नागौर में बेनीवाल के सामने कांग्रेस नतमस्तक। पत्नी कनिका बेनीवाल हो सकती हैं उम्मीदवार। अजमेर में कांग्रेस को भाजपा के उम्मीदवार का इंतजार।
राजस्थान में सीकर की तरह कांग्रेस ने नागौर में भी लोकसभा चुनाव लड़ने की हिम्मत नहीं दिखाई है। कांग्रेस में पहले सीकर की सीट सीपीएम (आई) को दी तो अब नागौर की सीट समझौते में आरएलपी को दे दी है। यानी नागौर में कांग्रेस आरएलपी के प्रमुख हनुमान बेनीवाल के सामने नतमस्तक हो गई है। ये वही बेनीवाल है जिन्होंने कांग्रेस और उसकी सरकार के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को गालियां देने में कोई कसर नहीं छोड़ी। हालांकि इस फैसला का कांग्रेस में ही विरोध हो रहा है। लेकिन कुछ नेताओं का मानना है कि बेनीवाल की मदद से ही नागौर में भाजपा की उम्मीदवार ज्योति मिर्धा को टक्कर दी जा सकती है। यदि बेनीवाल का समर्थन नहीं मिलता है तो नागौर में भाजपा की जीत हासान होगी। यह बात अलग है कि हाल ही के विधानसभा चुनाव में खुद हनुमान बेनीवाल बड़ी मुश्किल से खींवसर से चुनाव जीत सके हैं। बेनीवाल की जीत मात्र दो हजार मतों से हुई। जबकि निर्दलीय प्रत्याशी दुर्ग सिंह चौहान को 35 हजार वोट मिले। यदि निर्दलीय प्रत्याशी नहीं होता तो बेनीवाल को भी हार का सामना करना पड़ता। सूत्रों की मानें तो बेनीवाल अपनी पत्नी कनिका बेनीवाल को आरएलपी और कांग्रेस का संयुक्त उम्मीदवार बनाएगी। चूंकि भाजपा ने भी ज्योति मिर्धा के तौर पर हमला उम्मीदवार खड़ी की है, इसलिए बेनीवाल भी अपनी पत्नी को उम्मीदवार बनाना चाहते हैं। कांग्रेस में अब यह सीट बेनीवाल को समझौते में दे दी है, इसलिए उम्मीदवार का निर्णय बेनीवाल को ही लेना है। नागौर में बेनीवाल के समक्ष नतमस्तक के समर्थक कांग्रेस नेताओं का मानना है कि विधानसभा चुनाव में आरएलपी को भाजपा और कांग्रेस के बाद सबसे ज्यादा वोट मिले हैं। ऐसे में वोट की एक सीट के बदले कांग्रेस को कई संसदीय क्षेत्रों में आरपीएल के वोट मिल जाएंगे। मालूम हो कि कांग्रेस ने अब तक 17 उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। सीकर और नागौर की सीट समझौते में देने के बाद कांग्रेस बांसवाड़ा, डूंगरपुर में बीएपी के उम्मीदवार को समर्थन देने का विचार कर रही है। यदि बांसवाड़ा की सीट भी समझौते में दी जाती है तो कांग्रेस इस बार राजस्थान में 25 में से 22 सीटों पर ही चुनाव लड़ेगी।
अजमेर में इंतजार :
कांग्रेस ने 23 मार्च को दो और उम्मीदवारों की घोषणा की। लेकिन अजमेर में अभी तक भी उम्मीदवार की घोषणा नहीं की गई है। जानकार सूत्रों के अनुसार कांग्रेस अब भाजपा के उम्मीदवार के नाम का इंतजार कर रही है। भाजपा के उम्मीदवार के बाद रणनीति के तहत कांग्रेस का उम्मीदवार घोषित किया जाएगा। अजमेर डेयरी के अध्यक्ष रामचंद्र चौधरी ने कांग्रेस में अपनी मजबूत दावेदारी प्रस्तुत की है। लेकिन वहीं कांग्रेस हाईकमान और प्रदेश के नेता किशनगढ़ के विधायक डॉ. विकास चौधरी के नाम पर भी विचार कर रहे हैं। कहा जा रहा है कि यदि भाजपा ने गैर जाट को उम्मीदवार बनाया तो फिर कांग्रेस जाट को अजमेर से उम्मीदवार बनाएगी। इस बीच भाजपा के दावेदारों की सूची बढ़ती ही जा रही है। ताजा नाम शिक्षाविद सुशील बिस्सू का सामने आया है। हालांकि मौजूदा सांसद भागीरथ चौधरी भी दावेदारी जताने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे है। सुशील बिस्सू जाट समुदाय के है और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े हुए हैं। कॉलेज शिक्षा में बिस्सू की जबरदस्त पकड़ है। बिस्सू संघ के प्रति समर्पित है। भाजपा के देहात जिला अध्यक्ष देवी शंकर भूतड़ा भी अपनी दावेदारी मजबूती के साथ जता रहे हैं। कहा जा रहा है कि यदि भीलवाड़ा से सुभाष महरिया को इस बार उम्मीदवार नहीं बनाया जाता है तो फिर अजमेर से किसी वैश्य समुदाय के व्यक्ति को भाजपा का उम्मीदवार बनाया जाएगा। इसके साथ ही पूर्व देहात जिला अध्यक्ष बीपी सारस्वत, पूर्व जिला प्रमुख पुखराज पहाडिय़ा, सरिता गैना, रितु चौहान, पुष्कर नगर पालिका के अध्यक्ष कमल पाठक, अजमेर नगर निगम के पूर्व मेयर धर्मेन्द्र गहलोत, रामेश्वर कड़वा आदि भी दावेदारी जता रहे हैं।
S.P.MITTAL BLOGGER (24-03-2024)
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