कश्मीर की आजादी चाहने वाले अलगाववादी भी विधानसभा चुनाव में सक्रिय। लोकतंत्र नहीं, कश्मीर को बचाने की जरूरत है। मुस्लिम उम्मीदवार बनाए जाने के बाद भी भादरा नगर पालिका अध्यक्ष के चुनाव में भाजपा हार गई।
पाकिस्तान की सीमा से सटे जम्मू कश्मीर में सितंबर माह में ही विधानसभा के चुनाव हो रहे है। कहा जा रहा है कि जम्मू कश्मीर खासकर मुस्लिम बाहुल्य कश्मीर घाटी में चुनाव होना भारत के लोकतंत्र की बहुत बड़ी जीत है। चूंकि चुनाव शांतिपूर्ण तरीके से हो रहे हैं, इसलिए यह भी दावा किया जा रहा है कि जो नेता पूर्व में सुरक्षाबलों पर पत्थर फिंकवाते थे और कश्मीर की आजादी के नारे लगाते थे, वह भी चुनाव में भाग ले रहे हैं। इसमें जमात-ए-इस्लामी, अवामी इत्तेहाद पार्टी के कार्यकर्ता भी शामिल है। जिन मुस्लिम नेताओं पर हिंसा के आरोप लगे वह भी चुनाव में उम्मीदवार हैं। लेकिन सवाल उठता है कि क्या चुनाव के बाद भी कश्मीर घाटी में ऐसा ही माहौल रहेगा? ऐसा तो नहीं कि विधायक बन जाने के बाद पूर्व अलगाववादी नेता विधानसभा में अनुच्छेद 370 की वापसी का प्रस्ताव स्वीकृत करवा दे। अब्दुल्ला खानदान और मुफ्ती खानदान की पार्टियां तो अभी से ही अनुच्छेद 370 की बहाली का वादा कर रही है। सब जानते हैं कि 370 के तहत कश्मीर घाटी से चार लाख हिंदुओं को प्रताड़ित कर भगा दिया। पूरी घाटी को हिंदू विहीन कर दिया गया। कश्मीर घाटी पूरी तरह आतंकवादियों के कब्जे में आ गई। 2019 से 370 के हटने के बाद जम्मू कश्मीर में हालात सामान्य हुए। अब कश्मीर की आजादी के नारे भी सुनाई नहीं देते। सवाल उठता है कि जो नेता 2019 से पहले आजादी को लेकर रहेंगे के नारे लगाते थे, आज उनका हृदय परिवर्तन कैसे हो गया? क्या मात्र विधायक बन जाने से कश्मीर की आजादी वाला ख्वाब पूरा हो जाएगा? ऐसा तो नहीं कि चुनाव की आड़ में फिर से कश्मीर में अलगाववादी ताकतें मजबूत हो रही है? अब्दुल्ला और मुफ्ती खानदार वाली पार्टियां जब 370 की बहाली का प्रस्ताव रखेंगी तब कश्मीर घाटी से चुने हुए विधायक भी समर्थन करेंगे। और तब यह दिखाने की कोशिश की जाएगी की कश्मीर के लोग 370 की बहाली चाहते हैं। यदि चुनाव की आड़ में ऐसा हो रहा है तो यह देश के लिए खतरनाक होगा। आज लोकतंत्र को बचाने की नहीं बल्कि कश्मीर को बचाने की जरूरत है।
भादरा में भाजपा हार गई:
जम्मू कश्मीर चुनावों में भाजपा भी पूरी ताकत के साथ सक्रिय है। भाजपा ने यहां मुस्लिमों को भी अपना उम्मीदवार बनाया है। भाजपा के कितने मुस्लिम उम्मीदवार विधायक बनते हैं यह तो चुनाव परिणाम ही बताएगा, लेकिन भाजपा के लिए राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले के भादरा की नगर पालिका के अध्यक्ष का चुनाव एक सबक हो सकता है। भादरा पालिका के अध्यक्ष का चुनाव 4 सितंबर को हुआ यहां कांग्रेस ने अपना उम्मीदवार मुस्कान बानो को बनाया। चुनाव जीतने के लिए भाजपा ने भी कांग्रेस के पार्षद अनवर कुरैशी को अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया, लेकिन मुस्लिम उम्मीदवार बनाए जाने के बाद भी भाजपा को हार का सामना करना पड़ा। चालीस पार्षदों में से कांग्रेस को 23 और भाजपा को 17 पार्षदों ने वोट दिया। इस नगर पालिका में कांग्रेस के छह और भाजपा के आठ पार्षद है। जबकि निर्दलीय पार्षदों की संख्या 25 है। 40 में से 12 पार्षद मुस्लिम है। 12 मुस्लिम पार्षद होने के कारण ही कांग्रेस और भाजपा को अध्यक्ष पद के लिए मुस्लिम उम्मीदवार बनाने पड़े। राजस्थान में विधानसभा के छह उप चुनाव होने हैं। उप चुनाव से पहले नगर पालिका अध्यक्ष के चुनाव में भाजपा की हार राजनीतिक दृष्टि से बहुत मायने रखती है। जम्मू कश्मीर से लेकर राजस्थान के भादरा तक के हालातों को देश हित में समझने की जरूरत है।
S.P.MITTAL BLOGGER (05-09-2024)
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