आखिर इतना झूठा पन कहां से लाते हैं राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत? अब ज्यूडिशियरी को भ्रष्ट बताने वाले बयान से पलटे। मुख्यमंत्री पद की प्रतिष्ठा भी कम हो रही है।
30 अगस्त को राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सार्वजनिक तौर पर कहा था कि लोअर और अपर ज्यूडिशियरी में भंयकर भ्रष्टाचार है। वकील जो लिख कर लाते हैं, वहीं कोर्ट का फैसला होता है। गहलोत के इस बयान के वीडियो भी हैं। लेकिन अगले ही दिन 31 अगस्त को सोशल मीडिया पर सीएम गहलोत ने कहा कि ज्यूडिशियरी के भ्रष्ट होने वाला मेरा बयान मेरी निजी राय नहीं है। मैं तो ज्यूडिशियरी का बहुत सम्मान करता हंू। सवाल उठता है कि आखिर इतना झूठा पन सीएम गहलोत कहां से लाते हैं? यदि गहलोत तीस अगस्त वाला बयान सुन लेते तो 31 अगस्त को सोशल मीडिया पर सफाई नहीं देते। 31 अगस्त वाली सफाई झूठ से भरी है। मीडिया में तो वही प्रसारित हुआ जो गहलोत ने कहा। अब जब ज्यूडिशियरी को भ्रष्ट बताने वाला बयान हाईकोर्ट और विभिन्न जिला न्यायालयों में पहुंच गया है, तब गहलोत ने झूठ का सहारा लिया है। गहलोत पहले भी अदालतों पर प्रतिकूल टिप्पणियां कर चुके हैं, लेकिन इस बार सीधे तौर पर फंस गए हैं। गहलोत ने अपनी ही पार्टी के विधायकों पर भाजपा से 20-20 करोड़ रुपए लेने के आरोप लगाए, लेकिन सबूत आज तक पेश नहीं किए गए। गत वर्ष गहलोत को कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया जा रहा था, तब गहलोत ने राजस्थान में कांग्रेस के विधायकों की बगावत करवा कर मुख्यमंत्री पद बरकरार रखा, लेकिन अब गहलोत का कहना है कि पार्टी अध्यक्ष का पद मुख्यमंत्री के पद से 100 गुना बड़ा है। इसी प्रकार पहले राजेंद्र गुढा को अपनी सरकार बचाने का श्रेय दिया, लेकिन जब गुढा ने महिला अत्याचारों पर गहलोत सरकार की आलोचना की तो गुढा का मंत्री पद भी छीन लिया। लाल डायरी के मुद्दे पर गहलोत ने आरोप लगाया कि राजेंद्र गुढ़ा भाजपा से मिले हुए हैं। सीएम गहलोत जिस तरह अपने बयानों से पलटते हैं, उस से यह सवाल उठता है कि गहलोत इतना झूठा पन कहां से लाते हैं? पूर्व में सचिन पायलट को लेकर गहलोत ने क्या क्या नहीं कहा? आज उन्हीं पायलट के साथ बैठ कर चुनाव जीतने की रणनीति बना रहे हैं। गहलोत माने या नहीं, लेकिन उनके इस झूठे पन की वजह से मुख्यमंत्री पद की प्रतिष्ठा भी कम हो रही है। गहलोत अभी मुख्यमंत्री के पद पर है। ऐसे में उनके द्वारा कही बातें सरकार की ही मानी जएंगी। बयान देने के बाद कोई मुख्यमंत्री यह नहीं कह सकता कि यह बयान उनका अपना नहीं है। यदि कोई मुख्यमंत्री अपने शब्दों को भी अपना नहीं माने तो फिर उसे मुख्यमंत्री पद पर रहने का अधिकार भी नहीं है7 अशोक गहलोत तो झूठे पन के कई मामले सामने आ चुके हैं।
S.P.MITTAL BLOGGER (01-09-2023)
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