साहित्य समारोह में हुआ पांच पुस्तकों का विमोचन। पुस्तकों के महत्व को बनाए रखने में डॉक्टर अखिलेश पालरिया की महत्वपूर्ण भूमिका।
7 अप्रैल को अजमेर के पाल बीसला स्थित कलारत्न भवन में साहित्य का एक बड़ा समारोह हुआ। इस समारोह में अजमेर के साथ साथ जयपुर, जोधपुर, उदयपुर आदि के साहित्यकारों ने भाग लिया। इस समारोह में एक साथ पांच पुस्तकों का विमोचन हुआ, वहीं कई साहित्यकारों खासकर महिला लेखिकाओं का सम्मान किया गया। मेरे मुख्य आतिथ्य में हुए इस समारोह में देश के प्रमुख साहित्यकारों ने जो विचार प्रकट किए उनसे जाहिर हुआ कि मौजूदा समय में भी पुस्तकों का अपना महत्व है। भले ही अब डिजिटल का क्रांतिकारी दौर चल रहा हो, लेकिन पुस्तकों के पढऩे का आनंद अपना ही है। मेरा कहना रहा कि लेखकों को भी पुस्तकों के प्रचार प्रसार में भूमिका निभानी चाहिए। क्योंकि पुस्तक प्रकाशित कर देने से कुछ हासिल नहीं होता। आज जब छपे हुए शब्द का महत्व है तो फिर पुस्तकों का प्रचार प्रसार भी होना चाहिए। कई पुस्तकों के लेखक औ जाने माने साहितय डॉ. संदीप अवस्थी ने कहा कि जब एक फिल्म का हीरो जिला स्तर के समारोह में जाकर फिल्म का प्रमोशन कर सकता है तो फिर लेखकों को भी अपनी पुस्तकों का प्रचार करने में झिझक नहीं होनी चाहिए। डॉ. अवस्थी ने सुझाव दिया कि अपने आसपास की स्कूलों में ही विद्यार्थियों को पुस्तक दी जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि भले डिजिटल का क्रांतिकारी दौर चल रहा हो, लेकिन पुस्तकों का महत्व कभी कम नहीं होगा। पंजाब नेशनल बैंक के जनरल मैनेजर रहे और बैंक ऑफ पोलमपुर के लेखक वेद माथुर ने कहा कि पुस्तक लिखने का अपना ही एक आनंद है। बैंक के जिन अधिकारियों ने उन्हें पदोन्नतियां दी, उन्हीं की पोल पुस्तक में खोली। उन्होंने कहा कि बैंको ंके काम काज में आमूलचूल बदलाव की जरुरत है। सामान्य वर्ग के व्यक्ति से लोन की वसूली के लिए उसका मकान तक नीलाम कर दिया जाता है, लेकिन प्रभावशाली लोगों के लोन की वसूली नहीं होती। उन्होंने कहा कि बैंक के जो अधिकारी लोन देते हैं उन पर सख्त कार्यवाही होनी चाहिए ताकि लोन की राशि को बटे खाते में न डाला जा सके। सुप्रसिद्ध चिकित्सक और साहितय प्रेमी डॉ. बजरंग सोनी ने कहा कि आज हमें महिलाओं के प्रति संवेदनशील होने की जरुरत है। लड़के का जन्म न होने पर महिला को दोषी माना जाता है। जबकि विज्ञान के अनुसंधान के मुताबिक लड़की जन्म के लिए पूरी तरह पुरुष जिम्मेदार होता है। उन्होंने कहा कि हालांकि अब समाज में लड़की के जन्म पर भी उत्सव मनाया जाता है। लेकिन फिर भी समाज में लड़के के जन्म की मानसिकता बनी हुई है। समारोह में महिला साहित्यकार डॉ. शमा खान ने भी विचार रखते हुए कहा कि आज साहित्य के क्षेत्र में महिलाओं को सम्मान दिए जाने की जरुरत है।
