एसआई भर्ती परीक्षा के घोटाले में क्या राजस्थान लोकसेवा आयोग को जांच के दायरे में लाया जाएगा? शिक्षक भर्ती परीक्षा के प्रश्न आयोग सदस्य बाबूलाल कटारा ने ही बेचे थे। परीक्षा करवाने वाले आयोग में आमूलचूल परितर्वन की जरुरत।
सब जानते हैं कि सैकंड ग्रेड शिक्षक भर्ती परीक्षा के प्रश्न राजस्थान लोक सेवा आयोग के सदस्य बाबूलाल कटारा ने ही करोड़ों रुपए में बेचे थे। कटारा अब जेल में बंद हैं। इस बीच राजस्थान लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित पुलिस निरीक्षक (एसआई) भर्ती परीक्षा की निष्पक्षता पर भी सवालिया निशान लग गया है। जांच एजेंसी एसओजी ने 15 चयनित एसआई को गिरफ्तार किया है। आरोप है कि इन एसआई ने परीक्षा से पूर्व प्रश्न पत्र हासिल कर परीक्षा दी। या फिर अपने स्थान पर किसी अन्य होशियार को परीक्षा में बैठा दिया। यानी फर्जीवाड़ा कर एसआई की नौकरी हासिल की। एसओजी ने ट्रेनिंग के दौरान ही चयनित एसआई को पकड़ा है। एसओजी की कार्यवाही के बाद सवाल उठता है कि क्या अब आयोग को भी जांच के दायरे में लाया जाएगा? आयोग की कार्यप्रणाली के अनुसार हर परीक्षा के लिए आयोग के एक सदस्य को प्रभारी बनाया जाता है। इस सदस्य की देखरेख में ही प्रश्न पत्र तैयार करवाए जाते हैं। हालांकि अंतिम प्रश्न पत्र आयोग के अध्यक्ष के दौरान निर्धारित होता है। चूंकि परीक्षा लेने वाली एजेंसी आयोग ही है,इसलिए परीक्षा केंद्रों के निर्धारण से लेकर उत्तर पुस्तिका जंचवाने और फिर परिणाम घोषित करने में आयोग की ही जवाबदेही होती है। एसओजी ने अपनी जांच में पाया कि नरेश कुमार उर्फ नरेश खिलेरी ने बाड़मेर की उस स्कूल में अपना परीक्षा केंद्र निर्धारित करवा लिया जिसमें वह क्लर्क था। यही वजह रही कि नरेश ने परीक्षा में प्रथम स्थान हासिल किया। यह काम आपसी मिलीभगत के बिना नहीं हो सकता। एसओजी को आयोग के संबंधित सदस्य से भी पूछताछ करनी चाहिए। इसके साथ ही जो अधिकारी परीक्षा व्यवस्था के जिम्मेदार हैं, उनसे भी पूछताछ होनी चाहिए। आखिर नरेश कुमार ने अपनी ही स्कूल में परीक्षा केंद्र कैसे बनवा लिया? सब जानते हैं कि विधानसभा के चुनाव में भाजपा ने पेपर लीक को प्रमुख मुद्दा बनाया था। कांग्रेस की हार का एक कारण पेपर लीक के मामले भी थे। तब भाजपा ने कहा था कि कांग्रेस शासन में बड़े मगरमच्छ नहीं पकड़े जा रहे हैं। लेकिन अब राजस्थान भाजपा की सरकार को तीन माह हो गए, लेकिन अभी तक भी बड़ा मगरमच्छ नहीं पकड़ा गया है। यहां तक कि एसआई भर्ती परीक्षा के घोटाले में अभी तक भी आयोग को जांच के दायरे में शामिल नहीं किया गया है। कांग्रेस के शासन में शिक्षक भर्ती परीक्षा के घोटाले में आयोग के सदस्य बाबूलाल कटारा को गिरफ्तार किया गया, लेकिन भाजपा के शासन में एसआई भर्ती परीक्षा में आयोग के क्लर्क तक से पूछताछ नहीं हुई है। जबकि कांग्रेस के शासन में राज्य सभा सांसद रहे किरोड़ी लाल मीणा ने भर्ती परीक्षाओं में तत्काल शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा और तकनीकी शिक्षा मंत्री सुभाष गर्ग पर गंभीर आरोप लगाए थे। लेकिन तीन माह गुजर जाने के बाद भी भाजपा सरकार की जांच एजेंसियों ने डोटासरा और गर्ग को नोटिस तक नहीं दिया है।
आमूलचूल परिवर्तन की जरूरत:
असल में राजस्थान लोक सेवा आयोग राजनीति का अड्डा बन गया है। कांग्रेस के शासन में कांग्रेसी विचार धारा वाले लोगों की नियुक्ति के साथ साथ अशोक गहलोत की सरकार को बचाने वाले अधिकारियों तक की नियुक्ति की गई। जिन नेताओं की सिफारिश पर सदस्यों की नियुक्ति हुई उन सदस्यों ने ब्याज सहित भुगतान किया, इसलिए आयोग की अधिकांश परीक्षाओं के प्रश्न पत्र आउट हो गए। शर्मनाक बात तो यह है कि कोचिंग सेंटरों के मालिकों की घुसपैठ आयोग में अंदर तक हो गई। कोचिंग सेंटरों के मालिकों ने मुंह मांगी कीमत देकर प्रश्न पत्र हासिल किए। इससे योग्य परीक्षार्थियों को भारी नुकसान हुआ। नौकरी पाने के लिए युवाओं ने कड़ी मेहनत की लेकिन उनके सपनों पर भ्रष्टाचार ने पानी फेर दिया, जहां तक एसआई परीक्षा का सवाल है तो पुलिस के सिस्टम के अनुसार आयोग से सब इंस्पेक्टर की नियुक्ति पाने वाला युवा अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक के पद तक पहुंचता है। जब नींव ही भ्रष्टाचार से भरी है तो फिर पुलिस महकमे में भ्रष्टाचार का अंदाजा लगाया जा सकता है।
S.P.MITTAL BLOGGER (05-03-2024)
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