पीएम मोदी के संवाद में पूर्व सीएम वसुंधरा राजे अनुपस्थिति रहीं। आखिर कैबिनेट मंत्री सुरेश रावत जल संसाधन विभाग में क्या काम करेंगे?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 5 जनवरी को जयपुर में भाजपा के कार्यालय में राजस्थान के भाजपा विधायकों और पदाधिकारियों से संवाद किया। पीएम मोदी शाम छह बजे पार्टी कार्यालय पहुंचे और रात 9 बजे तक विधायकों और पदाधिकारियों के साथ रहे। पीएम ने भोजन भी सबके साथ किया। जो विधायक और पार्टी पदाधिकारी इस संवाद में शामिल रहे वे अब गदगद हैं। पीएम ने सभी के साथ आत्मीयता से मुलाकात की। पीएम ने भले ही अपने संबोधन में विधायकों को सख्त लहजे में समझाया है, लेकिन अनेक विधायकों को अपनी बात रखने का पूरा अवसर दिया। कहा जा सकता है कि राजस्थान में भाजपा की राजनीति में पीएम का संवाद बहुत महत्वपूर्ण है। जिन वरिष्ठ विधायकों को मंत्री नहीं बताया वे भी अब पीएम मोदी के साथ संवाद कर खुश हैं। पीएम ने सभी विधायकों को एहसास करा दिया कि मंत्री बनना ही सब कुछ नहीं है। सिर्फ विधायक रह कर भी जनता की सेवा की जा सकती है। पीएम के इस संवाद की महत्वपूर्ण बात यह भी रही कि पूर्व सीएम वसुंधरा राजे उपस्थित नहीं थी। राजे की अनुपस्थिति भाजपा में अब चर्चा का विषय है अलबत्ता पीएम मोदी ने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा का रुतबा बढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। मोदी ने जिस प्रकार सीएम शर्मा को महत्व दिया उससे प्रतीत होता है कि अब राजस्थान भाजपा में सबसे बड़े नेता भजनलाल शर्मा ही है। शर्मा को अपने विवेक से सरकार चलाने की पूरी छूट दी जाएगी। 
रावत का काम:
5 जनवरी को मुख्यमंत्री शर्मा ने मंत्रियों के विभागों का जो वितरण किया है उसमें कैबिनेट मंत्री सुरेश रावत (पुष्कर विधायक) को जल संसाधन विभाग दिया गया है। विभागों के वितरण में कन्हैयालाल चौधरी को जलदाय (पीएचईडी) व भूजल विभाग की जिम्मेदारी दी गई है। इसी प्रकार सुरेंद्र पाल टीटी को नहरी तंत्र का विभाग दिया गया है। सुरेश रावत और कन्हैयालाल चौधरी के कैबिनेट मंत्री है, जबकि सुरेंद्र पाल स्वतंत्र प्रभारी के राज्यमंत्री हैं। कहा जा सकता है कि जल प्रबंधन को तीन मंत्रियों के बीच बांटा गया है। ऐसे में सवाल उठता है कि कैबिनेट मंत्री सुरेश रवत के पास जल प्रबंधन का कौन सा काम होगा। जानकारों के अनुसार रावत को सिंचाई का काम मिलेगा। कुछ लोगों का कहना है कि ईस्टर्न राजस्थान कैनाल प्रोजेक्ट (ईआरसीपी) का काम भी रावत को मिलेगा। यह बात अलग है कि इस योजना को अभी तक भी मंजूरी नहीं मिली है। यदि मंजूरी मिलती है तो यह योजना केंद्र के अधीन आएगी। वैसे जल संसाधन विभाग में प्रदेश के बांध और तालाब ही आते हैं। ऐसे में बीसलपुर बांध के पानी के बंटवारे में सुरेश रावत अजमेर के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। अजमेर के लिए बीसलपुर बांध में 7 टीएमसी पानी सुरक्षित रखने की मांग है। लेकिन अभी सिर्फ पांच टीएमसी पानी ही आरक्षित कर रखा है। बांध के पानी में अजमेर की हिस्सेदारी बढ़ाने में रावत का प्रभाव काम आएगा। मालूम हो कि अजमेर जिले में पेयजल का एक मात्र स्त्रोत बीसलपुर बांध ही है। बांध से मांग के अनुरूप पानी नहीं मिलने के कारण अभी सर्दी के दिनों में भी चार दिन में एक बार पेयजल की सप्लाई हो रही है। अब जब जल संसाधन विभाग सुरेश रावत के अधीन आ गया है, तब देखना होगा कि अजमेर जिले की पेयजल समस्या का समाधान कब तक होगा है। पुष्कर सरोवर में भी बीसलपुर का पानी डालने की योजना बनी हुई है, लेकिन इसकी प्रभावी क्रियान्विति नहीं हो रही है। 

S.P.MITTAL BLOGGER (06-01-2024)

Website- www.spmittal.inFacebook Page- www.facebook.com/SPMittalblogFollow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11Blog- spmittal.blogspot.comTo Add in WhatsApp Group- 9929383123To Contact- 9829071511

Print Friendly, PDF & Email

You may also like...