500 करोड़ रुपए खर्च करने से पहले पुष्कर तीर्थ के सरोवर के घोषित नो कंस्ट्रक्शन जोन में निर्माण कार्यों को रोका जाए। 2009 के बाद हुए निर्माणों को भी हटाया जाए। तभी उज्जैन और बनारस की तर्ज पर पुष्कर तीर्थ का विकास हो सकता है।

पुष्कर विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ने के इच्छुक और आरटीडीसी के अध्यक्ष धर्मेंद्र राठौड़ का दावा है कि 15 फरवरी को जयपुर में एक उच्चस्तरीय प्रशासनिक बैठक हुई। इस बैठक में अजमेर के पुष्कर तीर्थ के विकास पर पांच सौ करोड़ रुपए खर्च करने का निर्णय लिया गया। यह अच्छी बात है कि कांग्रेस के शासन में किसी हिंदू धर्म स्थल के विकास पर इतनी बड़ी राशि खर्च की जा रही है। पांच सौ करोड़ रुपए में तो पूरे पुष्कर की कायपट हो सकती है। लेकिन विकास के कार्य शुरू करने से पहले पवित्र सरोवर के घोषित नौ कंस्ट्रक्शन जोन में हो रहे निर्माण कार्यों पर रोक लगानी होगी तथा 20 फरवरी 2009 के बाद हुए निर्माणों को भी हटाना होगा। यदि सरोवर के भराव क्षेत्र को अतिक्रमण मुक्त नहीं करवाया जाता है तो पुष्कर के विकास कार्यों का भी वो ही हश्र होगा जो अजमेर के आनासागर का हुआ है। अजमेर में भी भूमाफिया और अतिक्रमण कारियों को लाभ पहुंचाने के लिए स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत आनासागर के चारों तरफ पाथवे का निर्माण तथा भराव क्षेत्र में सात अजूबों की इमारतें खड़ी कर दी गई। अब भूमाफिया और अतिक्रमणकारी खुश है कि पाथ वे के कारण उनके निर्माण टूटने से बच गए हैं। सवाल उठता है कि कहीं अजमेर की तरह पुष्कर में भी भू माफियाओं को लाभ पहुंचाने के लिए पांच सौ करोड़ रुपए खर्च तो नहीं किए जा रहे? अजमेर में आनासागर के भराव क्षेत्र में हुए स्मार्ट सिटी के कार्यों की जब कभी ईमानदारी के साथ जांच होगी तो संबंधित विभागों के अधिकारी और इंजीनियर जेल जाएंगे। सब जानते हैं कि पुष्कर का धार्मिक महत्व सरोवर से ही है। सरोवर में स्नान कर श्रद्धालु पुण्य कमाते हैं तो वहीं पापी अपने पाप धोते हैं। सरोवर के धार्मिक महत्व को देखते हुए ही हाईकोर्ट ने एक जनहित याचिका पर सरोवर के भराव क्षेत्र में निर्माण कार्यों पर रोक लगाई। हाईकोर्ट के आदेश के अनुरूप ही 20 फरवरी 2009 को अजमेर के तत्कालीन जिला कलेक्टर राजेश यादव ने एक आदेश निकाल कर पुष्कर सरोवर सहित जिले की दस झीलों के डूब क्षेत्र और केचमेंट (भराव) क्षेत्र में सभी प्रकार के अवैध निर्माणों पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया। पुष्कर सरोवर का डूब क्षेत्र 72 बीघा और भराव क्षेत्र 600 बीघा निर्धारित है। यानी 672 बीघा भूमि पर कोई निर्माण नहीं होना चाहिए। लेकिन इसे अफसोसनाक ही कहा जाएगा कि संबंधित विभागों ने 2009 के बाद भी स्वीकृति जारी कर सरोवर के भराव क्षेत्र में निर्माण करवा दिए। अब ऐसे अवैध निर्माण नहीं टूटे उनके लिए ही पांच सौ करोड़ रुपए के विकास की योजना बनाई जा रही है। चुनावी राजनीति के कारण जो लोग पांच सौ करोड़ रुपए का विकास दिखा रहे हैं उन्हें यह समझना चाहिए कि बरसात के समय सीवरेज का पानी सरोवर में समा जाता है। सरोवर के आसपास तंग गलियों से निकलना भी मुश्किल होता है। अवैध निर्माणों की वजह से पवित्र सरोवर सिकुड़ता जा रहा है। हालात इतने खराब है कि गर्मी के दिनों में तो सरोवर पूरी तरह सूख जाता है और श्रद्धालुओं को कुंडों पर बैठकर स्नान करना पड़ता है। सरोवर में जल के अभाव की समस्या को पुष्कर के पुरोहित भी पुरजोर तरीके से उठा चुके हैं। जब भी कोई विशिष्ट व्यक्ति पूजा अर्चना के लिए जाता है तो सरोवर में जल की समस्या को उठाया जाता है। अब पुष्कर के तीर्थ पुरोहितों का भी यह दायित्व है कि वे सरोवर के भराव क्षेत्र की भूमि को अतिक्रमण मुक्त करवाएं। सरोवर जब अपने मूल स्वरूप में लौटेगा तभी वर्ष भर सरोवर में जल भरा रहेगा। उज्जैन और बनारस की तर्ज पर पुष्कर का तभी विकास हो सकता है, जब पवित्र सरोवर को सुरक्षित रखा जाए।   
S.P.MITTAL BLOGGER (16-02-2023)
Website- www.spmittal.inFacebook Page- www.facebook.com/SPMittalblogFollow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11Blog- spmittal.blogspot.comTo Add in WhatsApp Group- 9929383123To Contact- 98290715112

Print Friendly, PDF & Email

You may also like...