इंडिया गठबंधन ने कहा कि भारत का सनातन धर्म डेंगू, मलेरिया और कोरोना की तरह है, इसे खत्म कर देना चाहिए। हाईकोर्ट के नोटिस के बाद क्या राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत माफी मांगेंगे?
विपक्षी दलों के इंडिया गठबंधन के प्रमुख सदस्य और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के पुत्र तथा तमिलनाडु सरकार के खेल मंत्री उदयनिधि स्टालिन ने कहा है कि सनातन धर्म डेंगू, मलेरिया और कोरोना की तरह है। इसका विरोध नहीं बल्कि इसे खत्म कर देना चाहिए। उदयनिधि ने यह बात सनातन विरोध सम्मेलन में कही। उन्होंने आयोजकों को शाबाशी दी कि इस तरह का सम्मेलन आयोजित किया है। उन्होंने कहा कि सनातन शब्द संस्कृत का है, जिसका मतलब समानता और सामाजिक न्याय से हैं। उदयनिधि के इस बयान का कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम के सांसद पुत्र कीर्ति चिदंबरम ने समर्थन किया है। कीर्ति ने कहा कि जाति में बंटे समाज के लिए सनातन कोढ़ की तरह है। मालूम हो कि तमिलनाडु के सीएम स्टालिन एक सितंबर को मुंबई में हुई इंडिया गठबंधन की बैठक में उपस्ििात थे और उनके दल के प्रतिनिधि को समन्वय समिति का सदस्य भी बनाया गया है। सवाल उठता है कि भारत में जब 90 फीसदी आबादी सनातन धर्म को मानती है, तब विपक्षी दलों का गठबंधन सनातन धर्म को खत्म करने की बात कह रहा है। विपक्षी दलों ने अपने गठबंधन का नाम इंडिया तो रख लिया है, लेकिन विचारधारा भारत विरोधी है। क्या सनातन धर्म को समाप्त करने की सोच रख कर इंडिया गठबंधन सत्ता में आ सकता है? यदि ऐसा गठबंधन सत्ता में आया तो भारत के सनातनियों और मंदिरों का क्या होगा? इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। गंभीर बात तो यह है कि उदयनिधि स्टालिन ने अपने बयान पर खेद प्रकट करने के बजाए एक बार फिर कहा कि मैं अपने शब्दों पर कायम हंू। मैंने सनातनियों के नरसंहार की बात नहीं कही है। यानी नरसंहार के विचार तो हैं। अब भारत के सनातनियों को फैसला करना है कि सत्ता में सनातन धर्म को मानने वाले नरेंद्र मोदी को लाना है या फिर सनातन विरोधी गठबंधन को।
क्या गहलोत माफी मांगेंगे?:
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने न्यायपालिका में भ्रष्टाचार को लेकर जो बयान दिया उस पर 2 सितंबर को राजस्थान हाईकोर्ट ने गहलोत को नोटिस जारी कर दिए हैं। इन नोटिसों में गहलोत को अपने बयान के बारे में बताने को कहा है। असल में कई वकीलों ने जनहित याचिका दायर कर गहलोत पर न्यायालय की अवमानना का मामला दर्ज करने की मांग की है। इन याचिकाओं को देखते हुए ही कोर्ट ने गहलोत को नोटिस जारी किए हैं। सवाल उठता है कि हाईकोर्ट के नोटिस के बाद क्या गहलोत अपने बयान पर माफी मांगेंगे? गहलोत ने बयान के बाद जो सफाई दी उसमें भी इस कथन को स्वीकार किया कि न्यायालयों में भ्रष्टाचार व्याप्त है। गहलोत के कथन के वीडियो से साफ प्रतीत होता है कि उन्होंने लोअर और अपर अदालतों में भंयकर भ्रष्टाचार होने की बात कही है। यहां यह उल्लेखनीय है कि केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत द्वारा दायर मानहानि के मामले में भी अशोक गहलोत दिल्ली की अदालत में वीसी के जरिए दो बार उपस्थित हो चुके हैं। न्यायालय में भ्रष्टाचार वाले मामले में 8 अक्टूबर को सुनवाई होनी है।
S.P.MITTAL BLOGGER (03-09-2023)
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