माना जाता है। भारत अब वो देश नहीं रहा हो जो अनुच्छेद 370 की आड़ में पाकिस्तान प्रायोजित आतंक को बर्दाश्त कर या फिर व्यापार के नाम पर चीन के सामने घुटने टेके। हमारा चीता अब चीन और पाकिस्तान को आंखें दिखाने की स्थिति में है। हमारा चीता पाकिस्तान को तो घर में घुसकर मारने की स्थिति में है। व्यापार के क्षेत्र में चीते ने जो लात मारी है, उससे चीन की कमर टूट गई है। यही वजह है कि अब लद्दाख सीमा पर चीन की सेना पीछे हटने लगी है। 17 सितंबर को चीतों को भारत के जंगलों में छोड़ कर पीएम मोदी ने अपना दृष्टिकोण स्पष्ट कर दिया है। इससे देश विरोधी तत्वों को सबक ले लेना चाहिए। अब देश का अन्न खाने और पानी पीने वाले देश के साथ गद्दारी करेंगे तो उन्हें चीते की चाल से सबक सिखाया जाएगा। भारत में रहकर पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाने वाले भी अब सतर्क हो जाएं। असल में देश जब मजबूत हाथों में होता है, तब पुराने रोगों का इलाज भी हो जाता है। जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटा कर ऐसे ही रोग का इलाज किया गया है। लोकतंत्र में जनता ही सर्वोपरि होती है। 545 सांसदों में से 350 सांसद आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ खड़े हैं, इसलिए भारत भी चीते जैसी दौड़ लगा रहा है। भारत के सवा सौ करोड़ लोगों के लिए यह गर्व की बात है कि देश चीते की चाल रहा है। चीतों को जंगल में एंट्री करवाते समय पीएम मोदी ने भी गजब का आत्मविश्वास दिखाया है। पिंजरे से बाहर निकालने के बाद मोदी ने अपने कैमरे से चीतों के फोटो भी खींचे। इस अवसर पर मोदी ने कहा कि कूनो में चीता फिर से दौड़ेगा तो यहां बायोडायवर्सिटी बढ़ेगी। यहां विकास की संभावनाएं जन्म लेंगी। रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। मोदी ने लोगों से अपील की कि अभी धैर्य रखें, चीतों को देखने नहीं आएं। ये चीते मेहमान बनकर आए हैं। इस क्षेत्र से अनजान हैं। कूनो को ये अपना घर बना पाएं इसके लिए इनको सहयोग देना है। पीएम मोदी ने कहा कि हमने उस समय को भी देखा, जब प्रकृति के दोहन को शक्ति प्रदर्शन का प्रतीक मान लिया गया था। 1947 में जब देश में केवल 3 चीते बचे थे, तो उनका भी शिकार कर लिया गया। ये दुर्भाग्य रहा कि 1952 में हमने चीतों को विलुप्त तो घोषित कर दिया, लेकिन उनके पुनर्वास के लिए दशकों तक सार्थक प्रयास नहीं किए। आजादी के अमृत काल में देश नई ऊर्जा के साथ चीतों के पुनर्वास के लिए जुट गया है। यह एक ऐसा काम है राजनीतिक दृष्टि से जिसे कोई महत्व नहीं देता, इसके पीछे हमने वर्षों ऊर्जा लगाई। चीता एक्शन प्लान बनाया। हमारे वैज्ञानिकों ने नामीबिया के एक्सपर्ट के साथ काम किया। पूरे देश में वैज्ञानिक सर्वे के बाद नेशनल कूनो पार्क को शुभ शुरुआत के लिए चुना गया। प्रकृति और पर्यावरण, पशु और पक्षी भारत के लिए सस्टेनेबिलिटी और सिक्योरिटी के विषय नहीं हैं। हमारे लिए ये सेंसिबिलिटी और स्प्रिचुअलिटी का भी आधार हैं।
यादव भी साथ रहे:
17 सितंबर को कूनो नेशनल पार्क में चीतों को छोड़ने के समय केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव भी पीएम मोदी के साथ रहे। इस मौके पर यादव ने मोदी को बताया कि 8 चीतों को किस तरह नामीबिया से कूनो नेशनल पार्क तक लाया गया है। हवाई जहाज के दौरान सभी चीते सुरक्षित रहे इसके लिए उन्हें नामीबिया में ही बेहोशी की दवा दे दी गई थी। यही वजह रही कि सभी चीते अपने अपने बॉक्स में हवाई सफर के दौरान शांत रहे। कूनो नेशनल पार्क में सभी चीते कुछ दिनों के लिए वन्य विशेषज्ञों की निगरानी में रहेंगे। 

S.P.MITTAL BLOGGER (17-09-2022)
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