पीएम मोदी का मालासेरी डूंगरी के माध्यम से भावनात्मक तौर पर जुडऩे का प्रयास। गुजरात के गुर्जर नेता पाटिल के कारण राजस्थान के कांग्रेसी नेता राम प्रसाद धाबाई को भी पीएम के मंच पर बैठने का मौका मिला। मालासेरी डूंगरी के धार्मिक विकास की राह खुली-ओम प्रकाश भडाना।

28 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करीब पौने दो घंटे तक राजस्थान के भीलवाड़ा जिले में आसींद स्थित मालासेरी डूंगरी पर रहे। देशभर के गुर्जर समुदाय के लिए इस डूंगरी (पहाड़ी) का विशेष धार्मिक महत्व है। मान्यता है कि 1111 वर्ष पहले गुर्जर समुदाय की माता साढू के घर में कमल के फूल में भगवान देवनारायण अवतरित हुए। पीएम मोदी ने 28 जनवरी को भगवान देवनारायण के 1111वें जन्मदिवस पर ही अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई। मोदी ने जिस प्रकार महायज्ञ की पूर्णाहूति की और मंदिर में अपनी श्रद्धा दिखाई, उससे मंदिर के महंत सुरेश दास और पुजारी हेमराज भी प्रसन्न है। दोनों का कहना है कि यह पहला अवसर है, जब देश का कोई प्रधानमंत्री गुर्जर समुदाय के सर्वोच्च धार्मिक स्थल पर आया है। मोदी ने जिस प्रकार डूंगरी और मंदिर की धार्मिक गतिविधियों में भाग लिया, वह प्रशंसनीय है। इसमें कोई दो राय नहीं कि ोदी ने मालासेरी डूंगरी के माध्यम से स्वयं को गुर्जर समुदाय से भावनात्मक तौर पर जुड़ने का प्रयास किया है। राजस्थान में 9 माह बाद विधानसभा के चुनाव होने हैं और मौजूदा समय में भाजपा का एक भी गुर्जर विधायक नहीं है। 2018 में कांग्रेस की ओर से सचिन पायलट (गुर्जर) के मुख्यमंत्री बनने की उम्मीद थी, इसलिए गुर्जर समुदाय ने एकजुटता दिखाते हुए कांग्रेस के पक्ष में एकतरफा मतदान किया। हालांकि हाईकमान ने गुर्जर समुदाय के पायलट को मुख्यमंत्री नहीं बनाया और अशोक गहलोत के शासन में पायलट की जो दुर्गति हो रही है, उससे गुर्जर समुदाय में नाराजगी है। ऐसे माहौल में विधानसभा चुनाव से पहले पीएम मोदी का गुर्जरों के सर्वोच्च धार्मिक स्थल पर आना राजनीतिक दृष्टि से भी बहुत मायने रखता है। पीएम मोदी ने अपने संबोधन में भगवान देवनारायण के कमल के फूल और भाजपा के चुनाव चिन्ह कमल के फूल को आपस में जोड़ने का प्रयास भी किया। मोदी ने अपने संबोधन में उन गुर्जर नेताओं और समाज सुधारकों का नाम लिया, जिनकी अभी तक उपेक्षा हुई। बिजोलिया आंदोलन के प्रमुख विजय सिंह पथिक का नाम उल्लेखनीय है। गुर्जर समुदाय की युवा पीढ़ी को भी पीएम के संबोधन से ही पता चला होगा कि विजय सिंह पथिक का असली नाम क्रांतिवीर भूप सिंह गुर्जर था। मोदी ने कोतवाल धन सिंह, जोग राज सिंह, रामप्यारी गुर्जर, पन्नाधाय गुर्जर जैसी हस्तियों का उल्लेख कर गुर्जर समुदाय को गौरव का अहसास करवाया। हो सकता है कि चुनाव में ऐसे दिवंगत गुर्जर नेताओं को पद्म विभूषण या पद्मश्री अवार्ड से नवाजा जाए। 
पाटिल के कारण धाबाई को मौका:
28 जनवरी को मालासेरी डूंगरी पर हुई सभा के मंच पर पीएम मोदी के साथ अखिल भारतीय गुर्जर महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष पाटिल के साथ साथ महासभा की राजस्थान इकाई के प्रदेश अध्यक्ष रामप्रसाद धाबाई को भी बैठने का अवसर मिला। असल में पाटिल को मोदी के साथ मंच पर बैठाने के निर्देश पीएमओ से ही प्राप्त हुए। जब पाटिल को बैठाया गया तो महासभा के प्रदेशाध्यक्ष के नाते धाबाई को भी पीएम के साथ बैठने का अवसर मिल गया। धाबाई कांग्रेस के नेता है, लेकिन मंच पर बैठाने में राजनीति को दूर रखा गया। 28 जनवरी को मालासेरी डूंगरी पर सभा के लिए तीन मंच बनाए गए। मुख्य मंच पर पीएम मोदी वाला था, जिस पर पाटिल धाबाई, केंद्रीय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल, सांसद सुभाष बहरिया, महंत सुरेश दास और पुजारी हेमराज को अवसर मिला। जबकि दूसरे मंच पर भाजपा नेता, सांसद, विधायक और गुर्जरों की विभिन्न संस्थाओं के पदाधिकारी बैठे थे। उन्हीं में गुर्जर आरक्षण आंदोलन के विजय बैंसला भी शामिल रहे। तीसरे मंच पर गुर्जर समुदाय के साधु-संत विराजमान थे। मोदी ने गुर्जर समुदाय के साधु संतों का भी आशीर्वाद प्राप्त किया। 
विकास की राह खुली:
राजस्थान में भाजपा के ओबीसी मोर्चे के प्रदेशाध्यक्ष और गुर्जर समुदाय के प्रमुख नेता ओम प्रकाश भडाना ने कहा कि पीएम मोदी के आने से मालासेरी डूंगरी तीर्थ क्षेत्र के विकास की राह खुली है। गुर्जर समुदाय के सर्वोच्च धार्मिक स्थल की ओर पूरे देश का ध्यान आकर्षित हुआ है। भडाना ने कहा कि पीएम मोदी जिस किसी धार्मिक स्थल पर जाते हैं, वहां के विकास की योजना बन ही जाती है। समारोह में केंद्रीय कला एवं संस्कृति मंत्री अर्जुनराम मेघवाल स्वयं उपस्थित रहे। इसलिए उम्मीद है कि मालासेरी डूंगरी का विकास भी अन्य तीर्थ स्थलों की तरह होगा। भडाना ने कहा कि राजस्थान में ओबीसी की दूसरी सबसे बड़ी जाति गुर्जर है। प्रदेश और देश के विकास में गुर्जर समुदाय का विशेष योगदान रहा है। चूंकि 28 जनवरी का धार्मिक समारोह भगवान देवनारायण की 1111वीं जयंती पर हुआ, इसलिए गुर्जर समुदाय के लोग अपने अपने साधनों से मालासेरी डूंगरी पहुंचे। पीएम की सभा का निमंत्रण देने के लिए मालासेरी डूंगरी की परिवार में भिजवाए गए थे। एक अनुमान के मुताबिक 28 जनवरी को मालासेरी डूंगरी पर चार लाख गुर्जर उपस्थित रहे। 

S.P.MITTAL BLOGGER (29-01-2023)
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