बाथरूम में निर्वस्त्र होकर नहीं नहाना चाहिए। कथावाचक पंडित गौरव जी व्यास ने गोपियों के चीर हरण के प्रसंग में प्रेरणादायक कथा सुनाई। सेवानिवृत्ति पर पुष्कर के हरिप्रसाद शर्मा ने भागवत कथा का आयोजन किया।
सेवानिवृत्ति होने वाले कार्मिक अपनी प्रवृत्ति के अनुरूप जश्न मनाते हैं। सनातन संस्कृति में भरोसा रखने वाले धार्मिक प्रवृत्ति के कार्मिक धार्मिक आयोजन करते हैं। ऐसा ही एक धार्मिक आयोजन चिकित्सा विभाग के सहायक प्रशासनिक अधिकारी के पद से रिटायर हुए हरिप्रसाद शर्मा ने करवाया। शर्मा 31 अक्टूबर को सेवानिवृत्त हुए और इससे पहले ही 26 अक्टूबर से पुष्कर के खंडेलवाल धर्मशाला में भागवत कथा शुरू करवा दी। कथावचक गौरव जी व्यास द्वारा कराई जा रही कथा 31 अक्टूबर को मैंने भी सुनी। मुझे बताया गया कि गौरव व्यास अजमेर के हरिभाऊ उपाध्याय नगर विस्तार के निवासी हैं और उत्तर पूर्व के राज्यों में उनके धार्मिक आयोजन होते रहते हैं। वे वर्ष 2004 से भागवत कथा का वाचन कर रहे हैं। संस्कृत के हजारों श्लोक उनके मन मस्तिष्क में हमेशा रहते हैं। भागवत को आम आदमी समझ सके इसके लिए उनके पास प्रेरणादायक प्रसंग भी हैं। 31 अक्टूबर को भी व्यास पीठ के गौरव जी व्यास ने भागवत के अनेक प्रसंग सुनाए। इसमें में चीर हरण से जुड़ा प्रसंग भी रहा। उन्होंने कहा कि प्रसंग द्वारा गोपियों के चीर हरण को लेकर अलग अलग तरह से व्याख्या की जाती है। कृष्ण ने गोपियों को समझाने के लिए ही उनके वस्त्रों का हरण किया था। उस समय कृष्ण की आयु मात्र साढ़े पांच वर्ष की थी। कुछ लोग उस समय कृष्ण को मनुष्य के रूप में देखते हैं तो कुछ लोग भगवान के रूप में। असल में श्रीकृष्ण इस बात का संदेश देना चाहते थे कि निर्वस्त्र होकर स्नान न किया जाए। उन्होंने मौजूदा समय में भी लोगों से आग्रह किया कि बाथरूम में भी निर्वस्त्र होकर स्नान न किया जाए। हमारी सनातन संस्कृति में जल को भी वरुण देवता का स्वरूप माना गया है। यदि हम निर्वस्त्र होकर स्नान करते हैं तो यह वरुण देवता का अपमान होता है। पंडित गौरव जी व्यास ने सनातन संस्कृति में विश्वास रखने वाले लोगों से आग्रह किया कि वे नहाते समय शरीर पर वस्त्र धारण अवश्य करे, भले ही यह वस्त्र छोटा ही हो। उन्होंने कहा कि भागवत में ऐसे अनेक प्रेरणादायक प्रसंग हैं, जिनके माध्यम से हम बहुत कुछ सीख सकते हैं। उन्होंने बताया कि श्री कृष्ण जब गोपियों के बीच से अंतर्ध्यान हो गए थे, तब भागवत में गोपियों का विरह गीत लिखा गया। इस गीत में 19 श्लोक है। यदि हम इन 19 श्लोकों को समझना चाहे तो कई महीने लग जाएंगे। एक बार महाराष्ट्र में उन विरह श्लोकों की व्याख्या करने के लिए मुझे बुलाया गया। पांच श्लोकों की व्याख्या में ही सात दिन गुजर गए। मैंने एक दिन में लगातार पांच घंटे तक धाराप्रभाव व्याख्या की। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि गोपियों के विरह गीत को समझने के लिए कितने दिन और दिमाग चाहिए। उन्होंने कहा कि भागवत एक ऐसा ग्रंथ है जिसको पढ़कर मोक्ष की प्राप्ति कर सकते हैं। मनुष्य इन दिनों जिस तरह भौतिकवाद में उलझा हुआ है, उसमें भागवत कथा ग्रंथ ही जीवन को सरल और आसान बना सकती है। भागवत कथा के बारे में और अधिक जानकारी मोबाइल नंबर 9352536066 पर पंडित गौरव जी व्यास से संवाद किया जा सकता है। इसके साथ ही सेवानिवृत्ति पर भागवत कथा का आयोजन करवाने के लिए हरिप्रसाद शर्मा का मोबाइल नंबर 9414314409 पर आभार प्रकट किया जा सकता है।
S.P.MITTAL BLOGGER (01-11-2022)
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