अजमेर में 64 करोड़ रुपए के सरकारी निर्माण तोड़ने से पहले दोषी अधिकारियों पर कार्यवाही हो। तो अजमेर नहीं बन पाएगा स्मार्ट सिटी। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष खडग़े 6 सितंबर को राजस्थान के विजयनगर आएंगे, लेकिन कांग्रेस शासित पालिका बोर्ड की ढाई साल से बैठक तक नहीं हुई।
नेशनल ग्रीन ट्रिव्यूनल (एनजीटी) की भोपाल स्थित सेंट्रल जोन बेेंच के न्यायिक सदस्य सुधीर अग्रवाल और विशेष सदस्य अफरोज अहमद ने अजमेर में स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत बने चार निर्माणों को अवैध मानते हुए तोडऩे के आदेश दिए हैं। यह आदेश पूर्व पार्षद और सामाजिक कार्यकर्ता अशोक मलिक की याचिका पर दिए गए। एनजीटी ने अपने आदेश में स्पष्ट कहा है कि आगामी दो माह में अवैध निर्माणों को तोड़कर पालना रिपोर्ट प्रस्तुत की जाए। यह आदेश अजमेर की कलेक्टर, राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, नगर निगम के आयुक्त पर लागू होगा। एनजीटी ने आनासागर के किनारे बनाए गए सेवन वंडर्स पार्क, लवकुश उद्यान में बनाए फूड कोर्ट, गांधी स्मृति उद्यान तथा आजाद पार्क में बनाए गए कॉम्प्लेक्स को मास्टर प्लान और ग्रीन बेल्ट के नियमों का उल्लंघन माना है। यह सभी कार्य स्मार्ट सिटी परियोजना के अंतर्गत किए गए। इन चारों कार्यों पर करीब 64 करोड़ रुपए की राशि खर्च हुई है। स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत हुए कार्यों को लेकर पहले से ही आपत्तियां दर्ज हो रही थी। जो पाथवे बनाया गया है उसकी वजह से भी आनासागर का भराव क्षेत्र कम हुआ है। अधिकारियों ने जो कार्य करवाए उनसे आनासागर के प्राकृतिक सौंदर्य में भी कमी आई। एनजीटी ने अब जब 64 करोड़ के निर्माण कार्यों पर जेसीबी चलाने का आदेश दे दिया है, तब यह सवाल उठता है कि इन कार्यों के लिए जो अधिकारी दोषी है उन पर क्या कार्यवाही होगी। अच्छा हो कि चौसठ करोड़ रुपए मिट्टी के ढेर में तब्दील करने से पहले दोषी अधिकारियों पर भी कार्यवाही हो। अजमेर में नियुक्त जिन अधिकारियों के कार्यकाल में निर्माण हुए वे सभी दोषी माने जाएंगे। अच्छा होता कि एनजीटी अपने ही आदेश में दोषी अधिकारियों के खिलाफ भी कार्यवाही करने के लिए सरकार को निर्देश देती। प्राप्त जानकारी के अनुसार इन निर्माण कार्यों की जिम्मेदारी तत्कालीन जिला कलेक्टर गौरव गोयल,नगर निगम के आयुक्त हिमांशु गुप्ता, देवेंद्र कुमार, खुशाल यादव, सुशील कुमार के साथ-साथ स्मार्ट सिटी के इंजीनियर अनिला विजयवर्गीय, अविनाश शर्मा, प्रदीप मौर्य, अंकित माथुर, रविकांत शर्मा, अरविंद अजमेरा शामिल हैं। जब तक जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही नहीं होती तब तक अवैध निर्माणों को तोड़ने का कोई फायदा नहीं है। यदि दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही नहीं होती है तो भविष्य में भी ऐसे अवैध कार्य होते रहेंगे। सब जानते हैं कि स्मार्ट सिटी परियोजना में खर्च हुई राशि का साठ प्रतिशत केंद्र सरकार और चालीस प्रतिशत राज्य सरकार व स्थानीय निकायों का है। कोई भी सरकार अपनी जेब से