पाकिस्तान-अफगानिस्तान सीमा पर युद्ध जैसे हालात। तालिबानी लड़ाके पाक सीमा में घुसे। सेना को भागना पड़ा। यदि पाकिस्तान का इलाका तालिबानियों के कब्जे में आता है तो भारत के लिए चिंता। हमारे कई मुस्लिम नेता तालिबान की नीतियों का समर्थन कर चुके हैं।
मुस्लिम कट्टरपंथी संगठन तालिबान के कब्जे वाले अफगानिस्तान और पाकिस्तान के मध्य 2 हजार 430 किलोमीटर की सीमा रेखा है। यह रेखा पश्तून आदिवासी क्षेत्र से होकर दक्षिण में बलूचिस्तान के बीच से होकर गुजरती है। इस सीमा रेखा से ही एक दूसरे देशों के लोगों का आवागमन होता है। लेकिन इन दिनों इस सीमा पर युद्ध जैसी स्थिति है। पाकिस्तान की सेना पर तालिबानी लड़ाके लगातार हावी हो रहे हैं। कई मौकों पर तो पाक सेना को भागना पड़ा है। जारी वीडियो में तालिबानी लड़ाके पाकिस्तानी झंडे पर पत्थर फेंकते दिख रहे हैं। अफगानिस्तान की सीमा पर युद्ध के हालात तब है, जब पाकिस्तान में कोई निर्वाचित प्रधानमंत्री नहीं है और देश की बागडोर सेना के पास है। आर्थिक तंगी के चलते पाकिस्तान के आंतरिक हालात बेहद खराब है। शायद इसी स्थिति का फायदा उठाते हुए तालिबान के लड़ाकों ने पाकिस्तान में घुसपैठ की है। यदि तालिबानी लड़ाके पाकिस्तान के कुछ इलाकों को अपने कब्जे में लेते हैं तो यह भारत के लिए चिंता की बात होगी। मालूम हो कि पूर्व में जब तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा किया था, तब सबसे ज्यादा जश्न पाकिस्तान में ही बना था। असल में पाकिस्तान में भी तालिबानी विचारधारा के कट्टरपंथी संगठन सक्रिय हैं। अब ऐसे कट्टरपंथी संगठनों का समर्थन तालिबानियों को मिल रहा है। जिसकी वजह से पाकिस्तान की सेना भी बेबस है। यदि पाकिस्तान फौज को मौके से भागना पड़े तो तालिबानी लड़कों की ताकत का अंदाजा लगाया जा सकता है। पाकिस्तान में यदि कट्टरपंथी संगठन और मजबूत होते हैं तो यह भारत के लिए चिंता का विषय है। भारत की सेना सीमा पर तो किसी भी चुनौती का सामना करने को तैयार है, लेकिन आंतरिक चुनौतियों से मुकाबला करना मुश्किल होता है। सब जानते हैं कि तालिबानियों ने अफगानिस्तान में कब्जा किया था, तब भारत के अनेक मुस्लिम नेताओं ने तालिबान की तारीफ की थी। यानी भारत में ऐसे लोग हैं जो तालिबान की कट्टरपंथी नीतियों का समर्थन करते हैं। यही वजह है कि अफगानिस्तान पाकिस्तान की सीमा पर हो रही जंग पर भारत की नजर है। यह तो अच्छा हुआ कि जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को समाप्त कर आतंकवाद पर काबू पा लिया गया। अब भारत का राज्य मानकर ही जम्मू कश्मीर में प्रशासन काम कर रहा है। जबकि अनुच्छेद 370 के प्रभावी रहते हुए पाकिस्तान को घुसपैठ करने का अवसर मिल रहा था। जम्मू कश्मीर के कुछ राजनीतिक चाहते हैं कि अनुच्छेद 370 फिर से प्रभाव में आ जाए ताकि पाकिस्तान को दखल देने का अवसर मिल जाए।
S.P.MITTAL BLOGGER (13-09-2023)
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