नामांकन के साथ ही मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा देने की घोषणा कर सकते हैं अशोक गहलोत। कांग्रेस विधायक दल की बैठक में नए मुख्यमंत्री का फैसला कांग्रेस हाईकमान पर छोड़ा जाएगा। कांग्रेस विधायकों को एकजुट रखने की जिम्मेदारी अशोक गहलोत की ही होगी।
अभी यह तो नहीं कहा जा सकता कि राजस्थान में अशोक गहलोत के बाद सचिन पायलट ही मुख्यमंत्री बनेंगे। लेकिन माना जा रहा है कि अशोक गहलोत जब कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के लिए नामांकन दाखिल करेंगे तभी मुख्यमंत्री का पद छोड़ने का ऐलान कर देंगे। इसके बाद जयपुर में कांग्रेस विधायक दल की बैठक बुलाई जाएगी। कांग्रेस की परंपरा के अनुसार विधायक दल की बैठक में एक लाइन का प्रस्ताव पास किया जाएगा, जिसमें मुख्यमंत्री तय करने की जिम्मेदारी कांग्रेस हाईकमान पर डाली जाएगी। इसी परंपरा को दिसंबर 2018 में भी अपनाया गया था, तब हाईकमान ने अशोक गहलोत के नाम पर मोहर लगाई। इस बार भी मुख्यमंत्री के नाम पर कांग्रेस का नेतृत्व करने वाला गांधी परिवार ही मोहर लगाएगा। जानकारों की माने तो गांधी परिवार का झुकाव सचिन पायलट की ओर है। हाईकमान की ओर से गहलोत को कहा गया है कि राजस्थान में कांग्रेस विधायकों को एकजुट रखने की जिम्मेदारी उन्हीं की है। यानी जिस प्रकार गहलोत ने अपनी सरकार के लिए विधायकों को एकजुट रखा उसी प्रकार अब कांग्रेस की सरकार के लिए भी विधायकों को एकजुट रखना होगा। जिस प्रकार दिसंबर 2018 में मुख्यमंत्री की दौड़ में पायलट सबसे आगे थे, उसी प्रकार अब सितंबर 2022 में भी पायलट सबसे आगे हैं। पायलट ने 23 सितंबर को ही विधानसभा पहुंच कर कांग्रेस विधायकों के साथ संवाद स्थापित किया। बाबूलाल नागर जैसे विधायक कल तक अशोक गहलोत के समर्थन में कसीदे पढ़ रहे थे, वही नागर अब पायलट की स्तुति करने लगे हैं। गहलोत के कई मंत्रियों ने भी पायलट से संपर्क किया है। पायलट के समर्थकों को उम्मीद है कि कांग्रेस हाईकमान अब सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बनाने की घोषणा करेगा। यह बात अलग है कि कोच्चि से लौटने के बाद पायलट और गहलोत के बीच कोई मुलाकात नहीं हुई है। हो सकता है कि जल्द ही दोनों के बीच मुलाकात हो, बदले हुए हालातों में पायलट के समर्थक बेहद उत्साहित है। जानकार सूत्रों के अनुसार गहलोत ने अपने स्थान पर विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी को मुख्यमंत्री बनाने का प्रस्ताव रखा था, लेकिन हाईकमान ने जोशी के नाम पर कोई रुचि नहीं दिखाई। सब जानते हैं कि पायलट से प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष और डिप्टी सीएम का पद छीन लेने के बाद भी राजस्थान में पायलट की लोकप्रियता में कोई कमी नहीं आई। पिछले दो वर्ष में बिना पद के ही पायलट जहां भी गए, वहां लोगों की भीड़ जमा हो गई। गत विधानसभा चुनाव में सचिन पायलट के प्रभाव की वजह से ही भाजपा का एक भी गुर्जर उम्मीदवार चुनाव नहीं जीत सका, जबकि गुर्जर बाहुल्य क्षेत्रों से कांग्रेस के उम्मीदवार चुनाव जीत गए। जानकार सूत्रों के अनुसार अशोक गहलोत 27 सितंबर को कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए दिल्ली में नामांकन भरेंगे। इसके दो तीन दिन बाद ही जयपुर में कांग्रेस विधायक दल की बैठक बुलाई जा सकती है। अध्यक्ष पद के नामांकन की अंतिम तिथि 30 सितंबर हैं। आवश्यकता होने पर 17 अक्टूबर को मतदान होगा। 19 अक्टूबर को परिणाम आएंगे। यदि 30 सितंबर तक किसी अन्य नेता का नामांकन नहीं होता है तो 1 अक्टूबर को अशोक गहलोत को कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष घोषित कर दिया जाएगा। अशोक गहलोत के समर्थक चाहते हैं कि गहलोत को निर्विरोध अध्यक्ष बनाया जाए, इसके लिए गहलोत समर्थक सक्रिय हो गए हैं। गहलोत ने भी अब सारा ध्यान राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव पर केंद्रित कर लिया है। गहलोत अब धूमधाम से अध्यक्ष पद पर अपनी ताजपोशी करवाना चाहते हैं।
S.P.MITTAL BLOGGER (24-09-2022)
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