राजस्थान विधानसभा में संसदीय परंपराओं का निर्वहन, लेकिन लोकसभा में नहीं। ऐसा क्यों? आखिर बर्खास्त मंत्री राजेंद्र गुढ़ा ने लाल डायरी के राज खोलना शुरू किए। पहला निशाना मुख्यमंत्री गहलोत के बेटे और राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष वैभव गहलोत को बनाया।

2 अगस्त को ही लोकसभा में प्रश्नकाल नहीं हुआ। ऐसा पिछले एक पखवाड़े से हो रहा है। कांग्रेस सहित विपक्ष के अन्य सांसद सदन में पहले महिला अत्याचार पर शर्तों के मुताबिक चर्चा करवाना चाहते हैं। लोकसभा में प्रश्नकाल नहीं होने से सांसदों को अपने क्षेत्र की समस्याओं को उठाने का अवसर नहीं मिल रहा है। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला प्रतिदिन संसद में लोकतंत्र का पाठ पढ़ाते हैं, लेकिन सांसदों पर कोई असर नहीं होता। मजबूरन लोकसभा की कार्यवाही को स्थगित करना पड़ता है। लोकसभा जैसा नजारा ही 2 अगस्त को राजस्थान विधानसभा में देखने को मिला। भाजपा विधायकों ने अपने साथी विधायक मदन दिलावर के निलंबन को रद्द करने की मांग को लेकर प्रश्न काल में हंगामा किया, तो विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी अपने पैरों पर खड़े हो गए और हंगामा करने वाले भाजपा विधायकों को कड़ी फटकार लगाई। डॉ. जोशी ने प्रतिपक्ष के नेता राजेंद्र राठौड़ से कहा राजस्थान विधानसभा में संसदीय परंपराएं खत्म नहीं होनी चाहिए। आज तक भी प्रश्नकाल स्थगित नहीं हुआ है। विधानसभा की परंपराएं कायम रखने की जिम्मेदारी हम सब की है। डॉ. जोशी ने भाजपा विधायकों से कहा कि वे अंतिम चेतावनी दे रहे हैं यदि हंगामा बंद नहीं हुआ तो फिर सख्त कार्यवाही की जाएगी। डॉ. जोशी की इस फटकार और नसीहत का भाजपा विधायकों पर असर हुआ और प्रश्नकाल को शांतिपूर्ण तरीके से चलने दिया गया। जबकि पूर्व में मदन दिलावर के निलंबन के समय भाजपा विधायकों ने कहा था कि मदन नहीं तो सदन नहीं। यानी विधानसभा को तभी चने दिया जाएगा जब मदन दिलावर का निलंबन रद्द होगा। सवाल उठता है कि प्रश्नकाल को लेकर राजस्थान विधानसभा में भाजपा विधायकों ने जो सकारात्मक रुख दिखाया वैसा ही रुख लोकसभा में प्रश्नकाल के दौरान क्यों नहीं दिखाई देता। क्या लोकसभा में कांग्रेस सहित अन्य दलों के सांसदों को संसदीय परंपराओं के सम्मान का ख्याल नहीं है? इसे राजनीति ही कहा जाएगा कि राजस्थान में कांग्रेस की सरकार विधानसभा के सुचारू संचालन की उम्मीद करती है, जबकि लोकसभा में ऐसा नहीं होता। 
राज खुलना शुरू:
बर्खास्त मंत्री राजेंद्र गुढ़ा ने अब बहुचर्चित लाल डायरी के राज खोलना शुरू कर दिया है। गुढ़ा ने 2 अगस्त को विधानसभा की कार्यवाही शुरू होने से पहले मीडिया कर्मियों को बताया कि राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन के चुनाव में जमकर पैसों का लेनदेन हुआ है। पैसों के बल पर ही मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पुत्र वैभव गहलोत एसोसिएशन के अध्यक्ष बने हैं। उन्होंने कहा कि 13 जुलाई 2020 को इनकम टैक्स और ईडी की छापेमारी कार्यवाही के दौरान मैं आरटीडीसी के अध्यक्ष धर्मेन्द्र राठौड़ के घर से जो डायरी चुरा कर लाया उसमें पैसों के लेनदेन की बात लिखी गई है। गुढ़ा ने कहा कि मुख्यमंत्री कार्यालय से जुड़े सौदान सिंह, राजीव खन्ना आदि व्यक्तियों के नाम भी डायरी में लिखे गए हैं। चुनाव के दौरान पैसों की बकाया राशि को लेकर टेलीफोन पर जो संवाद हुआ, उसका उल्लेख भी धर्मेन्द्र राठौड़ ने अपनी डायरी में किया है। राजेंद्र गुढ़ा ने मीडिया कर्मियों को डायरी का वो पन्ना भी दिखा गया, जिसमें सौदान सिंह और राजीव खन्ना आदि के नामों का उल्लेख है। गुढ़ा ने कहा कि आरसीए के चुनाव में जो भ्रष्टाचार हुआ है उसकी जांच इनकम टैक्स और ईडी को करनी चाहिए। गुढ़ा ने कहा कि मैं डायरी में लिखी बातों को सिलसिलेवार सार्वजनिक करुंगा। अब सीएम गहलोत को यह बताना चाहिए कि उनके विश्वास पात्र धर्मेन्द्र राठौड़ ने जो बातें लिखी हैं, उनमें कितनी सच्चाई है। गुढ़ा ने इस बात पर अफसोस जताया कि जिन अशोक गहलोत के कारण छह राज्यसभा और दो बार राष्ट्रपति के चुनाव में वोट दिया, उन गहलोत ने एक झटके में मंत्री पद से बर्खास्त कर दिया। सिर्फ इतना ही कहा था कि मणिपुर के साथ साथ राजस्थान में महिला अत्याचारों के मामले को भी देखा जाए। यह बात कह कर मैंने कोई गुनाह नहीं किया। आज मुझ पर आरोप लगाया जा रहा है कि कांग्रेस सरकार ने मुझे बहुत कुछ दिया। सीएम गहलोत बताए  कि मुझे क्या क्या दिया गया है। जबकि मेरे पास से मेरी पार्टी छिन गया, मेरा मंत्री पद छिन गया और अब मुझे जेल में डालने की तैयारी हो रही है। गुढ़ा ने कहा कि मैं महाराणा प्रताप की तरह संघर्षशील व्यक्ति हंू और आखिरी दम तक संघर्ष करता रहूंगा। उल्टे अब मुझे ब्लैकमेल किया जा रहा है। मुझे धमकियां दी है कि यदि मैं चुप नहीं रहूंगा तो जेल में डाल दिया जाएगा। मैंने महिला अत्याचारों का मुद्दा उठाया है, यदि इसकी वजह से मुझे जेल भी जाना पड़ा तो मैं तैयार हंू। यहां यह उल्लेखनीय है कि वर्ष 2008 और 2018 में राजेंद्र गुढ़ा बसपा से विधायक बने थे, लेकिन दोनों ही बार गहलोत सरकार को समर्थन देकर कांग्रेस में शामिल हो गए। दोनों ही बार गुढ़ा के साथ छह बसपा विधायकों ने कांग्रेस की सदस्यता ली। 

S.P.MITTAL BLOGGER (02-08-2023)
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