मोदी के पक्ष या विपक्ष में डले वोट। राहुल और प्रियंका के बयानों में विरोधाभास। पहले चरण में 102 में से भाजपा 78 और कांग्रेस 52 सीटों पर।
दुनिया में भारत को लोकतंत्र का सबसे बड़ा देश माना जाता है। इसलिए आम चुनाव के सात चरण रखे गए हैं। पहले चरण में 19 अप्रैल को 545 में से 102 सीटों पर मतदान हुआ। कोई 100 करोड़ मतदाताओं में से 16 करोड़ 63 लाख मतदाताओं को पहले चरण में मतदान करना है। 102 सीट में 21 राज्यों की है, इसलिए कहा जा सकता है कि चारों दिशाओं में मतदान हो रहा हे। विपक्ष ने इंडिया गठबंधन बनाकर यह प्रयास किया था कि मोदी और भाजपा के खिलाफ संयुक्त उम्मीदवार खड़ा किया जाए, लेकिन विपक्ष का यह प्रयास सफल नहीं हुआ। लेकिन फिर भी कांग्रेस ने यह दिखाने का प्रयास किया है कि मोदी और भाजपा के खिलाफ विपक्ष एकजुट है। पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी हो या तमिलनाडु में स्टालिन सभी के निशाने पर पीएम मोदी ही रहे। राहुल गांधी और सपा के अखिलेश यादव ने तो संयुक्त प्रेस कांफ्रेंस कर मोदी की आलोचना करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। विपक्ष ने जो माहौल बनाया उसमें पहले चरण में मोदी के पक्ष या विपक्ष में वोट डाला है। पक्ष वालों ने मोदी सरकार के पिछले दस वर्ष के कार्यकाल को देखते हुए वोट दिया। जबकि विपक्ष वालों ने मोदी से नाराजगी के चलते वोट दिया। चूंकि पिछले दस वर्षों में भ्रष्टाचारी राजनेताओं के खिलाफ बड़ी कार्यवाही हुई है, इसलिए ऐसे नेताओं के समर्थक मोदी से नाराज हे। भले ही भ्रष्टाचार के पर्याप्त सबूत सामने आए हो, लेकिन समर्थक अपने नेता को ईमानदार ही मानते हैं। यह सही है कि क्षेत्रीय दल परिवार वाद के दम पर चल रहे है। बिहार में तेजस्वी यादव हो या यूपी में अखिलेश यादव। इसी प्रकार तमिलनाडु में स्टालिन और पश्चिम बंगाल में अभिषेक बनर्जी। इन सभी नेताओं को राजनीति विरासत में मिली है। इन परिवारों के पक्के समर्थक भी है। वही नरेंद्र मोदी ने राजनीति में एक नई परिभाषा प्रस्तुत की है। करोड़ों लोगों ने जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाने, अयोध्या में राम मंदिर बनाने, आर्थिक दृष्टि से भारत को तीसरी महाशक्ति बनाने, सनातन धर्म को मजबूत करने जैसे मुद्दों पर मोदी के पक्ष में वोट डाले है। पहले चरण में मोदी के पक्ष या विपक्ष में वोट डाला है। अब चार जून को ही पता चलेगा कि देश का मतदाता मोदी के पक्ष में है या खिलाफ।
बयानों में विरोधाभास:
17 अप्रैल को राहुल गांधी और अखिलेश यादव ने एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस की इस में राहुल गांधी ने कहा कि पहले उनका आंकलन था कि भाजपा को 545 में से 180 सीट मिलेगी, लेकिन पिछले कुछ दिनों में हुए बदलाव को देखते हुए भाजपा को सिर्फ 150 सीटें मिलेंगी। राहुल ने कहा कि यह बात मैं हवा में नहीं कह रहा, मैंने देशभर के राजनीतिक हालातों का अध्ययन किया है। मैं अपने राजनीतिक अध्ययन के साथ कह सकता हूं कि इस बार नरेंद्र मादेी बुरी तरह हार रही है। राहुल ने जब यह बात कह तब उन्होंने चुनाव व्यवस्था पर कोई सवाल नहीं उठाया। राहुल का यह मानना रहा कि लोकसभा चुनाव पूरी पारदर्शिता और निष्पक्षता के साथ हो रहे है। यानी न तो ईवीएम को हैक किया जा रहा है और न ही किसी दबाव से मतदान हो रहा है। लेकिन इसके विपरीत 17 अप्रैल को ही राहुल गांधी की बहन और कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी ने कहा कि यदि ईवीएम में गड़बड़ी नहीं की गई तो भाजपा को 150 सीटें भी नहीं मिलेगी। प्रियंका ने कहा कि भाजपा चुनाव में गड़बड़ी कर ही जीत सकती है। सवाल उठता है कि जब राहुल गांधी देश के माहौल को देखते हुए भाजपा को 150 सीटें मिलने का दावा कर रहे है, तब प्रियंका गांधी ईवीएम में गड़बड़ी की आशंका क्यों जता रही है? क्या प्रियंका गांधी को चुनाव की सही तस्वीर नजर आ रही है, इसलिए मतदान से पहले ही कांग्रेस और विपक्ष की हार के बहाने तलाशे जा रहे है। यदि ईवीएम में गड़बड़ी की बात होती तो राहुल गांधी भी कह सकते थे।
भाजपा 78 और कांग्रेस 58 पर:
देश में चुनाव के मद्देनजर भाजपा और कांग्रेस का अंदाजा उम्मीदवारों की संख्या से भी लगाया जा सकता है। पहले चरण की 102 सीटों पर जहां भाजपा के 78 उम्मीदवार है तो वहीं कांग्रेस 58 सीटों पर ही अपने उम्मीदवार खड़े कर पाई है। भाजपा ने 24 जबकि कांग्रेस ने 44 सीट सहयोगी दलों को समझौते में दी है। इसमें कोई दो राय नहीं कि कांग्रेस ने समझौते में राजनीतिक बलिदान देने में कोई कसर नहीं छोड़ी। दिल्ली में 7 में से चार सीटें आम आदमी पार्टी को दी, जबकि पंजाब में आप ने कांग्रेस को एक सीट भी नहीं दी। सबसे बड़ी विडंबना तो खुद राहुल गांधी के संसदीय क्षेत्र वायनाड में है। यहां वामदल ने अपना उम्मीदवार खड़ा किया है। जबकि राजस्थान के सीकर में कांग्रेस ने यह सीट वाम दल को समझौते में दी है। यानी जो वामदल वायनाड में राहुल गांधी को हराने का काम कर रहे है, वो ही वामदल सीकर में कांग्रेस के समर्थन से जीत का दावा कर रहे है। पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली टीएमसी ने भी कांग्रेस के साथ गठबंधन करने से इंकार कर दिया है।
S.P.MITTAL BLOGGER (19-04-2024)Website- www.spmittal.inFacebook Page- www.facebook.com/SPMittalblogFollow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11Blog- spmittal.blogspot.comTo Add in WhatsApp Group- 9929383123To Contact- 9829071511