कार्य नहीं करवाती आम जनता जो टैक्स देती है, उसी से विकास के कार्य होते हैं। अधिकारियों को निर्माण की स्वीकृति देने से पहले नियमों की पालना करनी चाहिए थी। याचिकाकर्ता अशोक मलिक का कहना है कि यदि दो माह में आदेश की पालना नहीं हुई तो वे सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करेंगे। अच्छा हो कि सुप्रीम कोर्ट वाली याचिका में दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही की मांग की जाए। एनजीटी के आदेश के बारे में और अधिक जानकारी मोबाइल नंबर 9414258469 पर याचिकाकर्ता अशोक मलिक से ली जा सकती है।
ढाई साल से बैठक नहीं:
कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडग़े 6 सितंबर को राजस्थान के भलीवाड़ा जिले के गुलाबपुरा कस्बे में आ रहे हैं। तय कार्यक्रम के अनुसार खडग़े गुलाबपुरा में भीलवाड़ा डेयरी के नए प्लांट का शिलान्यास करेंगे। नए प्लांट के लिए हाल ही में डेयरी ने 13 करोड़ रुपए में एक पुरानी कपड़ा मिल खरीदी है। मालूम हो कि भीलवाड़ा डेयरी के अध्यक्ष प्रदेश के राजस्व मंत्री रामलाल जाट ही हैं। जाट के कार्यकाल में डेयरी ने काफी विकास किया है। लेकिन जिस गुलाबपुरा में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष आ रहे हैं उस गुलाबपुरा नगर पालिका बोर्ड की बैठक पिछले ढाई वर्ष से नहीं हो पाई है। बोर्ड पर कांग्रेस का कब्जा है। पिछले एक सप्ताह से कांग्रेस के पार्षद हरि सिंह कानावत धरने पर बैठे हुए हैं। कानावत का कहना है कि बोर्ड की बैठक नहीं होने से सरकार की मंशा के अनुरूप लोगों को पट्टे भी जारी नहीं हो रहे हैं। यहां तक कि ढाई वर्ष में बजट बैठक भी नहीं बुलाई गई। कानावत का आरोप है कि पालिका में लोकतंत्र के बजाए तानाशाही शासन है जिसमें जनप्रतिनिधियों की कोई सुनवाई नहीं हो रही है। पालिका में भ्रष्टाचार का भी बोलबाला है। वहीं नगर पालिका के अध्यक्ष सुमित काल्या का कहना है कि पिछले ढाई वर्ष से बोर्ड बैठक की आवश्यकता ही नहीं पड़ी। प्रशासन शहरों के संग अभियान में सरकार ने एम्पावर्ड कमेटी को बोर्ड के अधिकार दे दिए हैं। ऐसे में एम्पावर्ड कमेटी के माध्यम से ही जनहित के सभी कार्य हो रहे हैं। काल्या ने बताया कि अब तक जरूरतमंद व्यक्तियों को तीन हजार से ज्यादा पट्टे जारी कर दिए हैं। बोर्ड के पास ऐसा कोई एजेंडा नहीं है जिसकी वजह से साधारण सभा बुलाई जाए। जहां तक कांग्रेसी पार्षद कानावत के धरने का सवाल है तो कानावत के वार्ड में भी एक करोड़ 30 लाख रुपए के विकास कार्य कराए गए हैं। वहीं जानकार सूत्रों का कहना है कि सुमित काल्या साधारण बुलाने से इसलिए बच रहे है कि उन्हें अविश्वास प्रस्ताव आने का डर है। विजय नगर में 35 पार्षदों में से कांग्रेस और भाजपा के 16-16 पार्षद हैं। काल्या तीन निर्दलीय पार्षदों के समर्थन की वजह से अध्यक्ष बने थे,लेकिन अब निर्दलीय पार्षदों के साथ साथ कांग्रेस के पार्षद भी नाराज चल रहे हैं, इसलिए काल्या एम्पावर्ड कमेटी से ही पालिका का प्रशासन चला रहे हैं।
S.P.MITTAL BLOGGER (01-09-2023)
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