अद्भुत चीजे संग्रहित करते करते खुद अदभुत बन गए हैं इंजीनियर रामनिवास खाती। 15 फरवरी को अजमेर के एमडीएस यूनिवर्सिटी में लगेगी दुर्लभ वस्तुओं की प्रदर्शनी। इसमें 350 साल पुराना अखबार, 10 किलो वजन का कैलकुलेटर, विश्व की सबसे छोटी किताब, ऐतिहासिक सिक्के, डाक टिकट आदि शामिल है।
अखबार लंदन गजेड और लगभग 160 साल से भी ज्यादा पुराना न्यूयॉर्क टाइम्स अखबार भी देखने को मिलेगा। इसमें जर्मन द्वारा द्वितीय विश्वयुद्ध के अंदर कोडेड मैसेज भेजने के लिए काम में ली जाने वाली मशीन की प्रतिकृति भी है। इसके अलावा और कई सारी ऐसी चीजे है जो सामान्य रूप से अपने को देखने के लिए नहीं मिल पाती है। इस प्रदर्शनी के अंदर सिक्कों का प्रदर्शन भी किया जाएगा और इनके पास जब से भारत में सिक्के चालू हुए है, जब से लेकर आज तक के सिक्कों का संग्रह है, इसमें सबसे पुराना सिक्का जो है वह 2 हजार 600 साल पुराना है। इसमें विश्व का सबसे छोटा सिक्का भी है जिसकी साइज 2 एमएम है और उसका वजन 40 मिलीग्राम है वो भी आपको देखने को मिल सकता है। प्राचीन काल, सल्तनत एवं मुगल काल, रियासत कालीन, ईस्ट इंडिया कंपनी और ब्रिटिश काल, स्वतंत्र भारत सहित अन्य देशों के सिक्के भी देखने को मिलेंगे। इसके अलावा ऐसे सिक्के जो कि प्रचलन में नहीं आते हैं लेकिन भारत सरकार द्वारा व्यक्ति विशेष को व स्थान विशेष को स्मरण करने के लिए निकालते है यह सिक्के वैसे तो लीगल टेंडर है, लेकिन सामान्य रूप से काम में नहीं लिए जाते हैं। यह काफी बड़ी साइज के होते हैं उनका वजन भी लगभग 35 से 45 ग्राम होता है इसमें लगभग 50 प्रतिशत चांदी होती है और बाकी अन्य धातुएं होती है। इस प्रकार के सिक्के कई मूल्यवर्ग में निकले हुए है जैसे 10, 20, 25, 50, 60, 75, 100, 125, 150, 200, 250, 400, 500, 550 व 1000 रुपए के सिक्के। इसके अलावा रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की स्थापना के बाद से लेकर 5000 व 10 हजार रुपए को छोड़कर अब तक के सारे बैंक नोट आपको देखने को मिलेंगे। इसके अलावा प्रदर्शनी में आपको हुण्डी, प्रोमिशरी नोट भी देखने को मिलेंगे।
इन सब कलेक्शन के आलावा रामनिवास खाती के पास स्वयं का ऐसा निजी कलेक्शन है जो कोई दूसरा आदमी नहीं कर सकता क्योंकि यह कलेक्शन स्वयं के नाम से है जैसे इनके पास अन्य देशो के मित्रों से आए हुए लगभग 2500 पत्र है जो कि इनके स्वयं के नाम से है जोकि दूसरा कोई इतना कलेक्शन नहीं कर सकता हैं। इसी तरह से इनके पास ग्रीटिंग काड्र्स भी है और एक फ्रेंडशिप बुक है जो कि आजकल की फेसबुक के समान ही है उस समय इंटरनेट नहीं था तो उन्होंने इस फ्रेंडशिप बुक के माध्यम से ही अन्य देशों में लोगों से संपर्क स्थापित किया और दोस्ती की और पत्र व्यवहार किया। इनकी फ्रेंडशिप बुके भी आपको यहां देखने को मिल सकती है। और इसके अलावा अन्य देशों के दोस्तों के द्वारा भेजे गए व्यू कार्ड जिसमें उस देश की सभ्यता संस्कृति, ऐतिहासिक इमारतों की तस्वीरें होती है वह भी आपको देखने को मिल सकती है।
S.P.MITTAL BLOGGER (13-02-2023)
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