डॉ. पालरिया की भूमिका:
साहित्य के इस आयोजन में डॉ. अखिलेश पालरिया की महत्वपूर्ण भूमिका रही। डॉ. पालरिया ने अपने निवास स्थान पर ही साहित्यकारों के लिए कलारत्न भवन बनवा रखा है। हालांकि डॉ. पालरिया मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी के पद से सेवानिवृत्त हुए और वे चाहते तो अपने निवास स्थान पर बड़ा अस्पताल खोल सकते है। लेकिन शुरू से ही साहित्य में रुचि होने के कारण पालरिया ने अपने निवास पर कलारत्न भवन का निर्माण करवाया। प्रदेश भर से साहित्यकारों को बुलाने में भी पालरिया की सक्रिय भूमिका रही। चूंकि पालरिया को लिखने का शौक है, इसलिए उन्होंने 70 से भी ज्यादा पुस्तकों की समीक्षा पर पुस्तक का प्रकाश किया है। पालरिया की नवीनतम पुस्तक मेरे सपनो का भारत का विमोचन भी 7 अप्रैल को किया गया। कहा जा सकता है कि राजस्थान भर में साहित्यिक गतिविधियों को बढ़ावा देने में डॉ. पालरिया की सक्रिय भूमिका है। अपनी उम्र की परवाह न करते हुए डॉ. पालरिया साहित्य की साधना में लगे हुए हैं। साहित्य की सक्रियता के बारे में और अधिक जानकारी मोबाइल नंबर 9610540526 पर डॉ. पालरिया से ली जा सकती है। आशा अंशु ने अपने प्रभावी भावपूर्ण उद्बोधन से भी सबको मंत्रमुग्ध कर दिया। कार्यक्रम का संचालन जयपुर निवासी सुप्रसिद्ध समीक्षक, साहित्यकार डॉ.आशा शर्मा ने कुशल संचालन के साथ अपनी समीक्षात्मक टिप्पणियों के लिए कार्यक्रम में उपस्थित जयपुर, अजमेर, भीलवाड़ा व उदयपुर के साहित्यकारों व साहित्य प्रेमियों का मन मोह लिया। विमोचन कार्यक्रम के अतिरिक्त अजमेर के वयोवृद्ध प्रसिद्ध साहित्यकार श्रीराम जैसवाल तथा प्रसिद्ध चित्रकार मुरली मनोहर माथुर को माला व शॉल ओढ़ाकर सम्मानित किया। इसके साथ ही जयपुर की छायावादी कवयित्री आशा शर्मा अंशु अजमेर की कवयित्री भावना शर्मा, जयपुर की साहित्यकार डॉ. अनिता श्रीवास्तव व सुनीता विश्नोलिया, उदयपुर के साहित्यकार प्रकाश तातेड़, भीलवाड़ा के जाने माने समीक्षक सतीश व्यास आस को भी शॉल ओढ़ाकर सम्मानित किया। मंच संचालक डॉ.आशा शर्मा की साहित्यिक प्रतिभा व सेवाओं के कारण उन्हें भी सम्मानित किया गया।
इन पुस्तकों का विमोचन हुआ:
समारोह में 75 पुस्तकों की समीक्षाओं से सजी अजमेर निवासी डॉ. अखिलेश पालरिया की पुस्तक मेरी समीक्षा मालाश्, डॉ.अखिलेश पालरिया के उपन्यास सपनों का भारत, जयपुर की साहित्यकार अनूप कटारिया का काव्य संग्रह यादों की धानी चूनर, भीम के गोविन्द सिंह चौहान के कविता संग्रह गिरते-सँभलते जज़्बात और जयपुर की डॉ. अनिता श्रीवास्तव व स्वप्ना शर्मा का संपादित कहानी संग्रहरू अनकही का विमोचन हुआ।
S.P.MITTAL BLOGGER (08-04-2024)
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